वक्फ संपत्तियां सदियों से मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए समर्पित रही हैं, लेकिन अब तक उनका सही और प्रभावी उपयोग नहीं हो सका। पहली बार, एकीकृत वक्फ प्रबंधन प्रणाली के तहत वक्फ संपत्तियों के सशक्तिकरण, दक्षता और विकास की दिशा में एक ठोस कदम उठाया गया है। यह पहल वक्फ संपत्तियों को आधुनिक तकनीक, पारदर्शिता और प्रभावी प्रबंधन से जोड़कर मुस्लिम समाज के उत्थान को सुनिश्चित करेगी। भारत में लाखों एकड़ वक्फ भूमि उपलब्ध है, पर अव्यवस्थित प्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण के कारण मुस्लिम समाज को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा था। अब एकीकृत वक्फ प्रबंधन प्रणाली के तहत इनका सही उपयोग सुनिश्चित होगा। यह प्रणाली तीन प्रमुख स्तंभों पर आधारित है—

दरगाह हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (आर.ए) के वंशानुगत सज्जादानशीन के उत्तराधिकारी एवं एआईएसएससी के अध्यक्ष
सशक्तिकरण : मुतवल्लियों और वक्फ बोर्डों को अधिक अधिकार और संसाधन दिए जाएंगे, जिससे वे स्वतंत्र रूप से वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन कर सकें।
दक्षता : डिजिटलीकरण, ऑडिट व प्रभावी प्रशासनिक सुधारों से वक्फ प्रबंधन में सुधार होगा।
विकास : वक्फ संपत्तियों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और रोजगार के लिए उपयोग किया जाएगा, जिससे मुस्लिम समुदाय को सीधा लाभ मिलेगा।
एकीकृत वक्फ प्रबंधन प्रणाली के लाभ
इसके तहत वक्फ संपत्तियों का उपयोग मदरसों, विश्वविद्यालयों, अस्पतालों, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों और रोजगार योजनाओं के लिए किया जाएगा। इससे मुस्लिम समुदाय को शिक्षा और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।
मुतवल्लियों के अधिकारों की रक्षा : मुतवल्लियों को अब प्रशासनिक हस्तक्षेप और भ्रष्टाचार से बचाते हुए अधिक कानूनी सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता मिलेगी। इससे वे वक्फ संपत्तियों को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकेंगे और समुदाय की सेवा कर सकेंगे।
भ्रष्टाचार पर रोक : वक्फ संपत्तियों से जुड़े घोटालों, अतिक्रमण और कुप्रबंधन को खत्म करने के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया जाएगा। इससे हर संपत्ति का सही लेखा-जोखा रखा जाएगा और इसका उपयोग केवल मुस्लिम समुदाय के हित में ही होगा।
व्यावसायिक उपयोग : वक्फ संपत्तियों को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, व्यावसायिक परिसरों, स्टार्टअप्स और उद्यमशीलता के लिए विकसित किया जाएगा। इससे आर्थिक वृद्धि के साथ मुस्लिम युवाओं को रोजगार, नए व्यवसाय शुरू करने के अवसर भी मिलेंगे।
मुस्लिम समाज के लिए यह जरूरी क्यों?
यह पहल वक्फ संपत्तियों को निष्क्रिय संपत्ति से सशक्त संसाधन में बदलेगी, ताकि आने वाली पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके। एकीकृत वक्फ प्रबंधन प्रणाली मुस्लिम समाज के लिए एक नए युग की शुरुआत है। यह केवल संपत्तियों के संरक्षण का प्रयास नहीं है, बल्कि मुस्लिम समुदाय के सशक्तिकरण, शिक्षा, रोजगार और आर्थिक विकास का एक सशक्त माध्यम है। यह समुदाय के उत्थान की दिशा में ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम है, जिसे सभी को स्वीकार और समर्थन करना चाहिए। समुदाय को लंबे समय से वास्तविक सुधारों की आवश्यकता रही है ताकि उनका सामाजिक और आर्थिक उत्थान सुनिश्चित हो सके। झूठे प्रचार और राजनीतिक एजेंडे में फंसने के बजाय यह समझना जरूरी है कि वक्फ संशोधन जैसे सुधार तरक्की की दिशा में उठाए गए कदम हैं। शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य और आर्थिक सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर ध्यान देना अधिक महत्वपूर्ण है, बजाय इसके कि समुदाय राजनीतिक प्रोपेगेंडा में उलझा रहे।
वक्फ संशोधन सुरक्षा की गारंटी
यह विधेयक मुस्लिम हितों को नुकसान नहीं पहुंचाता, बल्कि उन्हें मजबूत करने का प्रयास करता है। इसका विरोध वही कर रहे हैं, जिन्होंने वर्षों वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग किया और इसे व्यक्तिगत लाभ के लिए इस्तेमाल किया है। यह समझना चाहिए कि गलत और भ्रामक प्रचार उन्हीं लोगों को फायदा पहुंचाता है। इसलिए अब मुस्लिम समुदाय को असली सुधारों पर ध्यान देना चाहिए –
शिक्षा : मुस्लिम युवाओं को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा दिलाने पर जोर देना चाहिए, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।
रोजगार और व्यापार : वक्फ संपत्तियां ऐसे प्रोजेक्ट्स में निवेश की जाएं, जो मुस्लिम समाज को आर्थिक रूप से सशक्त बनाए।
स्वास्थ्य सेवाए : वक्फ निधियों का सही उपयोग कर अच्छे अस्पताल और चिकित्सा सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए।
स्वावलंबन : मुसलमानों को राजनीतिक दलों पर निर्भर रहने के बजाय, आत्मनिर्भर बनने की दिशा में काम करना होगा।
भारतीय मुसलमानों को असली सुधारों का समर्थन करना चाहिए, जो उन्हें शिक्षा, आर्थिक विकास और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाएं। राजनीतिक प्रोपेगेंडा में फंसने के बजाय समुदाय को उन बदलावों को स्वीकार करना चाहिए, जो उनके बेहतर भविष्य को सुनिश्चित करते हैं। अब समय आ गया है कि भारतीय मुस्लिम समुदाय वास्तविक सुधारों की ओर बढ़े और अपने भविष्य को खुद संवारने की दिशा में कदम उठाए।
विधेयक के पक्ष में ये मुस्लिम संगठन
वक्फ संशोधन विधेयक के पक्ष में कई मुस्लिम संगठन खड़े हैं। इनमें मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, जमीयत हिमायत उल इस्लाम, मुस्लिम महिला बौद्धिक समूह और पसमांदा मुस्लिम महाज जैसे संगठन प्रमुख हैं। इन संगठनों का कहना है कि विधेयक पारित होने से वे लोग परेशान हैं, जो वक्फ संपत्तियों पर कब्जा जमाए बैठे हैं। साथ ही, पूछा है कि वक्फ बोर्ड ने मुसलमानों की तरक्की के लिए अब तक क्या किया? कितनी गरीब बच्चियों की शादी करवाई, कितने लोगों को घर दिए? वक्फ बोर्ड की दुकानों पर अमीरों का कब्जा क्यों है? वक्फ बोर्ड के पास इतनी संपत्ति है, फिर भी हर चौथा भिखारी मुस्लिम ही क्यों है? पसमांदा मुस्लिम महाज तो सितंबर 2024 में संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में ही कह चुका है कि विधेयक से 85% मुसलमानों को लाभ होगा, खासताैर पर हाशिये पर खड़े मुसलमानों को। उनके जीवन में सुधार आएगा। दिल्ली और भोपाल में कई मुस्लिम संगठनों ने विधेयक के समर्थन में रैलियां भी निकालीं।
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