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जनसांख्यिक परिवर्तन का दिख रहा असर

मालदा, मुर्शिदाबाद जैसे सीमावर्ती जिलों में हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमले जनसांख्यिक परिवर्तन का परिणाम हैं। यह न केवल राज्य की सामाजिक संरचना को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है

by शमीक भट्टाचार्य
Apr 21, 2025, 10:53 am IST
in मत अभिमत, पश्चिम बंगाल
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पश्चिम बंगाल, जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक समरसता के लिए जाना जाता है, आज एक गंभीर संकट का सामना कर रहा है। विशेष रूप से मालदा, मुर्शिदाबाद जैसे सीमावर्ती जिलों में हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमले और जनसांख्यिक परिवर्तन न केवल राज्य की सामाजिक संरचना को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।

शमीक भट्टाचार्य
सांसद, राज्यसभा

हाल के महीनों में मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों में हिंदू समुदाय पर कई हमले हुए हैं। मालदा के मथाबाड़ी क्षेत्र में हिंदू व्यापारियों की दुकानों को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की गई। मुर्शिदाबाद में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विरोध में हुई हिंसा में सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। इसमें कई लोग घायल हुए और कुछ लोगों की मृत्यु भी हुई। इन घटनाओं ने स्थानीय हिंदू समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया है।

पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में जनसांख्यिक परिवर्तन स्पष्ट देखा जा सकता है। मुर्शिदाबाद में 1941 में हिंदू आबादी 41.75 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 33.21 प्रतिशत रह गई, जबकि मुस्लिम आबादी 66.27 प्रतिशत बढ़ गई। विशेष रूप से शमशेरगंज ब्लॉक में मुस्लिम आबादी 83.48 प्रतिशत है। वहां हिंदू अल्पसंख्यक हो गए हैं। यह परिवर्तन न केवल सामाजिक संतुलन को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी चिंताजनक है।

‘हम दो, हमारे दो’ का नारा परिवार नियोजन की दिशा में एक सकारात्मक कदम था, जिसे अधिकांश हिंदू परिवारों ने अपनाया। हालांकि, कुछ मुस्लिम समुदायों में ‘हम दो, हमारे छह’ की प्रवृत्ति देखी गई है। इससे जनसंख्या असंतुलन बढ़ रहा है। यह न केवल संसाधनों पर दबाव डालता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को भी बढ़ावा देता है।

राज्य की सीमा से सटे क्षेत्रों में बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ एक गंभीर समस्या है। यह न केवल जनसांख्यिक परिवर्तन का कारण बन रही है, बल्कि आतंकवाद, तस्करी और अन्य आपराधिक गतिविधियों को भी बढ़ावा दे रही है। इससे स्थानीय हिंदू समुदाय पर दबाव बढ़ रहा है और उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।

ईद-उल-फितर के अवसर पर कोलकाता में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा पर ‘गंदा धर्म’ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह राज्य में दंगे भड़काने की कोशिश कर रही है। इसे भाजपा ने हिंदू विरोधी और तुष्टीकरण की राजनीति करार दिया। मुर्शिदाबाद में हिंसा के बाद तृणमूल कांग्रेस के नेता फिरहाद हकीम ने कहा कि लोग केवल पश्चिम बंगाल के भीतर ही पलायन कर रहे हैं और सब कुछ ठीक है। इस पर भाजपा नेताओं ने याद दिलाया कि हकीम ने पहले कोलकाता के एक हिस्से को ‘मिनी पाकिस्तान’ कहा था।

राज्य सरकार की निष्क्रियता और पक्षपातपूर्ण रवैया इन समस्याओं को और गंभीर बना रहा है। हिंदू समुदाय की शिकायतों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे उनकी असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह सभी समुदायों के साथ समान व्यवहार करे और कानून व्यवस्था को सख्ती से लागू करे।

समाधान की दिशा में कदम

सीमा सुरक्षा को मजबूत करना : बीएसएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को सशक्त बनाना व सीमा पर निगरानी बढ़ाना आवश्यक है।
अवैध घुसपैठ पर रोक : अवैध घुसपैठ रोकने के लिए सख्त कानून बनाने और उनके प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
जनसंख्या नियंत्रण : सभी समुदायों में जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाना और परिवार नियोजन को बढ़ावा देना जरूरी है।

समान कानून का पालन : सभी नागरिकों के लिए समान कानून के पालन और उनके निष्पक्ष क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना चाहिए।
पश्चिम बंगाल में हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमले और जनसांख्यिक परिवर्तन गंभीर चिंता का विषय हैं। यह न केवल राज्य की सामाजिक संरचना को प्रभावित कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहे हैं। समय की मांग है कि राज्य और केंद्र सरकार मिलकर इन समस्याओं का समाधान करें और सभी नागरिकों की सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा करें।

Topics: पश्चिम बंगालसामाजिक समरसतामुस्लिम आबादीराष्ट्रीय सुरक्षामुर्शिदाबादहिंदू समुदायमालदापाञ्चजन्य विशेषसांस्कृतिक विविधता
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