पहलगाम में धर्म देखकर हुए आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा कई तरह के कदम उठाए जा रहे हैं, और इनमें एक महत्वपूर्ण कदम है भारत में पाकिस्तानी ड्रामा चैनलों पर प्रतिबंध। इन चैनलों पर आने वाले ड्रामा भारत में बहुत लोकप्रिय थे। ये यूट्यूब पर काफी देखे जाते थे और जो कमेन्ट सेक्शन होता था, उसमें पूछा भी जाता था कि कौन-कौन भारत से देख रहा है।
आज से लगभग आठ-दस वर्ष पहले जो धारावाहिक (जिन्हें पाकिस्तानी ड्रामा) कहते हैं, दिखाए जाते थे, उनमें पाकिस्तान की सामाजिक समस्याएं और मुद्दे दिखाए जाते थे। मध्यवर्गीय पाकिस्तान की झलक दिखाई देती थी। जिस जकड़न में वहां का समाज है, वह स्पष्ट दिखाई जाती थी। जैसे कि यदि एक लड़की किसी लड़के के कारण घर छोड़ आई है और यदि वह लड़का उसे नहीं मिला और यदि उसे किसी बूढ़े व्यक्ति ने भी सहारा दिया, तो वह उसे निकाह में लेगा, जैसे मुद्दे उठाए जाते थे।
लड़की की ओर से जैसे प्रश्न होते थे कि क्या निकाह के अतिरिक्त और कोई रिश्ता नहीं है। मध्यवर्ग की और मजहब की ओर से लगाई गई तमाम पाबंदियां उन धारावाहिकों का हिस्सा हुआ करती थीं। मगर जैसे-जैसे भारतीय दर्शकों की संख्या में वृद्धि हुई, वैसे-वैसे ऐसा प्रतीत होने लगा कि जो ड्रामा बन रहे हैं, वे भारतीयों को ही निशाना बनाकर बनाए जा रहे हैं। वे भारतीय दर्शकों की रुचि के अनुसार ही बनाए जा रहे हैं।
यहां तक कि कई ड्रामा में तो हिन्दू कल्चर को ही मुस्लिम कल्चर के रूप में दिखा दिया गया था और विवाद भी हुआ था। एक बेहद लोकप्रिय ड्रामा मेरे हमसफ़र में, दादी की मौत के दृश्य में, शोक मनाते लोगों को सफेद कपड़े पहने दिखाया गया था। जबकि मुस्लिमों में शोक के समय काले कपड़े पहने जाते हैं।
इसे लेकर विवाद हुआ था और मेरे हमसफ़र के निर्माताओं पर यह आरोप लगे थे कि उन्होनें भारत के हिन्दू दर्शकों के अनुसार ही ड्रामा को आगे बढ़ाया है। धीरे-धीरे पाकिस्तानी ड्रामा से मध्यम वर्ग और मजहब की पाबंदियां जैसे गायब ही हो गईं। किसी भी सामाजिक मुद्दे को लेकर सहज ड्रामा नहीं बनाए जाते हैं।
सभी ड्रामा में उच्च वर्ग दिखाया जाता है और मेक अप करी हुई महिलाएं होती हैं, जिनके मन में बचपन से ही केवल और केवल शादी का सपना होता है। शादी के अलावा और कोई मामला नहीं होता है। या फिर इश्क की कहानियां होती हैं।
इश्क की रूमानियत के बहाने मुस्लिम युवकों की ऐसी छवि इन ड्रामा के माध्यम से ऐसी बनाई जा रही थी, कि वे सबसे अधिक प्यार करने वाले और अपनी “औरतों” की हिफाजत करने वाले शौहर हैं। हक-ए-मेहर आदि का महिमामंडन किया जा रहा था और पाकिस्तानी ही नहीं बल्कि पूरा मुस्लिम समाज दहेज जैसी समस्या से जूझ रहा है, उस पर भी बहुत कम दिखाया जाता था। सारा जोर केवल और केवल यह साबित करने पर था कि कैसे पाकिस्तानी (मुस्लिम) युवक बहुत ही कमाल शौहर होते हैं।
कज़िन मैरिज पर जोर
इन दिनों पूरे विश्व में कज़िन मैरिज अर्थात निकटतम संबंधों में शादी के कारण पैदा होने वाली तमाम आनुवांशिक बीमारियों पर बात हो रही है और कई रिपोर्ट्स आ रही हैं, मगर इन सभी ड्रामा में कज़िन मैरिज को बहुत ही आम बताया जा रहा था और साथ ही उसका महिमामंडन भी किया जा रहा था। हाल ही में बीबीसी ने ब्रिटेन में पाकिस्तानी मुस्लिमों के मध्य होने वाली इस कज़िन मैरिज के कारण बढ़ रहे रोगों और दुष्प्रभावों पर रिपोर्ट जारी की थी।
ब्रिटेन में कज़िन मैरिज पर प्रतिबंध की भी मांग की जा रही है। तमाम तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उन बच्चों को हो रही हैं, जो फर्स्ट कज़िन के साथ शादी के बाद पैदा हुए हैं। पाकिस्तान को लेकर भी कई तरह की रिपोर्ट्स समय-समय पर प्रकाशित होती रहती हैं, मगर इन ड्रामा में एक बार भी इन समस्याओं का उल्लेख नहीं होता है।
बेअदबी के कानून के दुरुपयोग पर भी कोई ड्रामा नहीं
पाकिस्तान में बेअदबी को लेकर पुरुषों को ही नहीं बल्कि महिलाओं को भी निशाना बनाया जाता है और हाल-फिलहाल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, मगर यह भी हैरत की बात है कि किसी भी लोकप्रिय ड्रामा में इस समस्या का कोई उल्लेख ही नहीं था।
पाकिस्तानी ड्रामा जो आते हैं, उनमें न ही हलाला को लेकर कोई कहानी थी और न ही तलाक के बाद के जीवन को लेकर। बस पाकिस्तानी पुरुषों की छवि चमकाने के लिए और पाकिस्तान की स्वच्छ छवि बनाने के लिए ये ड्रामा बनाए जा रहे हैं।
जगजीत सिंह का वीडियो वायरल
जब पाकिस्तानी मनोरंजन उद्योग पर भारत ने पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया हुआ है, तो उस समय पाकिस्तान के विषय में भारत के गजल गायक जगजीत सिंह का वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में उनसे पाकिस्तानी संगीत के बारे में प्रश्न पूछा जाता है, तो वे उत्तर देते हुए कहते हैं कि पाकिस्तानी संगीत क्या होता है? पाकिस्तान का कोई म्यूज़िक नहीं है। जो है सब भारत का है। जो भी कला और संगीत है, उनकी देवताओं ने रचना की है। मुस्लिमों के ईमान में तो नाचना, गाना हराम है तो वे कैसे हो जाएगा?
Jagjeet Singh👀Music was created by Devtas, Music originated in India, Pakistan don't have their own music because Music is no permitted in Islam👇🏼 pic.twitter.com/dwSGm7hqz0
— 卐//KROENEN//卐 (@nepolionking72) May 2, 2025
उन्होंने कहा था कि वे जो भी बंदिश गाते हैं, वे भारत की ही गाते हैं।
यह वास्तव में सोचने की बात है कि जब इस्लाम में संगीत और कला हराम है तो पाकिस्तानी ड्रामा आखिर किसलिए बनाए जा रहे हैं? और क्या ये भी कोई नई चाल है?
जो भी है, पाकिस्तानी ड्रामा चैनलों पर प्रतिबंध लगने से पाकिस्तान के कलाकार भी बेचैन हैं। वे बेचैन इसलिए हैं क्योंकि उनके ड्रामा के दर्शक सबसे ज्यादा भारतीय ही हैं और उनके ऐशो-आराम भारतीयों के व्यूज के कारण ही हैं। मगर फिर भी आज तक इन पाकिस्तानी ड्रामा में, पाकिस्तानी हिंदुओं की पीड़ा को एक बार भी नहीं दिखाया है।
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