वही पुरातन पार्टी जिसके पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का कहना था कि ‘हमें सेना की क्या जरूरत है, जो काम सेना करती है, वह तो पुलिस भी कर सकती है;’ जिस पार्टी के सत्ता में रहते आजादी के बाद राजनीतिक नेतृत्व की कायरता के चलते भारत चीन के हाथों परास्त हुआ, बड़ा भूभाग गवां बैठा, वही पार्टी यदि आपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाए, तो कुछ ताज्जुब होगा क्या? यह वही पार्टी है, जिसने चीन द्वारा हथियाए भारतीय भूभाग के विषय में कहा था कि वहां तो घास का तिनका तक पैदा नहीं होता। अब आप इनसे ये उम्मीद करें कि अखंडता का मतलब समझेंगे, तो ये इनके साथ ज्यादती है। एक परिवार की राजनीतिक दासता ढोते-ढोते आज कांग्रेस इस हालत में आ गई है कि वह सिर्फ और सिर्फ झूठ की फैक्ट्री बन चुकी है।
स्वाभिमान पर प्रहार

वरिष्ठ पत्रकार
क्या हम इस दुष्प्रचार, इस झूठ को कांग्रेस की आदत कहकर नजरअंदाज करते रहेंगे? नहीं, बात गंभीर है, बेहद गंभीर। क्योंकि कांग्रेस जो दुष्प्रचार कर रही है, वह सेना के पराक्रम, राष्ट्र की अखंडता और हर भारतीय के स्वाभिमान पर प्रहार है। बात पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों के हाथ सिर्फ हिंदू होने के कारण मारे गए 26 लोगों की है। बात उन विधवाओं की है, जिनकी मांग का सिंदूर उजाड़ दिया गया। फिर बात ये भी तो है कि सरकार और सेना ने इस सिंदूर की कीमत चुकाने के लिए पाकिस्तान को मजबूर कर दिया।
बात यह भी कि भारतीय सेना ने 23 मिनट के अंदर पाकिस्तान को वह सबक सिखाया कि वह रहम की भीख का कटोरा लेकर दुनिया भर में दौड़ा। बात उस दृढ़ और निर्णायक नेतृत्व की भी है, जिसने साफ कर दिया कि कहीं भी कोई आतंकवादी हमला देश पर युद्ध माना जाएगा और उसका इसी तरीके से जवाब दिया जाएगा। बात उस राष्ट्रीय आकांक्षा की भी है, जो लगातार घाव देने वाले पाकिस्तान को एक निर्णायक सबक देने की आशा रखता है।
समझनी होगी मंशा
पहले इस झूठ के पीछे की कुंठा और मंशा को समझिए। भारतीय नौसेना का युद्धपोत कभी इस पार्टी के प्रधानमंत्री द्वारा फूलों से लादकर एडविना माउंटबेटन की अंतिम विदाई के लिए भेजा जाता था। कभी हमारे युद्धपोत इस परिवार की पिकनिक मनाने के काम आते थे। आज हमारे युद्धपोत कराची की छाती पर जा डटे हैं, तो क्या पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दिल में दर्द न होता होगा। 26/11 के हमले के बाद जिस पार्टी की सरकार जवाब में पाकिस्तान के खिलाफ सेना नहीं भेजती, डोजियर सौंपती हो, तो क्या उस पार्टी के नेतृत्व को यह बर्दाश्त होगा कि पाकिस्तान के कुल 23 ठिकाने भारत की सैन्य कार्रवाई में धराशायी हो गए?
खबर नहीं, शरारत
ऑपरेशन सिंदूर अब विश्व इतिहास की किताबों में अभूतपूर्व सैन्य आक्रमण के रूप में दर्ज हो चुका है, लेकिन कांग्रेस की फेक न्यूज फैक्ट्री ने अपने शुभ चिंतक अखबार में सूत्रों के हवाले से खबर प्लांट की कि ‘भारतीय जनता पार्टी ऑपरेशन सिंदूर का लाभ लेने के लिए घर-घर सिंदूर भिजवाने की योजना बना रही है।’ सूत्रों के नाम पर झूठी खबरें प्लांट करने का यह कांग्रेस का सिलसिला बहुत पुराना है। इस अखबार ने पत्रकारिता के सारे सिद्धांतों को ताक पर रखकर इस खबर की आधिकारिक पुष्टि तक का प्रयास नहीं किया, जबकि भारतीय जनता पार्टी के पास प्रवक्ताओं की लंबी फेहरिस्त है, जो हमेशा मीडिया के लिए उपलब्ध रहते हैं। जाहिर है, यह खबर नहीं, शरारत थी।
चोर मचाए शोर की तर्ज पर कांग्रेस, उसके प्रवक्ता, समर्थक यू-ट्यूबर, सोशल मीडिया हैंडल और पिछलग्गू पार्टियां हमलावर हो उठीं। कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने तो यहां तक लिख डाला कि हमारे पति सिंदूर लाकर देंगे। इसी तरह की ओछी बयानबाजियां शुरू हुईं। भारतीय जनता पार्टी ने आधिकारिक रूप से स्पष्ट किया कि पार्टी की न तो ऐसी कोई योजना है और न ही इस तरह की कोई चर्चा कभी पार्टी स्तर पर हुई है। इस झूठी खबर का मकसद साफ था। पाकिस्तान पर हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी की जो छवि बनी है, उस पर किसी तरह से कीचड़ उछाली जा सके।
पूरे ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही कांग्रेस की रुचि इस बात में नहीं थी कि पाकिस्तान की क्या गत बनी है। वह शुरू से ही यह जानना चाहती थी कि भारत को इस युद्ध में कितना नुकसान पहुंचा, भारतीय वायु सेना के राफेल विमानों के इस हमले में नष्ट होने की अफवाह भी कांग्रेसी खेमे ने उड़ाई, जिसका प्रदर्शन पाकिस्तान की सेना के प्रवक्ता ने अपने दावे की पुष्टि के लिए दुनिया के सामने किया। आप सोचिए, कि पाकिस्तान के पास इस बात का कोई सुबूत नहीं कि किसी भारतीय विमान को वह गिरा पाया। हां, सबूत के तौर पर वह कांग्रेस और उसके समर्थकों के सोशल मीडिया पर किए गए पोस्ट दुनिया के सामने पेश कर रहा था। किसी पार्टी की सत्य निष्ठा कितनी संदिग्ध हो सकती है, यह इसका उदाहरण है।
एक और उदाहरण से इसे समझिए। कांग्रेस की रुचि इस बात में है कि भारत को कितना नुकसान हुआ। इसके लिए अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ अनिल चौहान के 31 मई को सिंगापुर में ब्लूमबर्ग को दिए एक साक्षात्कार को इस्तेमाल किया जा रहा है। असल में सीडीएस ने ऑपरेशन सिंदूर में भारत के फाइटर जेट गिराने के दावे पर कहा था कि मुद्दा ये नहीं है कि कितने विमान गिरे। बल्कि यह है कि वे क्यों गिरे। उन्होंने स्वीकार किया कि कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन साथ ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के इस दावे को खारिज किया कि पाकिस्तान ने भारत के छह युद्धक विमान मार गिराए थे।
इस बयान में एक जनरल की रणनीतिक गहराई वाली बात है। किसी भी जंग में आपको कोई नुकसान न हो, इसकी गारंटी कौन दे सकता है, लेकिन कांग्रेस ने अपनी सुविधानुसार इस क्लिप को शेयर करते हुए कहा कि सीडीएस ने माना है कि हमें फाइटर जेट का नुकसान हुआ है। मोदी सरकार इस बात को क्यों छिपा रही है। अब ये समझ से बाहर की बात है कि रणनीतिक कारणों से यदि भारतीय सेना इस नुकसान का खुलासा नहीं करना चाहती, तो कांग्रेस यह जबरदस्ती क्यों कर रही है। क्या इसलिए कि भारत की जीत को छोटा या बौना किया जा सके।
ट्रंप की खुली पोल
एक अन्य मसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बड़बोलापन है। ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद हुए संघर्षविराम श्रेय लेने की कोशिश की थी, लेकिन भारत के सख्त रुख के बाद उन्होंने कहा था कि दोनों देशों के बीच यह सहमति बनी है। ट्रंप 16 दिन में 13 किस्म के बयान दे चुके हैं, उनके बारे में माना जाता है कि वे सुबह कुछ कहते हैं, शाम को कुछ और। अमेरिका जाकर भारत की बुराई करने वाले राहुल गांधी की पार्टी के पेट में दर्द यह है कि ट्रंप ऐसा दावा क्यों कर रहे हैं। कैनेडी से लेकर जॉर्ज बुश तक के चरणों में लहालोट रहने वाली कांग्रेस पूछ रही है कि क्या अमेरिका ने संघर्षविराम के लिए दबाव डाला।
अब कांग्रेस और उसके खेमे के 16 दल इस मांग को उठा रहे हैं कि इस बात पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए। आप समझने का प्रयास करें कि वे संसद के विशेष सत्र में क्या चर्चा करना चाहते हैं। पहली चर्चा तो ये दल पूरी दुनिया के सामने ढोल-नगाड़े बजाते हुए भारतीय सैन्य रणनीति, कार्रवाई और उसके प्रभावों पर करना चाहते हैं, जो कि किसी भी देश की सैन्य तैयारियों या कार्रवाई की गोपनीयता होती है। कांग्रेस और ये 16 दल क्यों चाहते हैं कि हमारे सैन्य राज दुनिया के सामने खुलें? क्यों वे सरकार व सेना से इस बाबत कोई पुष्टि चाहते हैं कि भारत का कोई लड़ाकू विमान जंग में गिराया गया। क्या यह राफेल मामले में राहुल गांधी के अफवाह कैंपेन की विफलता की टीस तो नहीं है, क्योंकि इसी राफेल ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को रनवे तक नहीं पकड़ने दिया? एक और अहम बात। ये दल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों पर चर्चा करना चाहते हैं।
राष्ट्रीय जनता दल के मनोज झा कह रहे हैं कि ट्रंप ने 16 दिन में 13 अलग-अलग बयान दिए हैं। अब अमेरिका का राष्ट्रपति क्या कहता है, क्या उस पर भारत का कोई नियंत्रण है, जिसके विषय में चर्चा की जानी चाहिए? कांग्रेस के सजावटी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की सुनिए। वे जानना चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो संघर्षविराम हुआ है, वह किन शर्तों पर हुआ है। क्या उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये बयान नहीं सुना कि ऑपरेशन सिंदूर अभी खत्म नहीं हुआ है। भारत में होने वाला हर आतंकवादी हमला भारत पर हमला माना जाएगा और उसका जवाब पाकिस्तान को सैन्य तरीके से ही दिया जाएगा।
सभी विपक्षी दल जब कुछ जिद पकड़ते हैं, मांग करते हैं, तो दावा करते हैं कि 140 करोड़ भारतीयों के लिए ये जानना जरूरी है। 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से बात करने का अधिकार इन्हें कैसे मिला, ये नहीं बताते? न ही ये बताते हैं कि यह 140 करोड़ भारतीयों की भावना का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो विपक्ष में क्यों बैठे हैं? वैसे कुछ मसले हैं, जिन पर विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए।
- कांग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के बीच किस तरह के सहमति प्रारूप (एमओयू) पर साइन किए गए। चीन भारत के साथ एक जंग लड़ चुका है। सीमा पर सेना आमने-सामने है। क्या 140 करोड़ भारतीयों को ये जानने का हक नहीं है कि कांग्रेस ने चीन की सत्ताधारी पार्टी के साथ किस तरह और कहां तक के सहयोग का वादा किया हुआ है?
- 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तानी सेना के 90 हजार से अधिक कैदियों को रिहा कर देने और बदले में अपने 54 कैदियों को पाकिस्तानी जेल से न छुड़वाने के क्या कारण थे? 140 करोड़ भारतीय ये भी जानना चाहते हैं।
- 140 करोड़ भारतीय ये भी जानना चाहते हैं कि जिस भोपाल गैस कांड में 22000 लोगों की मृत्यु हुई और पांच लाख लोग विकलांग हो गए, उसके जिम्मेदार वारेन एंडरसन को रातों-रात हवाई जहाज से क्यों और किसके दबाव में फरार कराया गया और बदले में किसकी रिहाई अमेरिका ने की?
- हर भारतीय ये भी जानना चाहता है कि फिक्सिंग करके शार्ट सेलिंग करने वाली हिंडनबर्ग ने भारतीय शेयर बाजार की दिग्गज कंपनी को निशाना क्यों बनाया? इस्राएल की खुफिया एजेंसी की जांच के माध्यम से जो खबरें चल रही हैं, उनके अनुसार हिंडनबर्ग और कांग्रेस का क्या रिश्ता है? कौन सी ताकतें देश में आर्थिक भूचाल लाना चाहती थीं?
- 140 करोड़ भारतीय ये भी जानना चाहते हैं कि किन हालात और किन दबावों में राजीव गांधी ने श्रीलंका में शांति सेना भेजी थी।
- 140 करोड़ भारतीय ये भी जानना चाहते हैं कि ओताविया क्वात्रोकी किसी परिवार के इतना करीब क्यों था कि हर फैसला उस से पूछकर किया जाता था?
- हर भारतीय यह भी जानना चाहता है कि नरसिम्हा राव सरकार ने किस देश के दबाव में परमाणु परीक्षण करने से अपने पांव पीछे खींच लिए थे?
- हर भारतीय यह भी जानना चाहता है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की विदेश यात्राओं और इसके ठीक बाद देश भर में होने वाले उपद्रवों के बीच क्या रिश्ता है?
- देश यह भी जानना चाहता है कि राहुल गांधी कभी फाइजर की कोविड वैक्सीन देश में क्यों मंगाना चाहते थे? और वह राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के इतने विरोधी क्यों रहे?
कुल मिलाकर 140 करोड़ भारतीयों के पास इतने सवाल हैं कि साल के हर दिन कांग्रेस के कारनामों पर विशेष सत्र बुलाया जा सकता है।
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