व्हाइट हाउस की वेबसाइट पर नए सिरे से कोविड-19 लैब-लीक थ्योरी पर एक पूरा पेज प्रकाशित किया गया है। इसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन और डॉ. एंथनी फौसी पर कोरोना वायरस की उत्पत्ति को दबाने का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि SARS-CoV-2 चीन के वुहान से निकला है। ‘लैब लीक’ शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक तस्वीर ने इस मसले को फिर से अंतरराष्ट्रीय विमर्श में ला दिया है।

चिकित्सक
अब तक कोविड-19 को लेकर दो सिद्धांत सामने आए थे-पहला, वुहान के ‘वेट मार्केट’ से चमगादड़ों के माध्यम से कोरोना वायरस मनुष्यों में फैला और दूसरा, वायरस वुहान की वायरोलॉजी लैब से लीक हुआ। इस नए खुलासे ने दूसरे सिद्धांत को अत्यधिक प्रमाणित किया है। यह रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की 118वीं सेलेक्ट सब-कमेटी ऑन द कोरोना वायरस पैंडेमिक, जिसकी अध्यक्षता सांसद ब्रैड वेनस्ट्रप कर रहे हैं, द्वारा तैयार की गई है। उन्होंने इसे अपने जीवन का ‘अब तक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य’ बताया है।
जांच में सामने आए 5 प्रमुख तथ्य
कोरोना वायरस में ऐसी जैविक विशेषताएं पाई गईं, जो स्वाभाविक वायरस में नहीं होतीं। एकल बिंदु उद्गम-आंकड़ों से स्पष्ट है कि वायरस मानवों में एक ही स्रोत से फैला, न कि कई बार ‘स्पिलओवर’ की तरह। वुहान की वायरोलॉजी लैब में गेन ऑफ फंक्शन यानी जी.ओ.एफ. शोध का इतिहास रहा है, जो जैव सुरक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं था। डब्ल्यू. आई. वी. के कुछ शोधकर्ता शरद ऋ तु में ही कोविड जैसे लक्षणों से ग्रस्त थे। यदि वायरस की उत्पत्ति स्वाभाविक होती, तो अब तक उसका ठोस वैज्ञानिक प्रमाण मिल गया होता।
आरोपों की शृंखला
- जी.ओ.एफ. शोध की लापरवाही – रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 संभवतः एक प्रयोगशाला दुर्घटना का परिणाम है।
- इकोहेल्थ एलायंस की भूमिका – डॉ. पीटर दासज़क के नेतृत्व वाली संस्था ने एन. आई.एच. अनुदान शर्तों का उल्लंघन कर चीन में जी.ओ.एफ. अनुसंधान को बढ़ावा दिया।
- एन.आई.एच. की विफलताएं – राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान (एनआईएच) की निगरानी प्रणाली विफल रही, जिससे जन स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा, दोनों को खतरा पैदा हुआ।
- डॉ. डेविड मोरेंस और डॉ. फौसी की भूमिका – जान-बूझकर दस्तावेजों को नष्ट करने, जानकारी छुपाने और कांग्रेस से झूठ बोलने के आरोप सामने आए हैं।
- डब्ल्यू.एच.ओ. की लाचारी – रिपोर्ट में डब्ल्यू. एच.ओ. पर चीन के दबाव में काम करने और महामारी के शुरुआती चरणों में निष्क्रियता का गंभीर आरोप।
नीति और समाज पर प्रभाव
- मास्क और सामाजिक दूरी-वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी के बावजूद लागू की गई नीतियां अव्यावहारिक साबित हुईं।
- लॉकडाउन का प्रभाव-लंबे लॉकडाउन ने न केवल अर्थव्यवस्था को, बल्कि आम नागरिकों की मानसिक और शारीरिक स्थिति को भी गहरे स्तर पर प्रभावित किया।
- न्यूयॉर्क की विफलताएं-पूर्व गवर्नर एंड्रयू कुओमो द्वारा नर्सिंग होम में पॉजिटिव मरीजों को भेजने के आदेश को एक ‘चिकित्सा अपराध’ की तरह देखा गया है।
मीडिया और सेंसरशिप का सवाल
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी प्रशासन ने महामारी के दौरान सोशल मीडिया कंपनियों के साथ मिलकर असहमति के स्वरों को दबाया और सचाई को छुपाने की कोशिश की। यह रिपोर्ट कोविड-19 महामारी से जुड़े कई अनुत्तरित सवालों के जवाब लेकर आई है। इसमें न केवल महामारी की उत्पत्ति पर प्रकाश डाला गया है, बल्कि उन नीतिगत विफलताओं को भी उजागर किया गया है, जो विश्व स्तर पर करोड़ों लोगों के जीवन को प्रभावित कर चुकी हैं। जब तक महामारी से जुड़ी सारी सचाइयां सामने नहीं आतीं, तब तक मानवता का विश्वास बहाल नहीं हो सकता। यह समय है समस्त वैश्विक नेतृत्व निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ भविष्य की तैयारी करे, ताकि अगली बार दुनिया इतने बड़े संकट में न फंसे।
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