कूटनीति : भारत का तरकश
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

भारत का तरकश भारी

आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के झूठ को दुनिया के सामने लाने के लिए भारत सरकार ने पक्ष-विपक्ष के नेताओं को विदेश भेजकर कूटनीतिक पंडितों को भी चाैंकाया

by अखिलेश वाजपेयी
May 26, 2025, 02:02 pm IST
in भारत, विश्लेषण
विदेश में पकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत द्वारा भेजे जा रहे प्रतिमंडल का नेतृत्व कर रहे रविशंकर प्रसाद, शशि थरूर, सुप्रिया सुले, बैजयंत पांडा, कनिमोझी, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे और संजय झा

विदेश में पकिस्तान को बेनकाब करने के लिए भारत द्वारा भेजे जा रहे प्रतिमंडल का नेतृत्व कर रहे रविशंकर प्रसाद, शशि थरूर, सुप्रिया सुले, बैजयंत पांडा, कनिमोझी, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे और संजय झा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान के दुष्प्रचार के विरुद्ध प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार का दुनिया के 33 देशों में पक्ष-विपक्ष के 51 राजनेताओं और कुछ राजनयिकों तथा अन्य विशिष्ट व्यक्तियों के आठ समूहों को भेजना केंद्र सरकार की दूरगामी कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा नजर आ रहा है। घोषित तौर पर वैश्विक राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण प्रमुख देशों के सामने भारत का पक्ष रखने का फैसला वास्तव में एक तीर से अनेक लक्ष्य साधता दिख रहा है।

अखिलेश वाजपेयी
वरिष्ठ पत्रकार

इसका लक्ष्य आतंकवादी गतिविधियों और पाकिस्तान की नीतियों के विरुद्ध भारत की एकजुटता को प्रदर्शित करना भर ही नहीं, अपितु पाकिस्तान को वैश्विक राजनीति के पटल पर अलग-थलग करना और उसके समर्थकों को भी बेनकाब करना है। साथ ही दुनिया को यह समझाना भी है कि पाकिस्तान की रीति-नीति और आतंकियों को समर्थन तथा संरक्षण न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि दुनिया के लिए खतरा है। इन समूहों की 33 देशों की यात्रा का मकसद यह संदेश देना भी है कि भारत अब अपने राष्ट्रीय हितों से किसी प्रकार का समझौता या खिलवाड़ स्वीकार नहीं करेगा।

यह प्रयास पाकिस्तान के इस दुष्प्रचार को निराधार साबित करने का भी दिखता है कि भारत में मुसलमान सुरक्षित नहीं हैं। यह संदेश देने का प्रयास भी है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मिता के मुद्दे पर देश का मुस्लिम समाज देश के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है। संभवतः इसीलिए प्रत्येक समूह में किसी न किसी प्रमुख मुस्लिम प्रतिनिधि को शामिल किया गया है। यही नहीं, समूहों की यात्रा के जरिये सरकार ने संभवतः विश्व को प्रजातांत्रिक व्यवस्था की शक्ति और सामर्थ्य का संदेश देने की भी योजना बनाई है। कोशिश यह संदेश देने की कि विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र की नीतियां पूरी तरह स्पष्ट हैं। अगर ज्यादातर दलों के राजनेता भारत का पक्ष रखने और पाकिस्तान के दुष्प्रचार की पोल खोलने की यात्रा पर निकले हैं तो दुनिया को यह समझ लेना चाहिए कि भारत उनमें नहीं है जो सत्ता के आने-जाने के साथ नीतियां बदलता है। सरकार कोई भी हो, लेकिन नीति एक ही है और वह यह कि आतंकवाद किसी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है।

कांग्रेस फिर कठघरे में

हालांकि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मोदी सरकार की इस पहल को लेकर कुछ विवाद भी सार्वजनिक हो रहे हैं, जिससे कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय हितों की नीतियों को लेकर एक बार फिर लोगों के सवालों के कठघरे में खड़ी हो गई है। खासतौर से इन समूहों में शामिल कुछ राजनेताओं के नामों विशेषकर शशि थरूर को लेकर कांग्रेस की तरफ से जिस तरह विवाद सार्वजनिक हुआ है, उसने एक बार फिर वैश्विक मोर्चे पर देश की एकजुटता को लेकर दुनिया में भारत विरोधियों विशेषकर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों को सवाल उठाने का मौका दे दिया है। लेकिन इसके बावजूद इस समूह की कूटनीतिक यात्रा के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता। कांग्रेस कह रही है कि उससे पूछकर थरूर का नाम शामिल करना चाहिए था लेकिन कांग्रेस को भी यह आत्ममंथन करना चाहिए, आखिर क्यों उसके सुझाए नामों पर विचार नहीं किया गया? इससे कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान भी सार्वजनिक हो गई और लोगों को यह सवाल उठाने का मौका मिल गया कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को राष्ट्रीय हितों से ज्यादा अपने हितों की चिंता है। मुस्लिम वोट साधने की फिक्र है।

कुछ दलों की चुनौती बढ़ेगी

कांग्रेस ही नहीं, कुछ और दलों ने भी इस समूह के लिए जिस तरह के नाम दिए और सरकार ने उन्हें खारिज कर दिया, उसने देश के भीतर कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं के लिए भविष्य के लिए चुनौतियां बढ़ा दी है। हालांकि ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस की तरह सरकार की आपत्ति के बाद टकराव पर उतरने की बजाय यूसुफ पठान का नाम वापस लेकर उनकी जगह अभिषेक बनर्जी का नाम दिया है। लेकिन ये सवाल तो अपनी जगह बने ही रहेंगे कि प्रारंभ में कांग्रेस या अन्य कुछ दलों ने वे नाम ही क्यों दिए जिनकी निष्ठा पाकिस्तान को लेकर सहानुभूति के चलते सवालों में घेरे में चली आ रही है। देश की सबसे पुरानी पार्टी और मुख्य विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस से देश की सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर तो यह सावधानी बरतने की उम्मीद तो की ही जानी चाहिए कि वह कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी, जिससे देश की सुरक्षा और सेना की क्षमता पर सवाल उठे, राष्ट्र के सम्मान को ठेस पहुंचे। पर, दुर्भाग्य से कांग्रेस यह सावधानी नहीं बरत पाई।

पाकिस्तान पर शिकंजा

दरअसल, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर पाकिस्तान ने भारत के विपक्ष के कुछ नेताओं के बयानों को आधार बनाकर अपने यहां झूठी खबरें प्रसारित करवाईं। भारत की इस घोषणा के बावजूद कि उसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए सिर्फ पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाया है, हमने नागरिकों या पाकिस्तान के किसी सैन्य ठिकाने पर हमला नहीं किया। सत्य क्या है इसका पता होने के बाद भी पाकिस्तान बार-बार दुनिया भर में भारत के विरुद्ध भ्रम और भ्रांतियां फैला रहा है और भारत का डर दिखाकर दुनिया भर से आर्थिक मदद मांग रहा है, आतंकियों के खिलाफ की गई कार्रवाई को युद्ध जैसे हालात बता रहा है।

पाकिस्तान के इस एजेंडे को ध्वस्त करने के लिए केंद्र सरकार के लिए यह जरूरी था कि वह पूरे विश्व के सामने सच्चाई को उजागर करे। वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल कहते हैं, ”सुरक्षा परिषद का सदस्य होने का लाभ उठाकर पाकिस्तान पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर दुनिया में जिस तरह भ्रम फैला रहा है। साथ ही अपने यहां आतंकियों को मिल रहे संरक्षण से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए भारत में मुसलमानों के अस्तित्व पर खतरा होने की बात कह रहा है, वह भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा और सैन्य क्षमता को चुनौती देने वाला है। भारत जिस तरह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की तरफ अग्रसर है, उसे देखते हुए भारत के लिए पाकिस्तान के हर दुष्प्रचार का जवाब देना जरूरी हो गया है।

सुरक्षित भारत का संदेश

उरी और पुलवामा के बाद कश्मीर घूमने गए पर्यटकों की पहलगाम में उनका धर्म पूछकर आतंकियों के हाथों क्रूर और नृशंस हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तानी आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इससे एक बार फिर विश्व को यह संदेश गया कि पाकिस्तान आतंकवादियों को पालने-पोसने से बाज नहीं आ रहा। भारत ने पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलाबारी का आक्रामक जवाब और उसके सभी ड्रोन एवं मिसाइल हमलों को विफल कर तथा पाकिस्तान के कई एयरबेस और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर सटीक निशाना साध उन्हें तबाह कर पूरे विश्व को अपनी सैन्य शक्ति एवं क्षमता का लोहा मनवा दिया। पर, संघर्ष विराम के बाद पाकिस्तान ने जिस तरह भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार शुरू किया है उसे देखते हुए उसके लिए इस तरह के प्रतिनिधिमंडल भेजकर दुनिया के सामने पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब करना जरूरी हो गया था। कारण, तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर भारत के लिए दुनिया को यह विश्वास दिलाना बहुत जरूरी है कि वह न सिर्फ सशक्त है, बल्कि शांत भी है। भारत किसी तरह की अशांति फैलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। इसलिए भारत में निवेश पूरी तरह से सुरक्षित है और यहां दुनिया के उद्यमियों को अपने उद्योगों के विस्तार के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

मुस्लिम कार्ड को मिलेगी मात

अतीत में भी इस तरह के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों को भेजा जाता रहा है। दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हाराव ने उस समय लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार से जुड़े सत्र में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा था। स्वाभाविक रूप से इस तरह के प्रतिनिधिमंडल जब दुनिया के किसी देश में भारत का पक्ष रखते है तो वे यह संदेश भी देते हैं कि दलीय मतभेदों के बावजूद राष्ट्रीय हितों पर भारत पूरी तरह एकजुट है। स्वाभाविक रूप से इससे संसार में सकारात्मक संदेश जाता है। इस समूह में मुस्लिम चेहरों की मौजदूगी से दुनियाभर में भारत का यह संदेश मजबूती से जाएगा कि पाकिस्तान द्वारा भारतीय मुसलमानों पर अत्याचार और उत्पीड़न का दुष्प्रचार पूरी तरह मिथ्या है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक राष्ट्र है। इस कारण वहां राजनीतिक मतभेद दिखते हैं, लेकिन राष्ट्रनीति पर पूरा देश एकजुट है।

शांति का मतलब शक्तिहीन नहीं

मोदी सरकार विश्व को संभवतः यह संदेश भी देना चाहती है कि पाकिस्तान के गिड़गिड़ाने पर ही भारत ने अपना आक्रमण रोका है। आक्रमण रोकने का अर्थ यह नहीं है कि भारत कहीं से कमजोर है। वह चाहता तो इस बार भी पाकिस्तान का भूगोल बदल सकता था, लेकिन उसने ऐसा सिर्फ इसलिए नहीं किया क्योंकि उसकी नीति और मानसिकता विस्तारवादी नहीं है। उसने पाकिस्तान पर अपने हमले इसलिए रोके, क्योंकि वह ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के संकल्प को पर चलने वाला देश है। वह शांति से रहना चाहता है और उसकी पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों से भी शांति से रहने की अपेक्षा है। पर, इसका मतलब यह नहीं है कि वह शक्तिहीन है। दुनिया भी समझ ले कि भविष्य में पाकिस्तान के इस तरह के किसी दुस्साहस को बरदाश्त नहीं किया जाएगा। इस बार से भी अधिक कड़ा जवाब मिलेगा।

निशाना सिर्फ आतंकवाद

मोदी सरकार ने इन समूह के जरिए दुनिया के सामने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के सहयोगियों को बेनकाब करने और दुनिया के सामने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति के दावों की पोल खोलने की भी तैयारी की है। स्वाभाविक है कि सभी समूह अपने साथ आतंकवाद को पाकिस्तान के संरक्षण और उसके भारतीय सीमा में घुसपैठ करने तथा जवाब में भारतीय सेना की तरफ से की गई कार्रवाई के पुख्ता प्रमाण लेकर जाएंगे। भारतीय कूटनीतिक समूहों की कोशिश दुनिया को यही संदेश देने की है कि भारत का लक्ष्य किसी देश को जीतना नहीं, बल्कि सिर्फ आतंकवाद को खत्म करना है। पर, यदि कोई आतंकवादियों को संरक्षण और सहयोग देकर भारत में अशांति पैदा करने की कोशिश करेगा तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। ऐसी किसी भी घटना का जवाब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से भी अधिक कड़ा होगा।

पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश

स्वाभाविक रूप से ये कूटनीतिक समूह जब दुनिया के इन प्रमुख देशों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में मारे गए आतंकियों के जनाजे में शामिल पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों की तस्वीरों और मारे गए आतंकियों तथा उनके परिजनों को दिए गए राजकीय सम्मान का मुद्दा उठाकर भी पाकिस्तान को घेरेंगे तो किसी भी देश के लिए सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान का बचाव करना मुश्किल होगा। सवाल है कि यह काम तो सरकार स्वयं भी कर सकती थी। निश्चित रूप से कर सकती थी, लेकिन तब उतना गहरा, गूढ़ लेकिन दूरगामी संदेश नहीं जाता जो इन सर्वदलीय एवं राजनयिकों के समूहों के जरिए जाएगा। कारण, प्रतिनिधिमंडल में कई चेहरे न सिर्फ वैश्विक राजनीति पर अपनी गहरी दृष्टि रखने वाले हैं, बल्कि शशि थरूर, सैयद अकबरुद्दीन, मनीष तिवारी, रविशंकर प्रसाद, ओवैसी को विदेशों से भारत के कूटनीतिक रिश्तों और रणनीति की गहन जानकारी है।

सक्षम सैन्य सामग्री के निर्माण संदेश

भारत की रणनीति इस तरह के कूटनीतिक प्रयास से दुनिया को भारतीय सेना के शौर्य और सामर्थ्य के संदेशों को समझाना भी है। सरकार यह थाह भी लेना चाहती है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत की सैन्य शक्ति और क्षमता को लेकर दुनिया में किस तरह की हलचल है। दुनिया ने इसे किस रूप में लिया है। अर्थशास्त्री प्रो. अम्बिका प्रसाद तिवारी कहते हैं कि इन कूटनीतिक समूहों की यात्रा का एक उद्देश्य देश में रक्षा उत्पादों की प्रगति और उनकी सटीक प्रहार क्षमता तथा सैन्य युद्ध कौशल का दुनिया को संदेश देना भी है। ध्यान देने वाली बात है कि अमेरिका के औद्योगिक विकास का प्रमुख आधार वहां का सैन्य सामग्री उत्पादन क्षेत्र ही है।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय सेना ने जिस तरह पाकिस्तान के शत-प्रतिशत मिसाइल और ड्रोन हमलों को विफल किया और दूसरी तरफ पाकिस्तान के भीतर आक्रमण कर उनके यहां मौजूद आतंकी ठिकानों के साथ उनके कई एयर बेस तबाह कर दिए, उसके चलते इन दिनों विश्वभर में भारत के एयर डिफेंस सिस्टम सहित अन्य कई अस्त्रों की चर्चा है। इनमें कई तो पूरी तरह स्वदेशी है जिन्हें देश में ही विकसित किया गया है। स्वाभाविक रूप से ये समूह इस पर भी चर्चा करेंगे। इसलिए आश्चर्य नहीं कि इन समूहों की यात्रा से भारत भी दुनिया में सैन्य सामग्री का निर्यात करने वाले प्रमुख देशों की सूची में सम्मानजनक स्थान दिलाती नजर आए।

Topics: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीममता बनर्जीपाञ्चजन्य विशेषऑपरेशन सिंदूरकूटनीतिक रणनीतिराष्ट्रीय सुरक्षा और अस्मितालोकतांत्रिक राष्ट्र की नीतियांपाकिस्तान पर शिकंजाभारत का संदेशआतंकवाद
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस: छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

India democracy dtrong Pew research

राहुल, खरगे जैसे तमाम नेताओं को जवाब है ये ‘प्‍यू’ का शोध, भारत में मजबूत है “लोकतंत्र”

कृषि कार्य में ड्रोन का इस्तेमाल करता एक किसान

समर्थ किसान, सशक्त देश

उच्च शिक्षा : बढ़ रहा भारत का कद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वाले 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies