गद्दार हर समयकाल में मौजूद रहे हैं। भारत जब-जब विदेशी आक्रांताओं से टकराया, तब-तब भीतरघात की कुल्हाड़ी ने उसकी जड़ों को कमजोर किया। आज जब भारत अपनी सैन्य रणनीति में निर्णायकता दिखा रहा है, आतंक के ठिकानों को नेस्तनाबूत कर रहा है, तब फिर से राष्ट्र को भीतर से खोखला करने की कोशिशें हो रही हैं। ऐसे में सुरक्षा बलों ने एक गुप्त अभियान छेड़ा है। इसका लक्ष्य है उन गद्दारों की पहचान करना, जो देश की संप्रभुता से खिलवाड़ कर दुश्मन को गोपनीय जानकारी पहुंचा रहे हैं।
पहलगाम हमले के बाद बदली दिशा
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिन्दूर के अंतर्गत सीमा पार पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। यह जवाब दिए जाना बेहद जरूरी था। अब सुरक्षा एजेंसियों की नजरें उन पर हैं जो भारत में रहकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को सहायता पहुंचा रहे हैं। खुफिया एजेंसियों और विभिन्न राज्यों की पुलिस ने अभी तक देश के विभिन्न हिस्सों से दर्जनों संदिग्धों को हिरासत में लिया गया है। इस अभियान का सबसे चौंकाने वाला चेहरा हिसार की यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा है। उसे पाकिस्तानी एजेंसियों को खुफिया जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उस पर आरोप है कि वह पाकिस्तानी एजेंटों के संपर्क में थी और वीडियो कंटेंट तथा तस्वीरों के माध्यम से संवेदनशील सूचनाएं उनके साथ साझा कर रही थी। पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले कई लोग उसके संपर्क में थे। इन सबको भी हिरासत में ले लिया गया है। उनसे पूछताछ की जा रही है।
यू-ट्यूबर्स और ट्रैवल ब्लॉगर पर शिकंजा
पंजाब पुलिस ने 823 यूट्यूबर्स और ट्रैवल ब्लॉगर को निगरानी में लिया है, जिनकी वीडियो सामग्री में पाक-प्रशंसक कंटेंट और संवेदनशील स्थानों की गतिविधियों की जानकारी साझा की गई थी। ये लोग सीमावर्ती क्षेत्रों, धार्मिक स्थलों और सैन्य ठिकानों की जानकारी अनजाने में नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से पाकिस्तान तक पहुंचा रहे थे। पंजाब के पुलिस महानिदेशक गौरव यादव के अनुसार, इन सभी अकाउंट्स और कंटेंट की विशेष तकनीकी टीम द्वारा निगरानी की जा रही है। जांच एजेंसियों के अनुसार करतारपुर गलियारा भी जासूसी के नए माध्यम के रूप में सामने आया है। इस गलियारे के माध्यम से अनेक ब्लॉगर और ट्रैवलर पाकिस्तान की एजेंसियों के संपर्क में आए और जानकारियां साझा करते रहे। इन सूचनाओं को लेकर केंद्र और राज्य एजेंसियां विशेष सतर्कता बरत रही हैं।
सोशल मीडिया बन रहा माध्यम
सिर्फ यूट्यूबर्स ही नहीं, बल्कि अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी जासूसी के माध्यम बने हुए हैं। पंजाब पुलिस ने इस वर्ष 10 अप्रैल तक 121 अकाउंट्स को ब्लॉक किया, जो पाकिस्तान और गैंगस्टर नेटवर्क से जुड़े थे। पिछले वर्ष यह आंकड़ा 483 था। इन अकाउंट्स के माध्यम से आईएसआई और बब्बर खालसा जैसे संगठनों ने भारतीय युवाओं को प्रभावित कर जासूसी गतिविधियों में झोंकने की कोशिश की।
जालंधर से पकड़ा गया पाक जासूस
गुजरात और जालंधर पुलिस के संयुक्त अभियान में भार्गव कैंप से मोहम्मद मुर्तजा अली नामक पाकिस्तानी जासूस को पकड़ा गया। वह गांधी नगर में एक आलीशान कोठी बनवा रहा था, जिसकी लागत डेढ़ करोड़ रुपये थी। जांच में सामने आया कि उसने भारतीय न्यूज चैनलों की एक विशेष एप्लिकेशन बनाकर देश की गोपनीय जानकारियां पाकिस्तान भेजी थीं। इसके बदले में उसे लाखों
रुपये मिले।
मलेरकोटला में गजाला और यामीन की गिरफ्तारी
6 मई को गजाला और यामीन नामक दो लोगों को पाकिस्तानी अधिकारी दानिश को सैन्य सूचनाएं देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। दानिश, जो नई दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग में तैनात था, उसने गजाला को पैसे देकर मुखबिरी पर लगाया और यामीन के माध्यम से उसे पैसे पहुंचाए।
अवैध सिम कार्ड से पाकिस्तान तक संपर्क
पठानकोट में गत 12 मई को नीरज कुमार नामक युवक को गिरफ्तार किया गया, जो अवैध सिम कार्ड पाकिस्तान भेज रहा था। यह सिम फर्जी दस्तावेजों के जरिए जारी किए गए थे। शिकायत मिलने पर जांच में इसका खुलासा हुआ। इसके अलावा बठिंडा में रकीब नाम के एक दर्जी को गिरफ्तार किया गया था। वह वह छावनी क्षेत्र में सेना के जवानों के कपड़े सिलता था और वहीं से वह कई गोपनीय जानकारी पाक एजेंसियों को भेज रहा था। उसके पास से दो मोबाइल और कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद हुए।
दौरांगल से दो जासूस पकड़े गए
गुरदासपुर के दौरांगल से सुखप्रीत सिंह और करनबीर सिंह को गिरफ्तार किया गया। ये दोनों ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी जानकारी पाकिस्तान की आईएसआई को भेज रहे थे। इनके मोबाइल फोन और गोला-बारूद जब्त किए गए हैं। इसके अलावा गुरदासपुर के तिब्बड़ी सैन्य छावनी के पास नारियल बेचने वाले दो युवकों, फायज हुसैन और बबलू को सेना की गतिविधियों की वीडियो बनाते हुए पकड़। पूछताछ में पता चला कि ये लोग उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इनके फोन में पाकिस्तानी नंबर और वीडियो मिले हैं। इस पूरे ऑपरेशन में सामने आए अधिकांश मामलों में दानिश ऐसा नाम है जो सबके संपर्क में था। पाकिस्तानी उच्चायोग तैनात दानिश आईएसआई के लिए काम कर रहा था। उसने ही जासूसी के लिए यह नेटवर्क खड़ा किया था।
आज जब भारत आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने में जुटा है, तब यह सुनिश्चित करना अनिवार्य हो गया है कि देश के भीतर बैठे ऐसे गद्दारों के चेहरे बेनकाब हों। ऑपरेशन मीर जाफर इस दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
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