विनोद बंसल राष्ट्रीय प्रवक्ता विहिप
टीएमसी अक्सर भारत के साथ खड़े होने में क्यों कतराती है!! जब बात भारत की, भारतीयता की और भारत की संप्रभुता की आती है तो वह क्यों भागती हुई नजर आती है? उसको क्यों लगने लग जाता है कि पश्चिम बंगाल भारत में नहीं बांग्लादेश में है?
जब 51 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल 30 से अधिक देशों की यात्रा के लिए आतंक के समूल नाश व विश्व शांति के वैश्विक जागरण हेतु भारत का एक बड़ा संदेश लेकर जा रहा है, तो उसका साथ देने में टीएमसी क्यों कतरा रही है? ये प्रतिनिधिमंडल 32 देशों के साथ ब्रुसेल्स में यूरोपीय यूनियन के मुख्यालय का भी दौरा करेगा। यह तो एक राष्ट्र भक्त के लिये गौरव का विषय होना चाहिए कि केंद्र सरकार ने उसे उस प्रतिनिधि मंडल में सामिल कर एक बड़ा अवसर प्रदान किया। किंतु उसके विपरीत वह अपने सांसदों को भेजना ही नहीं चाहती। आखिर क्यों?
क्या यह माना जाए की इस्लामिक कट्टरपंथियों और बांग्लादेशी घुसपैठियों के सामने पार्टी सरेंडर कर चुकी है? क्या उसको अपना वह जिहादी वोट बैंक खिसकने का डर सता रहा है, जो सीमा पार से अवैध रूप से घुसकर पाकिस्तानी मानसिकता को राज्य व देश के हितों पर थोप रहा है? जब बात राष्ट्र की हो और कोई सांसद ये कहे कि “मैं उपलब्ध नही हूं”, इसका अर्थ सब समझते हैं। जो व्यक्ति या दल राष्ट्र के शत्रुओं की पोल खोलने के लिए या सेनाओं की शौर्यगाथाओं के लिए ‘उपलब्ध ना हो’ सके उसे क्या कहेंगे, यह बात राष्ट्रभक्त जनता अच्छी तरह जानती है!!
आशा है कि ममता दीदी कभी ना कभी तो पाक-प्रेमियों के चंगुल से मुक्त होकर घर-वापसी अवश्य करेंगी और अपने इस प्रकार के निर्णयों पर पुनर्विचार भी करेंगी। स्मरण रहे कि बंगाल की बुद्धिमान व राष्ट्रभक्त जनता सब समझ भी रही है और पार्टी की करतूतों को नोट भी कर रही है।
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