अल-कायदा, यमन के सरगना का एक वीडियोे सामने आया है जिसमें उसने गाजा पट्टी में इस्राएल-हमास युद्ध को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति एलन मस्क को जान से मारने की धमकी दी है। यमन का जिहादी अल कायदा सरगना साद बिन अतेफ अल-अवलाकी का पिछले साल कमान संभालने के बाद यह पहला वीडियो जारी किया गया है। करीब आधे घंटे के इस वीडियो को गत दिनों अरब प्रायद्वीप में अल-कायदा तत्वों के माध्यम से ऑनलाइन जारी किया गया है। इस वीडियो में युद्ध के कारण मिस्र, जॉर्डन और खाड़ी के अरब देशों के कुछ बड़े नेताओं की भी हत्या करने की धमकी दी गई है।
इस वीडियो पर इस्राएल के मशहूर अखबार द टाइम्स आफ इस्राएल ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें ‘गाजा की तबाही’ का मातम मनाते हुए अल-अवलाकी के भाषण का अंश है जिसमें ट्रंप और मस्क के साथ ही अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और विदेश मंत्री पीट हेगसेथ की फोटो भी दिखाई गई हैं। इसमें इलेक्ट्रिक कार निर्माता टेस्ला सहित मस्क के व्यवसायों के ‘लोगो’ दिखाए गए हैं। वीडियो में अवलाकी कह रहा है, “गाजा में हमारे लोगों के साथ जो कुछ हुआ और हो रहा है, उसके बाद कोई रेड लाइन नहीं रह गई है। जैसे के साथ तैसा करना उचित ही है।”

अल कायदा की इस यमनी इकाई को लंबे समय से सबसे खतरनाक माना जाता रहा है। हालांकि यह भी कहा जाता है कि हाल के वर्षों में अंदरूनी कलह और संदिग्ध अमेरिकी ड्रोन हमलों के कारण इसके नेताओं की मौत हो गई थी, लेकिन ‘एक्यूएपी’ के नाम से जाना जाने वाला यह समूह अल-कायदा की सबसे खतरनाक इकाई माना जाता था, जो 2011 में अमेरिकी नौसेना के जवानों द्वारा अल कायदा के तत्कालीन मुख्य जिहादी सरगना ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद भी सक्रिय थी।
द टाइम्स आफ इस्राएल लिखता है, ”2022 में, अफ़गानिस्तान में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में बिन लादेन की जिहादी विरासत को संभालने वाले अयमन अल-ज़वाहिरी की मौत हो गई, जिसने 9/11 की साजिश रचने में भी मदद की थी। 11 सितंबर के हमलों ने अफगानिस्तान और इराक में अमेरिका द्वारा दशकों तक युद्ध छेड़े रखा और इस्लामिक स्टेट समूह के उभार को बढ़ावा दिया।”
अल-अवलाकी के सिर पर पहले से ही 60 लाख अमेरिकी डॉलर का इनाम है, क्योंकि वाशिंगटन का कहना है कि उसने “सार्वजनिक रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ हमलों का आह्वान किया है।” उसने ‘एक्यूएपी’ सरगना खालिद अल-बतरफी की जगह ली है, जिसकी मौत की घोषणा समूह ने 2024 में की थी। ‘एक्यूएपी’ इस्राएल-हमास युद्ध पर हावी होने की फिराक में है, जो यमन के हूती विद्रोहियों के भी ऐसा ही करने के प्रयासों जैसा ही है। ईरान समर्थित समूह ने इस्राएल पर मिसाइल हमले किए हैं और लाल सागर गलियारे से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों के साथ-साथ अमेरिकी युद्धपोतों को भी निशाना बनाया है।

इस्राएली अखबार आगे लिखता है, ”यमन के लंबे समय से गतिरोध वाले युद्ध में फंसे रहने के कारण हूतियों की अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ी है। अल-अवलाकी अपने समूह के लिए भी यही उम्मीद कर रहा होगा, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि इसमें 3,000 से 4,000 सक्रिय लड़ाके और बाकी सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, यह समूह बैंकों और मुद्रा विनिमय दुकानों को लूटने के साथ-साथ हथियारों की तस्करी, नकली मुद्राओं और फिरौती के कामों से धन जुटाता है।”
शिया जायदी हूतियों ने पहले सुन्नी जिहादी गुट ‘एक्यूएपी’ के साथ काम करने से इनकार किया था। हालांकि, हाल के वर्षों में ‘एक्यूएपी’ द्वारा हूतियों को निशाना बनाने में कमी आई है, जबकि आतंकवादी सऊदी नेतृत्व वाली गठबंधन सेना पर हमला करते रहते हैं, जिन्होंने हूतियों से टक्कर ली है।
एक यमनी रक्षा विशेषज्ञ मोहम्मद अल-बाशा का कहना है कि हूतियों को इस्राएल के खिलाफ ‘अरब और मुस्लिम दुनिया के प्रतिरोध’ के अगुआओं के रूप में जाना जा रहा है, ऐसे में अल-अवलाकी खुद को गाजा की स्थिति को लेकर उतना ही चिंतित दिखाना चाहता है, और ऐसा करके हूतियों से ज्यादा मारक दिखना चाहता है।
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