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नोटबंदी ने देश की अर्थव्यवस्था को दी गति : हरिवंश

राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने कहा कि नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को मजबूती और भ्रष्टाचार पर लगाम लगी। नई पुस्तक ‘नोटबदली से नोटबंदी’ के लोकार्पण समारोह में राजेश झा को मिली सराहना।

Published by
SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली (हि.स.) । नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था में चुस्ती आई और जनकल्याण के लिए आवंटित सरकारी बजट समाज के वंचितों और पीड़ितों तक शत-प्रतिशत पहुंचाना संभव हो पाया। इसने देश में दीमक की तरह सक्रिय लगभग साढ़े तीन लाख शेल कंपनियों पर ताला जड़वाया और भ्रष्टाचार पर भी प्रभावी नियंत्रण किया। यह देश को आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग से निकालकर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में ले जाने वाला एक ऐतिहासिक कदम था।

इस विषय पर पत्रकार राजेश झा द्वारा लिखित पुस्तक “नोटबदली से नोटबंदी : भारत के आर्थिक महाशक्ति बनाने की संकल्प यात्रा एवं उपलब्धियां” के लोकार्पण के अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री हरिवंश नारायण सिंह ने उक्त बातें कहीं। यह लोकार्पण समारोह शनिवार देर शाम प्रधानमंत्री संग्रहालय पुस्तकालय सभागार में आयोजित हुआ।

हरिवंश ने कहा कि लगभग आठ वर्षों के शोध और तथ्यों के विश्लेषण के बाद लिखी गई यह पुस्तक नोटबंदी के तात्कालिक, लघुकालिक, मध्यकालिक एवं दीर्घकालिक प्रभावों का प्रामाणिक दस्तावेज है। यह न केवल पठनीय है, बल्कि संग्रहणीय भी है। उन्होंने लेखक राजेश झा को इस उत्कृष्ट कृति के लिए बधाई दी और विश्वास व्यक्त किया कि यह पुस्तक पाठकों के बीच एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी।

जस्टिस शंभूनाथ श्रीवास्तव ने राजेश झा को देश का उदीयमान “आर्थिक इतिहासकार” बताते हुए कहा कि जब देश में अनियंत्रित सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाने वाले नैरेटिव्स चल रहे हैं, तब इस पुस्तक ने आवश्यक तथ्यों के साथ एक सशक्त दस्तावेज प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी ने सामाजिक-आर्थिक न्याय के लिए एक नई दिशा दी और आतंकवाद पर भी अंकुश लगाया।

विशिष्ट अतिथि लेफ्टिनेंट जनरल ए.एस. रावत ने कहा कि पुस्तक में नोटबंदी के भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर प्रभाव का बेबाकी से विश्लेषण किया गया है। उन्होंने इसे एक संदर्भ ग्रंथ की संज्ञा दी और कहा कि इसके माध्यम से भविष्य में देश की अर्थव्यवस्था का गहन अध्ययन किया जा सकेगा।

विख्यात अर्थशास्त्री और स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह-संयोजक डॉ. अश्विनी महाजन ने कहा कि इस पुस्तक में उन नेताओं और नौकरशाहों की करतूतों को उजागर किया गया है जिन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को दीमक की तरह चट कर दिया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का साहसिक निर्णय देश की आर्थिक और सामरिक स्थितियों में सकारात्मक बदलाव लाने वाला सिद्ध हुआ।

प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. जे.एस. राजपूत ने पुस्तक को एक महत्वपूर्ण और दुर्लभ प्रयास बताया। उन्होंने कहा कि समसामयिक आर्थिक विषयों पर हिंदी में मौलिक पुस्तकों की भारी कमी है, जिसे राजेश झा ने शोधपूर्ण लेखन से पूरा किया है।

कार्यक्रम में राजेश झा ने बताया कि “99% करेंसी बैंकों में वापस आ गई” यह कहकर नोटबंदी को असफल बताने वाले लोग यह नहीं बताते कि चलन में एक ही नंबर की तीन-चार नकली करेंसी नोट थीं। इस प्रकार 400% करेंसी नोटों में से 301% जाली नोट थे, जिनसे भारतीय अर्थव्यवस्था को मुक्ति मिली। उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर अर्थव्यवस्था चलाने की जिम्मेदारी थी, वे ही उसे खोखला कर रहे थे, जिसका प्रमाण रिजर्व बैंक के गोदामों में बरामद हजारों करोड़ रुपये के नकली नोट हैं।

राजेश झा ने यह भी कहा कि यदि मोदी सरकार ने साहसिक निर्णय नहीं लिया होता तो आज भारत भी उन देशों की पंक्ति में खड़ा होता जहां लोग राशन के लिए हाहाकार मचा रहे हैं।

कार्यक्रम के प्रारंभ में वैदिक मंत्रोच्चार से उद्घाटन किया गया। आरजेपी प्रकाशन की ओर से यह पुस्तक प्रकाशित की गई है। कार्यक्रम के विशेष अतिथि के रूप में आजाद हिंद फौज के 102 वर्षीय योद्धा आर. माधवन पिल्लई का सम्मान भी किया गया। उन्होंने राजेश झा को “पुत्रवत” बताया और कहा कि वे उन्हें आशीर्वाद देने आए हैं। उन्होंने “कदम-कदम मिलाए जा…” गीत भी सुनाया।

प्रकाशक राशी जोशी ने सभी अतिथियों को पुस्तक और स्मृति चिन्ह भेंट किए। इस कार्यक्रम में भारत सरकार के तीन सचिव, नीति आयोग के दो निदेशक, इंडियन इकोनॉमिक्स एसोसिएशन के 25 प्रोफेसर, सुप्रीम कोर्ट के 43 अधिवक्ता, तथा देशभर के प्रमुख विश्वविद्यालयों के 218 रिसर्च स्कॉलर्स उपस्थित रहे।

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