22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद एलओसी के पास स्थित इलाकों में डर और सन्नाटा छा गया है। खासकर सीमावर्ती गांवों में न सिर्फ जनजीवन थम गया है बल्कि वहां की मस्जिदों में नमाज़ भी नहीं हो रही है। इससे यह संभावना है कि डर के कारण वे इलाके छोड़कर पाकिस्तान की तरफ चले गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जम्मू के आर.एस. पुरा सेक्टर के आखिरी गांव सुचेतगढ़ में भारतीय किसान इन दिनों गेहूं की कटाई में व्यस्त हैं लेकिन सीमा के उस पार पाकिस्तान की ओर पूरी शांति और वीरानी नजर आ रही है। वहां के खेतों में कोई काम नहीं हो रहा और आम दिनों की तरह मवेशी भी नहीं दिख रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हमले से पहले पाकिस्तान की तरफ़ काफी हलचल रहती थी। पाकिस्तानी किसान अपने खेतों में नियमित काम करते थे और अक्सर मवेशियों को चारा खिलाने के लिए भारतीय सीमा के करीब ले आते थे। लेकिन अब वहां सब कुछ शांत है।गांव के सरपंच ने बताया, पहली बार हमने देखा है कि पाकिस्तान की मस्जिदों से अजान की आवाज़ भी बंद हो गई है। ऐसा इससे पहले सिर्फ कारगिल युद्ध के समय हुआ था। भारत की सीमा से सटे पाकिस्तान के सियालकोट क्षेत्र के कजरियाल, ऊंची बैंस, कसीरे और गूंगा जैसे गांव अब सुनसान पड़े हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, पाकिस्तानी रेंजर्स अब अपने टावरों से भारतीय क्षेत्र की निगरानी कर रहे हैं लेकिन उनकी ओर से कोई सार्वजनिक गतिविधि नहीं हो रही है। भारतीय ग्रामीणों को आशंका है कि कहीं कोई घुसपैठ या संदिग्ध गतिविधि न हो जाए इसलिए सीमावर्ती गांवों में सतर्कता बढ़ा दी गई है।
अब आर.एस. पुरा के लोग भारत सरकार के साथ मजबूती से खड़े हैं। एक ग्रामीण ने कहा- उनका कहना हैअब समय आ गया है कि पाकिस्तान को उसके नापाक इरादों का जवाब दिया जाए। हम शांति चाहते हैं लेकिन जब हमारे नागरिकों को निशाना बनाया जाता है तो चुप रहना संभव नहीं होता।
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