जब एक देश हमेशा शांति और सद्भाव की बात करता है, वहीं दूसरा देश आतंकी गतिविधियों को समर्थन देता है, तो व्यापारिक समझौतों और कूटनीतिक संवाद अस्वीकार्य है।
भारत ने लंबे समय तक शांतिपूर्वक संबंध बनाए रखने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की नीयत और नीतियों में बदलाव नहीं आया। अब भारत की नीति स्पष्ट है- शांति की पहल हमारी मजबूरी नहीं, हमारी संस्कृति है। लेकिन यदि अस्मिता पर हमला होगा तो जवाब अपनी शर्तों पर और पूरे बल के साथ दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी सैन्य और रणनीतिक ताकत का परिचय दे दिया है। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि 140 करोड़ देशवासियों की ओर से दिया गया एक सख्त संदेश है। जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देगा, उससे किसी भी प्रकार का संबंध संभव नहीं है, न कूटनीतिक और न ही आर्थिक। ऐसे समय में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की ये पंक्तियां बार-बार स्मरण होती हैं-
हित-वचन नहीं तूने माना,
मैत्री का मूल्य न पहचाना,
तो ले, मैं भी अब जाता हूं,
अंतिम संकल्प सुनाता हूं।
हमने कई अवसर दिए, कई यत्न किए, लेकिन अब यह स्पष्ट है कि भारत न तो आतंकी हमलों को सहन करेगा और न ही ऐसे राष्ट्र से व्यापारिक संबंध रखेगा। हमारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिद्धांतों की रक्षा का संकल्प था और भारत ने सिद्ध किया कि अब वह हर मोर्चे पर वह विजयी और सजग है।
टिप्पणियाँ