गत 8 अप्रैल को कबीरधाम मुस्तफाबाद आश्रम (लखीमपुर खीरी) में चल रहे सत्संग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर उन्होंने नवीन आश्रम का भूमि पूजन भी किया। उनके साथ कबीरधाम के प्रमुख पूज्य श्री संत असंग देव महाराज रहे।
संत असंग देव महाराज ने अपने भावपूर्ण संबोधन में कहा कि यह स्थान पहले से ही पवित्र रहा है, मगर मोहन भागवत जी के आगमन के पश्चात् यह स्थान अब और मनभावन हो जाएगा। लोगों का कहना था कि यह सत्संग केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि भारत की आध्यात्मिक चेतना, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में एक प्रबल कदम था।
संत कबीर की विचारधारा और संघ की कार्यशैली का संगम, भारतीय आत्मा को और अधिक मजबूती देने की दिशा में प्रभावशाली प्रयास सिद्ध हो रहा है। श्री भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि हम यदि अपने राष्ट्र के लिए कुछ कर रहे हैं, तो यह मानना चाहिए कि इससे अपने परिवार और समाज का भी भला होगा।
भारत माता की सेवा करना ही सबका धर्म है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां देने वाले को माता कहते हैं। इसीलिए गो, नदी आदि जो हमें कुछ न कुछ देती हैं, उन्हें हम माता कहते हैं। कृतज्ञता की यही भावना हमें अपने देश के प्रति भी रखनी चाहिए, ताकि हम भी इसके लिए कुछ कर सकें, इसे कुछ दे सकें।
यही अमरत्व का मार्ग है। उन्होंने कहा कि हम सबको आत्मशुद्धि से विश्वशुद्धि की ओर अग्रसर होना होगा। इस अवसर पर संघ के अनेक वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।
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