अमृतसर। इसे कहते हैं कि विनाश काले विपरीत बुद्धि, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस के एक इंस्पेक्टर मंजीत सिंह की तस्करी की कमाई से आंखें ऐसी चुंधियाईं कि वह खुद तस्कर बन गया। हेरोइन तस्करी और उसके गिरोह को लेकर पुलिस हिरासत में उसने कई राज खोले हैं। मंजीत सिंह और उसके साथी रवि पवार के मोबाइल खंगाले जा रहे हैं।
पता चला है कि पुलिस को दोनों के मोबाइल से कई अहम जानकारियां मिली हैं। अब पुलिस इंस्पेक्टर मंजीत सिंह का पिछले दो साल का मोबाइल कालिंग डाटा, लोकेशन और वॉट्सऐप का डाटा खंगालने में लगी है।
पुलिस पता लगाने में जुटी है कि मंजीत सिंह पिछले कार्यकाल के दौरान बॉर्डर के पास कितनी बार जा चुका है। सीपी गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने बताया कि हरियाणा के रोहतक निवासी मंजीत सिंह ने दो साल पहले डीआरआई में नौकरी शुरू की थी। इस बीच वह फिरोजपुर के तस्कर रवि पवार के संपर्क में आ गया और हेरोइन तस्करी करने लगा।
फिलहाल जांच में यही पता चला है कि इंस्पेक्टर मंजीत सिंह जल्द अमीर बनने के चक्कर में हेरोइन तस्करी के नेटवर्क के साथ जुड़ा है। आशंका है कि आरोपित पहले भी हेरोइन की खेप ठिकाने लगा चुका है, लेकिन किसी सुरक्षा एजेंसी को इसकी इनपुट नहीं लगी।
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दो दिन का पुलिस रिमांड समाप्त होने के बाद इंस्पेक्टर मंजीत सिंह और उसके साथी रवि पवार को कोर्ट में पेश किया गया। जहां से अदालत ने आरोपितों का चार दिन का पुलिस रिमांड और बढ़ा दिया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब सीआईए स्टाफ ने मंजीत सिंह को हिरासत में लिया तो उसने डीआरआई का बड़ा अफसर होने का हवाला देते हुए टीम को भगाने का प्रयास किया था। लेकिन पुलिस टीम के पास पुख्ता सूचना होने पर उसे छोड़ा नहीं गया।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को सीआईए स्टाफ ने फिरोजपुर के रवि पवार को एक किलो हेरोइन के साथ रंजीत एवेन्यू से गिरफ्तार किया था। उसकी पूछताछ के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मंजीत को भी काबू कर लिया। जांच में सामने आया है कि मंजीत सिंह डीआरआई में बतौर इंस्पेक्टर अमृतसर में ही तैनात था। दो साल पहले मिली नौकरी के बावजूद मंजीत जल्द ही तस्करी के नेटवर्क में फंसकर रह गया।
अब पुलिस मंजीत के गिरोह के अन्य सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए छापामारी कर रही है। पता चला है कि एक किलो हेरोइन की खेप ड्रोन के माध्यम से पाक तस्करों ने कुछ दिन पहले गिराई थी जिसे मंजीत ने कब्जे में लिया था।
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