कुसुम
गत दिनों दिल्ली के नरेला में कुसुम नामक एक छात्रा का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। इसके बाद उसके परिवार के लोगों ने उसकी किडनी, लिवर, आंत और आंखें दान करने का निर्णय लिया। चिकित्सकों ने उसके इन अंगों को निकाला और उन्हें दिल्ली और मुंबई में रहने वाले कुछ जरूरतमंदों को भेजा।
कुसुम के पिता सुधीर गुप्ता दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर होने के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, स्वतंत्र नगर (नरेला) के सह नगर कार्यवाह हैं। पुत्री के निधन से बेहद दुखी सुधीर गुप्ता ने बताया कि जीवन किसी के काम आए, इसी भाव के साथ परिवार ने अंगदान करने का निर्णय लिया।
कुसुम मिरांडा हाउस कॉलेज में बीएलएड (बीए-बीएड) कोर्स में अंतिम वर्ष में पढ़ती थी। वह 13 अप्रैल को अपनी छोटी बहन अंजलि के साथ स्कूटी से बड़ी बहन के घर जा रही थी। नरेला के स्मृति वन के पास उसकी स्कूटी को किसी वाहन ने टक्कर मार दी। इससे वे घायल हो गए। अस्पताल में चिकित्सा हुई। अंजलि तो ठीक होकर घर लौट आई, लेकिन कुसुम के साथ ऐसा नहीं हुआ। अस्पताल में लगभग 15 दिन तक कुसुम का उपचार चला, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती गई।
अंत में चिकित्सकों ने उसे ‘ब्रेन डेड’ घोषित कर दिया। ऐसे में किसी मरीज को बचाना आसान नहीं होता। सुधीर गुप्ता ने बताया कि कुछ समय पहले एक सज्ज्न ने बताया था कि ‘ब्रेन डेड’ की अवस्था में मरीज के अंगों को दान करने से कई जरूरतमंदों को नया जीवन मिल सकता हैै। इसलिए परिवार ने कुसुम के अंगों को दान करने का निर्णय लिया। सुधीर गुप्ता कहते हैं, ‘‘कुसुम ने एक बार कहा था कि ‘पापा, मैं ऐसा काम करूंगी कि आपको गर्व होगा। यह गर्व की अनुभूति मुझे इस तरह होगी, यह मैंने सपने में भी नहीं सोचा था।’’
Leave a Comment