गुवाहाटी । सोमवार को राज्य विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि राज्य सरकार अवैध विदेशियों की पहचान और उन्हें देश से निष्कासित करने के लिए अप्रवासी (असम से निष्कासन) अधिनियम, 1950 को लागू करेगी।
मुख्यमंत्री के अनुसार यह कानून जिला आयुक्तों को अधिकार देता है कि वे अवैध रूप से भारत में रह रहे विदेशियों को चिन्हित कर उन्हें देश से बाहर कर सकें।
मुख्यमंत्री ने सत्र के दौरान कहा कि इस अधिनियम को लागू करने का निर्णय सुप्रीम कोर्ट की हाल ही में आई संवैधानिक पीठ की उस टिप्पणी के बाद लिया गया है जिसमें कहा गया है कि यह कानून अब भी प्रभावी है और इसके तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
उन्होंने यह भी बताया कि बीते कुछ महीनों में राज्य सरकार द्वारा 300 से अधिक अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को वापस भेजा गया है।
मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर बोलते हुए कांग्रेस पर भी तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी नागरिकता को गंभीरता से इसलिए नहीं लेती। क्योंकि “कांग्रेस में एक ऐसा परिवार है, जिसके चार में से तीन सदस्य विदेशी हैं।”
सरमा का यह बयान कांग्रेस की असम इकाई के अध्यक्ष और सांसद गौरव गोगोई की ओर इशारा माना जा रहा है, जो उस समय विधानसभा में मौजूद थे।
बरहाल मुख्यमंत्री के इन बयानों से स्पष्ट है कि असम सरकार अब अवैध घुसपैठ के खिलाफ और अधिक सख्त रवैया अपनाने जा रही है। जिसका असर आने वाले दिनों में साफ दिखाई देगा।
शिवम् दीक्षित एक अनुभवी भारतीय पत्रकार, मीडिया एवं सोशल मीडिया विशेषज्ञ, राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता, और डिजिटल रणनीतिकार हैं, जिन्होंने 2015 में पत्रकारिता की शुरुआत मनसुख टाइम्स (साप्ताहिक समाचार पत्र) से की। इसके बाद वे संचार टाइम्स, समाचार प्लस, दैनिक निवाण टाइम्स, और दैनिक हिंट में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, जिसमें रिपोर्टिंग, डिजिटल संपादन और सोशल मीडिया प्रबंधन शामिल हैं।
उन्होंने न्यूज़ नेटवर्क ऑफ इंडिया (NNI) में रिपोर्टर कोऑर्डिनेटर के रूप में काम किया, जहां इंडियाज़ पेपर परियोजना का नेतृत्व करते हुए 500 वेबसाइटों का प्रबंधन किया और इस परियोजना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान दिलाया।
वर्तमान में, शिवम् राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका पाञ्चजन्य (1948 में स्थापित) में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं।
शिवम् की पत्रकारिता में राष्ट्रीयता, सामाजिक मुद्दों और तथ्यपरक रिपोर्टिंग पर जोर रहा है। उनकी कई रिपोर्ट्स, जैसे नूंह (मेवात) हिंसा, हल्द्वानी वनभूलपुरा हिंसा, जम्मू-कश्मीर पर "बदलता कश्मीर", "नए भारत का नया कश्मीर", "370 के बाद कश्मीर", "टेररिज्म से टूरिज्म", और अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले के बदलाव जैसे "कितनी बदली अयोध्या", "अयोध्या का विकास", और "अयोध्या का अर्थ चक्र", कई राष्ट्रीय मंचों पर सराही गई हैं।
उनकी उपलब्धियों में देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान (2023) शामिल है, जिसे उन्होंने जहांगीरपुरी हिंसा के मुख्य आरोपी अंसार खान की साजिश को उजागर करने के लिए प्राप्त किया।
शिवम् की लेखन शैली प्रभावशाली और पाठकों को सोचने पर मजबूर करने वाली है, और वे डिजिटल, प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहे हैं। उनकी यात्रा भड़ास4मीडिया, लाइव हिन्दुस्तान, एनडीटीवी, और सामाचार4मीडिया जैसे मंचों पर चर्चा का विषय रही है, जो उनकी पत्रकारिता और डिजिटल रणनीति के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
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