विश्लेषण

ध्रुव राठी ने पहले किया सिख धर्म और गुरुओं का अपमान, अब पारदर्शिता का ढोंग

ध्रुव राठी ने कुछ समय पहले अपने यूट्यूब चैनल पर 'द सिख वॉरियर हू टेरीफाइड द मुगल्स' और 'द राइज ऑफ सिख' जैसे शीर्षकों के साथ वीडियो अपलोड किए, जिसमें सिख गुरुओं और उनके इतिहास को एआई-जनरेटेड एनिमेशन के माध्यम से दर्शाया

Published by
आशीष कुमार अंशु

ध्रुव राठी, एक यूट्यूबर, जो जर्मनी में बैठकर भारत में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी एकपक्षीय राय रखने के लिए जाने जाते हैं। वह हाल ही में सिख गुरुओं के अपमान से जुड़े एक बड़े विवाद में फंस गए।

कुछ समय पहले राठी ने अपने यूट्यूब चैनल पर ‘द सिख वॉरियर हू टेरीफाइड द मुगल्स’ और ‘द राइज ऑफ सिख’ जैसे शीर्षकों के साथ वीडियो अपलोड किए, जिसमें सिख गुरुओं और उनके इतिहास को एआई-जनरेटेड एनिमेशन के माध्यम से दर्शाया। इन वीडियोज में गुरु गोबिंद सिंह जी और गुरु तेग बहादुर जी जैसे पूजनीय सिख गुरुओं को गलत तरीके से चित्रित करने का आरोप लगा, जिससे सिख समुदाय में भारी रोष फैल गया।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) और सिख नेताओं ने इसे सिख धर्म और गुरुओं का अपमान करार दिया, जिसके बाद राठी ने वीडियो हटा लिया। लेकिन यह घटना उनके दावों और चरित्र पर कई सवाल खड़े करती है।

दिखावे का सर्वेक्षण ध्रुव की धूर्तता

ध्रुव राठी ने अपने वीडियो के लिए एक सर्वेक्षण का हवाला दिया, जिसमें दावा किया कि उन्होंने सिख समुदाय की राय ली थी। लेकिन सिख समुदाय का कहना है कि यह सर्वेक्षण केवल एक दिखावा था। एसजीपीसी के महासचिव गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने राठी पर सिख इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया और कहा कि सिख गुरुओं की छवि को एआई के माध्यम से दर्शाना सिख परंपराओं के खिलाफ है, जहां गुरुओं की तस्वीरें बनाना वर्जित है। दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने भी राठी के वीडियो को तथ्यात्मक रूप से गलत और सिख भावनाओं का अपमान करने वाला बताया।

राठी ने विरोध के बाद वीडियो हटा लिया और माफी मांगी, लेकिन यह माफी कई लोगों को खोखली लगी। यदि वह वास्तव में पारदर्शी होते, तो यह स्पष्ट करते कि वीडियो बनाने के पीछे उसका मकसद क्या था और इसे किसके इशारे पर बनाया गया?

यह पहली बार नहीं है जब राठी पर प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप लगा है। वह अपनी छवि को एक निष्पक्ष और पारदर्शी पत्रकार के रूप में पेश करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनके कार्यों में वह पारदर्शिता नजर नहीं आती।

संदिग्ध कनेक्शन

ध्रुव राठी के यूट्यूब करियर की शुरुआत में ही उन्हें आम आदमी पार्टी और एनडीटीवी जैसे मीडिया हाउसेज से अप्रत्याशित समर्थन मिला। जब उनका चैनल ज्यादा लोकप्रिय नहीं था, तब भी उनकी पहुंच और प्रचार ने कई सवाल उठाए।

सोनीपत में उनके गांव के रिश्तेदार उसके परिवार के संबंध में कुछ नहीं जानते। उन्हें सिर्फ उनके बुजुर्ग दादा—दादी के संबंध में पता है। जिसे ना ध्रुव के माता-पिता अपने साथ ले गए और ना ही ध्रुव उनकी देखभाल के लिए उनके पास हैं। वह दुनिया से पारदर्शिता की मांग करते हैं, लेकिन उनके परिवार और खुद का जीवन बड़ा ही रहस्यमयी है। इसीलिए कुछ लोग यह सवाल उठाते हैं कि क्या राठी किसी बड़े एजेंडे का हिस्सा हैं, जो भारत में निश्चित राजनीतिक दलों या विदेशी हितों को बढ़ावा देने के लिए काम करते हैं।

भारत सरकार और भाजपा के खिलाफ अभियान

यह बात ध्रुव के लिए छुपी हुई नहीं है कि वह भारत सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लगातार अभियान चला रहे हैं। अपने वीडियो में खुद को निष्पक्ष बताकर एक पक्षीय बात करना, उनके इरादों पर सवाल उठाता है।

उदाहरण के लिए, 2024 में उसने अपने वीडियो ‘डरा हुआ डिक्टेटर’ में भारत सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया। यह वीडियो भारत में कांग्रेस, राजद, सपा और इंडी गठबंधन के अन्य समर्थक दलों के आईटी सेल द्वारा खुब प्रचारित प्रसारित हुआ। यह कैसी तानाशाही की एक तीस साल के लड़के का चैनल सरकार अभी तक प्रतिबंधित नहीं कर पाई। फिर कैसी तानाशाही!

निष्पक्षता के दावों की पोल खुली

ध्रुव राठी बार बार एक्सपोज होते हैं। एक बार फिर इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर उसकी एकतरफा आलोचना ने उसके निष्पक्षता के दावों की पोल खोल कर रख दी। अब तक ध्रुव राठी ने अपने यू ट्यूबर कॅरियर के इतिहास में उन दलों की आलोचना नहीं की है, जिनके आईटी सेल सदस्य की तरह वह काम करते हुए दिखाई देते हैं।

परिवार और पृष्ठभूमि पर रहस्य

ध्रुव राठी की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर भी बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। उनके माता-पिता या उनके गांव के पड़ोसियों से संबंधित कोई ठोस जानकारी सार्वजनिक नहीं है। यह असामान्य है, क्योंकि एक व्यक्ति जो इतने बड़े पैमाने पर सार्वजनिक मंच पर बोलता है, उसकी पृष्ठभूमि पर इतना रहस्य क्यों है? यह रहस्य उनके दावों की विश्वसनीयता को और कम करता है।

वह खुद को चाहे एक निष्पक्ष और पारदर्शी पत्रकार के रूप में पेश करें, लेकिन उनके कार्यों में यह पारदर्शिता नजर नहीं आती। सिख समुदाय का गुस्सा और उनके खिलाफ उठी आवाजें यह दर्शाती हैं कि उनकी विश्वसनीयता अब सवालों के घेरे में है। यदि राठी वास्तव में पारदर्शी और निष्पक्ष होना चाहते हैं, तो अपने इरादों, समर्थन और पृष्ठभूमि को स्पष्ट करना चाहिए। अन्यथा, दोहरे चरित्र और प्रोपेगेंडा फैलाने का आरोप हमेशा बना रहेगा।

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