भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के द्वारा वक्फ बोर्ड के मामले में सुप्रीम कोर्ट को लेकर दिए गए बयान पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा भी उनके समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उसके पिछले बयानों की याद दिलाते हुए नसीहत दी। साथ ही कहा भाजपा ने हमेशा न्यायपालिका और उसकी गरिमा को बनाए रखने का प्रय़ास किया है।
इसका जीता जागता सबूत निशिकांत दुबे का हालिया बयान है, जिससे खुद को अलग करके न्यायपालिका की स्वतंत्रता की पुष्टि की है। मुख्यमंत्री सरमा ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का जिक्र करते हुए स्पष्ट किया कि वे पहले ही कह चुके हैं कि ये उनकी अपनी व्यक्तिगत राय है। बल्कि, इस समय न्यायपालिका का इस्तेमाल करके सियासत कर रही कांग्रेस ने ही कई मौकों पर जजों पर टिप्पणियां की हैं।
जस्टिस दीपक मिश्रा का जिक्र
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पूर्व चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा का जिक्र करते हुए कांग्रेस को आईना दिखाया कि किस प्रकार से कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने बिना किसी सबूत के भी जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग लाने का काम किया था। इसके अलावा पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूण के मंदिर जाने पर इन्हीं कथित सेक्युलर पार्टियों को कितना कष्ट हुआ था।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने सुप्रीम कोर्ट को दी नसीहत
भारत की संसद के द्वारा पारित किए गए वक्फ संशोधन विधेयक-2025 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोके जाने पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने भी बड़ा बयान दिया है। उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि न्यायपालिका को भी ये बात माननी पड़ेगी कि देश की संसद ही सुप्रीम है। क्योंकि कानून बनाने की जिम्मेदारी संसद पर होती है और उसके अनुसार, जजमेंट देने की जिम्मेदारी न्यायपालिका की होती है। हम सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन, उसे भी संसद का आदर करना चाहिए। संसद के बनाए कानून पर टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट को शोभा नहीं देती है।
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