“अहिंसा परमो धर्मः”, यह केवल कोई सूक्ति नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। वह आत्मा जो हजारों वर्षों से न केवल अपने राष्ट्रवासियों को, बल्कि समस्त मानवता को सहिष्णुता, करूणा और सर्वधर्म समभाव का संदेश देती आई है। आज जब दुनिया वैश्विक संघर्षों, धार्मिक टकरावों और साम्प्रदायिक विद्वेष की चपेट में है, ऐसे समय में भारत का सनातन धर्म शांति, समरसता और सृजनात्मकता का एक प्रकाशस्तंभ बनकर खड़ा होता है।
इसी परिप्रेक्ष्य में, अमेरिका के जॉर्जिया राज्य द्वारा ‘हिंदूफोबिया’ के विरुद्ध प्रस्तुत विधेयक एक ऐतिहासिक घटनाक्रम है। यह विधेयक केवल कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि वैश्विक पटल पर हिंदू सभ्यता और उसकी मूलभूत मान्यताओं के प्रति बदलते दृष्टिकोण का प्रतीक है।
अमेरिका में हिंदूफोबिया के विरुद्ध विधेयक: एक संकेत?
मार्च 2024 में जॉर्जिया राज्य अमेरिका का पहला ऐसा राज्य बना, जिसने ‘हिंदूफोबिया’ और ‘हिंदू विरोधी घृणा’ के खिलाफ विधेयक प्रस्तुत किया। इस विधेयक का उद्देश्य स्पष्ट है – कानून प्रवर्तन एजेंसियों और सरकारी निकायों को हिंदू विरोधी भाषण और हिंसक प्रवृत्तियों की पहचान और उन पर कार्रवाई करने का अधिकार देना।
परंतु यह विधेयक केवल एक विधिक पहल नहीं है, यह एक ‘सांस्कृतिक कूटनीति’ का संकेतक भी हो सकता है। यह विधेयक ठीक उसी समय आया जब अमेरिका ने वैश्विक व्यापार पर भारी टैरिफ लगाने का निर्णय लिया है, जिससे भारत सहित अनेक देशों की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने की संभावना है।
क्या यह विधेयक अमेरिका में मौजूद भारतीय प्रवासी समुदाय, विशेषतः हिंदू समुदाय को एक सांकेतिक समर्थन देने का प्रयास है? क्या यह अमेरिकी प्रशासन का एक सॉफ्ट पॉवर सिग्नल है कि “हम तुम्हारे साथ हैं”?
सनातन परंपरा की गाथा: राजा शिबि की कथा
भारत की भूमि ने सहिष्णुता और त्याग की ऐसी मिसालें दी हैं, जो आज भी विश्व को प्रेरणा देती हैं। राजा शिबि की कथा इसका ज्वलंत उदाहरण है।
महाभारत में वर्णित यह कथा हमें बताती है कि परोपकार और धर्मपालन किसी शासक की सबसे बड़ी पहचान होती है। जब अग्नि देव कबूतर का और इंद्र देव बाज का रूप धारण करके राजा की परीक्षा लेने आए, तब राजा शिबि ने एक महान संकल्प लिया। कबूतर को शरण देने के बाद, जब बाज ने अपने आहार का अधिकार जताया, तो राजा ने अपने शरीर से मांस काटकर देने का निश्चय किया।
जब तराजू में कबूतर के वजन के बराबर मांस नहीं हुआ, तो अंततः राजा स्वयं तराजू में बैठ गए। यह न केवल त्याग की पराकाष्ठा थी, बल्कि यह सनातन धर्म की उस चेतना का दर्शन था, जिसमें दूसरे के प्राणों की रक्षा के लिए आत्मोत्सर्ग भी धर्म माना गया है।
सनातन धर्म की वैश्विक प्रासंगिकता
राजा शिबि की कथा केवल एक उदाहरण है। सनातन धर्म में दधीचि ऋषि का अपनी हड्डियों का दान, राजा हरिश्चंद्र का सत्य के लिए अपना सब कुछ त्याग देना, और महात्मा गांधी का अहिंसा का मार्ग अपनाना जैसे अनेक उदाहरण हैं। यह धर्म सभी प्राणियों में आत्मा की एकता को मानता है और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को प्रोत्साहित करता है।हमारी संस्कृति हमें ही श्रेष्ठ बनने के लिए प्रेरित नहीं करती अपितु समस्त विश्व को श्रेष्ठता की और लेकर जाने का उद्घोष करती है ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम” अर्थात सारी दुनिया को श्रेष्ठ सभ्य एवं सुसंस्कृत बनाएंगे। जिस तरह वृक्षों में बरगद श्रेष्ठ है उसी तरह धर्मों में हिन्दू धर्म श्रेष्ठ है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर हिन्दू धर्म सर्वश्रेष्ठ क्यों और कैसे है?
जबकि आज समाज के अंदर हिन्दू धर्म के संबंध में बहुत तरह की भ्रांतियां फैलाई गई है। यह भ्रांतियां सिर्फ उस व्यक्ति के मन में हैं जिसने वेद, उपनिषद और गीता का अध्ययन नहीं किया है और जो समाज में प्रचलित गल्त धारणाओं या सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास करता है। यह भी कि जो स्थानीय परंपरा को ही हिन्दू धर्म का हिस्सा मान बैठा है। हम उन भ्रांतियों की निष्पत्ति की बात नहीं करेंगे बल्कि यह बताएंगे कि क्यों हिंदू धर्म सर्वश्रेष्ठ है। जिसके अंदर इस सृष्टि में निवास करने वाले तुच्छ जीव पर भी दया की भावना सिखाई जाती है, यहां तक कि चीटिआों व पंक्षियों तक को दाना-पानी डालने का संस्कार हमारे बाल मन पर ही अंकित कर दिया जाता है। वह हिंदु हिंसक कैसे हो सकता है?
सनातन धर्म न किसी ‘इज्म’ में बंद है, न किसी एक किताब का बंदी है। यह अनुभव, विवेक और सह-अस्तित्व का दर्शन है। यही कारण है कि भारत में न केवल 33 कोटि देवताओं को पूजा जाता है, बल्कि विदेशी आक्रांताओं द्वारा लाई गईं अनेक परंपराएं भी आज भारत की संस्कृति में समाहित हो चुकी हैं।
जब यह धर्म कहता है “वसुधैव कुटुम्बकम्”, तो वह केवल भावुक वाक्य नहीं, बल्कि व्यावहारिक जीवन दृष्टि है।
क्या मीडिया और शिक्षण संस्थान फैला रहे हैं हिंदूफोबिया?
दुर्भाग्य से, पश्चिमी दुनिया के अनेक शिक्षण संस्थान और मीडिया हाउसों ने हिंदुत्व और हिंदू धर्म के विरुद्ध एक पूर्वाग्रही दृष्टिकोण अपनाया है। कभी हिंदू देवी-देवताओं की अवमानना, कभी मंदिरों पर हमले, कभी धर्मशास्त्रों का विकृत अनुवाद – यह सब हिंदूफोबिया के आधुनिक रूप हैं।
आज के समय में “हिंदू = कट्टरता, अंधविश्वास या जातिवाद” जैसी छवि बनाई जा रही है, जबकि ऐतिहासिक रूप से यह धर्म सबसे अधिक आत्ममंथन और सुधार को अपनाने वाला रहा है।
अमेरिका से संदेश: भारत को समझो, हिंदू सभ्यता को जानो
आज जॉर्जिया राज्य से जो विधेयक आया है, वह अमेरिका के नीति निर्धारकों की बदलती चेतना का संकेत हो सकता है। वे समझ रहे हैं कि भारत की सांस्कृतिक शक्ति केवल बॉलीवुड या टेक्नोलॉजी तक सीमित नहीं है। यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति का प्रवाह है, जो विश्व को संतुलन प्रदान कर सकता है।
सनातन की विजय यात्रा
जॉर्जिया राज्य का यह विधेयक एक ‘आरंभ’ है। यह हमारे लिए चेतना का समय है कि हम अपनी परंपराओं को केवल अतीत की स्मृति के रूप में न रखें, बल्कि उन्हें विश्व मंच पर तथ्य, इतिहास और आधुनिक संवादों के माध्यम से प्रस्तुत करें। हिंदू धर्म को रक्षा की नहीं, प्रस्तुति की आवश्यकता है। हमें इतिहास से कहानियाँ निकालनी होंगी, जैसे राजा शिबि की कथा, और वर्तमान संदर्भों में उन्हें सार्थक बनाना होगा।
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