दिल्ली के जामियानगर स्थित बटला हाउस में 40 संपत्ति मालिकों के अवैध कब्जे को ध्वस्त करने के लिए राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह से हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। साथ ही अदालत ने इन याचिकाकर्ताओं को इस मामले से जुड़े संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने का सुझाव दिया है।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस संजय करोल और सतीष वर्मा की पीठ अवकाश पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई को एक माह के बाद जुलाई तक के लिए आगे बढ़ा दिया है। याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली विकास प्राधिकरण के नोटिस को गलत करार देते हुए आरोप लगाया है कि उन्हें मामले में न तो पार्टी बनाया और न ही अपना पक्ष रखने का मौका दिया।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि बटला हाउस में अवैध तरीके से कब्जे करके पिछले कई सालों से रह रहे लोगों को दिल्ली विकास प्राधिकरण ने एक नोटिस भेजा। इसमें प्राधिकरण ने कब्जाधारियों को 27 मई 2025 को 15 दिन का समय दिया औऱ कहा कि तय समय के अंदर वे अतिक्रमण हटा लें, उसके बाद प्रशासन अवैध निर्माण को ध्वस्त करेगा। फिर क्या था बटला हाउस की मालकिन सुल्ताना शाहीन समेत 39 अन्य लोगों ने वकील आदिल अहमद के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
कहा-मौलिक अधिकारों का हनन
इन अवैध कब्जाधारियों ने सुप्रीम कोर्ट में फाइल की गई अपनी याचिका में डीडीए पर पर्याप्त और सार्थक सुनवाई का मौका दिए बिना ही ये कार्रवाई की है। इसके साथ ही इन लोगों ने संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (ई) का हवाला देते हुए कहा कि ये हमारे मौलिक अधिकारों का हनन है। इन लोगों का दावा है कि उनके पास संपत्तियों के वैध कागजात भी हैं।
सुप्रीम कोर्ट के झटके को राहत बता रहे अमानतुल्लाह खान
इस बीच सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ध्वस्तीकरण में हस्तक्षेप करने से इंकार किए जाने को आम आदमी पार्टी के नेता अमानतुल्लाह खान ने बटला हाउस के याचिकाकर्ताओं के लिए राहत करार दिया है।
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