भारत के पूर्व में पड़ोसी इस्लामी देश बांग्लादेश लगातार गर्त में गिरता जा रहा है। कट्टरपंथी ताकतें अब सिर चढ़कर मनमानी कर रही हैं और उस देश की अंतरिम सरकार तथा अदालतें भी उन्हीं के पाले में खड़ी दिखाई दे रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अब ‘छात्र आंदोलन’ के दौरान ‘मानवता विरोधी अपराध’ का दोषी ठहराते हुए जहां उनके खिलाफ मुकदमे की तैयारी हो गई है वहीं अब वहां की पुरानी रीतों को भी बदला जा रहा है। ताजा उदाहरण नए नोटों का है। हाल ही में उस देश में नए बैंक नोट जारी किए गए हैं, जिनमें एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने में आया है।
इन नोटों से देश को अत्याचारी पाकिस्तान के चंगुल से आजाद कराने वाले, बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की छवि हटा दी गई है। इन नोटों पर अब हिंदू और बौद्ध मंदिरों, ऐतिहासिक महलों, राष्ट्रीय शहीद स्मारक और अन्य पारंपरिक स्थलों की छवि अंकित की गई है। हैरानी की बात है कि एक ओर तो इस्लामवादी वहां के हिन्दुओं को मार रहे हैं, उनके मंदिरों को ध्वस्त कर रहे हैं तो दूसरी ओर यूनुस सरकार नोटों पर हिन्दू मंदिरों की छवि अंकित कर रही है!
बांग्लादेश के सेंट्रल बैंक ने पहले ही घोषणा की थी कि नई मुद्रा पर किसी व्यक्ति की छवि नहीं छापी जाएगी। उसके बजाय, नोटों पर प्राकृतिक परिदृश्य और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया जाएगा। यह बदलाव गत 1 जून 2025 से लागू कर दिया गया है। ये नए नोट आधिकारिक रूप से जारी कर दिए गए हैं।
बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान वह महान विभूति थे जिन्हें बांग्लादेश की स्वतंत्रता का नायक कहा जाता रहा है। 1971 में देश को पाकिस्तान से आज़ादी दिलाने में उनकी सबसे बड़ी भूमिका थी। अब तक, बांग्लादेश के सभी नोटों पर उनकी छवि होती थी, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को अपदस्थ करने के बाद उस देश को लगातार कट्टरपंथी ताकतों के हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है।
नए जारी किए गए नोटों पर हिंदू और बौद्ध मंदिरों की छवियां होंगी, 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान शहीद हुए लोगों को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक की चित्र होगा और प्रसिद्ध चित्रकार जैनुल ओबेदीन की ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान बंगाल के अकाल को दर्शाती कलाकृति की तस्वीर होगी। इसके अलावा उस देश के कुछ ऐतिहासिक महलों और अन्य सांस्कृतिक स्थलों के चित्र भी अंकित किए जाएंगे।
नोटों पर इस बदलाव के पीछे मकसद का खुलासा करते हुए बांग्लादेश बैंक प्रवक्ता आरिफ हुसैन खान ने कहा कि इस बदलाव के पीछे मकसद है राष्ट्रीय पहचान को व्यापक रूप से प्रदर्शित करना। उनका कहना है कि नए नोटों में किसी भी राजनीतिक व्यक्ति की छवि नहीं अंकित की जाएगी, उसकी बजाय देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को प्राथमिकता दी जाएगी।
नोटों पर किए गए इस बदलाव को लेकर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।. कुछ लोग इसे राजनीतिक बदलाव का संकेत मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे राष्ट्रीय धरोहरों को पुष्ट करने वाला कदम मानते हैं।
लेकिन बांग्लादेश के नए नोटों से ही नहीं, अन्य सभी स्थानों से बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की यादों को मिटा देने की कोशिश के पीछे शैतानी मंशा तो साफ हो ही चुकी है। उनका स्मारक तोड़ा, मूर्तियां हटाईं, उनके परिजनों को देश छोड़ने को मजबूर किया गया, आजादी में उनके योगदान के हर उल्लेख को धो—पोंछ देने की कवायद चल ही रही है। यानी अब बांग्लादेश इस्लाम के नाम पर अपने आतातई देश जिन्ना के पाकिस्तान की गोद में बैठने को तैयार होता जा रहा है जो उसके भविष्य के लिए एक घातक कदम साबित हो सकता है।
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