बांग्लादेश में सुप्रीम कोर्ट ने एक इस्लामी नेता एटीएम आज़हरुल इस्लाम की मौत की सजा को रद कर दिया। आज़हरुल इस्लाम जमात-ए-इस्लामी का वरिष्ठ नेता है, जिसे वर्ष 2014 में मौत की सजा सुनाई गई थी। मगर अब वहां के सुप्रीम कोर्ट ने उसे आजाद कर दिया है। कोर्ट ने उसकी रिहाई तत्काल सुनिश्चित करने के लिए कहा है, बशर्ते वह और किसी मामले में गिरफ्तार न हो।
आज़हरुल इस्लाम पर वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम में रंगपुर में 1500 आम नागरिकों की हत्या का आरोप था। वह इस्लामी छात्र संघ की रंगपुर जिले की इकाई का अध्यक्ष था और वह अल बदर फोर्स का मुखिया था। Redowan Ibne Saiful नामक यूजर ने उसकी भूमिका जमात के मुखपत्र डेली संग्राम में भी बताई है और पाकिस्तानी खुफिया दस्तावेज तक उस जीनोसाइड में उसकी सीधी भूमिका बताते हैं।
https://twitter.com/Redowanshakil/status/1927323947168587961?
बांग्लादेश अवामी लीग ने भी इस कदम की निंदा करते हुए लिखा कि यह देश के लिए शर्म की बात है। एक्स पर उसके हैंडल द्वारा यह लिखा गया कि यह राष्ट्रीय शर्म है। युद्ध अपराधी आज़हरुल इस्लाम को छोड़ दिया गया। यह बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और उसमें जान देने वाले लोगों की पीठ में छुरा घोंपना है।
वह न केवल लगभग 1500 हत्याओं का आरोपी है, बल्कि उसपर बलात्कार और लूट के कई मामले भी हैं। और आज वह फ्री हो गया है। और वह आजाद घूमेगा।
आगे इसमें लिखा है कि अदालत का फैसला न्याय का गर्भपात ही नहीं है, बल्कि आजादी, न्याय और जिम्मेदारी के मूल्यों को बनाए रखने में हमारी कानूनी व्यवस्था की असफलता है। यह फैसला हर उस माता के चेहरे पर तमाचा है, जिसने अपना बेटा खोया था, हर महिला जिसके साथ हिंसा हुई और हर मुक्ति संग्राम योद्धा जिसने एक स्वतंत्र बांग्लादेश के लिए जान दी।
क्या इसीलिए वर्ष 1971 का युद्ध था? क्या यही न्याय है?
https://twitter.com/albd1971/status/1927245232246067602?
जहाँ कुछ लोग इसे कानूनी मामला बता रहे हैं, वहीं यह भी अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि जमात अपने नेता इस्लाम को छुड़वाने के लिए आंदोलन तक की चेतावनी दे रहा था। फरवरी में ही जमात ने इसकी रिहाई के लिए आंदोलन की बात की थी।
बांग्लादेश वॉच नामक हैंडल से इस फैसले को लेकर कई बातें की गई हैं। इसने लिखा है कि अपेलैट विभाग के पास शायद यह साहस ही नहीं होगा कि वह रिव्यू याचिका पर इससे इतर कोई भी निर्णय ले सकें। इसमें लिखा है कि
“यूनुस सरकार समर्थित राजनीतिक भीड़ ने मुख्य न्यायाधीश और अपीलीय खंड के कई न्यायाधीशों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद को खुद स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन (एसएडी) आंदोलन ने चुना था, जिन्होंने बदले में हाई कोर्ट खंड के कई न्यायाधीशों को हटा दिया, जब एक और सरकार समर्थित भीड़ ने सुप्रीम कोर्ट पर आक्रमण करने की धमकी दी थी।“
https://twitter.com/bdwatch2024/status/1927305901846753362?
यह सभी ने देखा है कि कैसे शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद कट्टरपंथियों प्रभाव बढ़ रहा है और बांग्लादेश की बांग्ला पहचान के लिए लड़ने वाले लोगों के साथ तमाम अत्याचार हो रहे हैं। अवामी लीग के शेख मुजीबुर्रहमान की हर पहचान मिटाई जा रही है और या कहें कि मिटाई जा चुकी है। अवामी लीग के नेताओं और सरकार एवं कट्टरपंथ के खिलाफ बोलने वालों को जेल में डाला जा रहा है।
जमात सहित कई अन्य कट्टरपंथी दलों ने अवामी लीग पर प्रतिबंध की मांग की थी और साथ ही जमात ने लगातार यह मांग की थी कि उसके नेता को रिहा किया जाए।
19 फरवरी 2025 को जमात के अमीर शफीकुर रहमान ने एक रैली मे घोषणा की थी कि “हम यह स्पष्ट संदेश भेजना चाहते हैं कि रैली और आंदोलन तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक वह रिहा नहीं हो जाता!”
बांग्लादेश में हर उस व्यक्ति से लगभग इस्तीफा दिलवाया गया, जो अवामी लीग द्वारा नियुक्त थे। इस्लाम पर जो चार्जशीट दायर की गई थी, उसके अनुसार उसने 1256 हत्याएं की थीं, 17 अपहरण और 13 महिलाओं का बलात्कार बांग्लादेश की आजादी के दौरान चल रहे समय में किया था। इस इस्लामिक नेता को 30 दिसंबर, 2014 को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण द्वारा नौ में से पांच आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई थी। 28 जनवरी, 2015 को, उन्होंने अपीलीय प्रभाग में अपनी बेगुनाही का दावा करते हुए एक याचिका दायर की थी।
उसके बाद 19 जुलाई 2020 को अपीलीय विभाग के पास उसने संबंधित ब्रांच में याचिका दायर की थी और अब फुल बेंच ने सारा मामला सुनने के बाद उसे बरी कर दिया।
इसे लेकर एक बार फिर से बांग्लादेश में बढ़ती कट्टरता पर बहस छिड़ गई है। लोग कह रहे हैं कि यह कानूनी नहीं राजनीतिक मामला है और यह मोहम्मद यूनुस का जमात के सामने आत्मसमर्पण है।
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