पर्यावरणविदों ने पंजाब के भविष्य को लेकर चेतावनी जारी की है, इनकी मानें तो अगर पंजाब को जल्द संभाला नहीं गया, पराली को जलने से नहीं रोका गया तो 2050 तक पंजाब खुद जलने लगेगा। तापमान 4.5 डिग्री तक बढ़ेगा, जिससे यहां न केवल फसलों का उत्पादन घटेगा बल्कि लोगों का रहना मुश्किल हो जाएगा।
पंजाब स्टेट काउंसिल फार साइंस एंड टेक्नोलाजी (पीएससीएसटी), इंस्टीट्यूट फार गवर्नेस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आइजीएसडी) और द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टीइआरआइ) द्वारा संयुक्त रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि शताब्दी के मध्य तक यानी 2050 तक पंजाब के तापमान में 2.1 से 4.5 डिग्री सेल्सियस तक वृद्धि हो सकती है। तापमान बढ़ने का असर फसलों की उपज पर आएगा जिससे गेहूं की पैदावार में 6 से 6.5 प्रतिशत, चावल में से 8 प्रतिशत और मक्की की फसल में 13 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।
देश के केवल 1.5 प्रतिशत भूभाग को कवर करने वाले पंजाब में कैंसर के मरीजों की संख्या राष्ट्रीय औसत से अधिक है। इसका मुख्य कारण राज्य में अत्यधिक रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग होना है। पंजाब देश का तीसरा सबसे बड़ा राज्य है जहां सर्वाधिक रसायनिक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। वैसे इन वैज्ञानिकों की चेतावनी निराधार दिखाई नहीं दे रही क्योंकि, वर्ष 2011 से ही राज्य में जलवायु परिवर्तन की कई घटनाएं देखने को मिल रही हैं, जिनमें 55 वर्षों के बाद पठानकोट में अप्रत्याशित बर्फबारी से लेकर जून-सितंबर 2024 के मानसून सीजन में सामान्य स्तर से 28 प्रतिशत कम बारिश होना भी शामिल है। ये निष्कर्ष एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट पंजाब में नेट जीरो के रास्ते गैर-सीओर प्रदूषकों की महत्वपूर्ण भूमिका में निकाला गया है।
चेतावनी दी गई है कि तापमान बढ़ने से गेहूं की पैदावार में 6.5 प्रतिशत, चावल में 8 प्रतिशत व मक्की में 13 प्रतिशत तक आ सकती है। कमी पीएससीएसटी, आईजीएसडी व द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट की संयुक्त रिपोर्ट में किया दावा किया है कि राज्य में कार्बन डायआक्साइड गैस बढ़ रही है जिसका मुख्य कारण पराली जलाना भी है।
पंजाब उन कुछ भारतीय राज्यों में से हैं जिन्होंने विकास के कृषि आधारित माडल को अपनाया है। इस वृद्धि-संचालित दृष्टिकोण ने राज्य को खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में सक्षम बनाया है परंतु इसने प्राकृतिक संसाधनों की कमी दवा व प्रदूषण को भी बढ़ावा दिया है जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए गंभीर जोखिम पैदा हुए हैं। राज्य में 2010 से 2023 के बीच में 128 हीटवेव दिन रहे जिनमें से अकेले 2024 में एक दशक में सबसे एक अधिक 27 होटवेव दिन दर्ज किए गए हैं। यह चिंता का विषय है। राज्य में कोटनाशकों का अधिक प्रयोग होने से कैंसर के मरीजों की संख्या अधिक है। गहन रासायनिक कृषि से जुड़े महत्वपूर्ण स्वास्थ्य व पर्यावरणीय जोखिमों को देखते हुए पंजाब के विजन डाक्यूमेंट 2047 में इन चुनौतियों को कम करने के लिए एक आवश्यक कदम के रूप में एकीकृत कृषि पद्धतियों में बदलाव का सुझाव दिया गया है।
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