बांग्लादेश में यूनुस सरकार द्वारा कुछ प्रस्ताव किये गए हैं, जिनमें संविधान की प्रस्तावना में परिवर्तन और देश के आधिकारिक नाम मे परिवर्तन शामिल हैं। रविवार को बांग्लादेश नेशनल पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने कन्सेन्सस कमीशन को राष्ट्रीय संसद भवन में दिए गए अपने प्रस्ताव में कई बातों पर विरोध दर्ज कराया।
पार्टी की स्थाई समिति के सदस्य सलाहउद्दीन अहमद ने कहा कि वे नेशनल कन्सेन्सस कमीशन के उस प्रस्ताव से किसी भी तरह से सहमत नहीं हैं, जो देश का नाम आधिकारिक रूप से बदलने की सिफ़ारिश कर रहा है। हालांकि, देश का नाम वर्तमान में “People’s Republic of Bangladesh’ है उसे ही बंगाली भाषा में ‘Janagantrantrik Bangladesh’ किया जा रहा है। पार्टी का कहना है कि देश के नाम का निर्धारण एक लंबी प्रक्रिया के बाद किया गया था, और इस प्रकार के नाम से कोई विशेष लाभ नहीं होने जा रहा है, इसलिए हम इसका समर्थन नहीं करते हैं।
इसी के साथ उन्होंने इस बात का भी विरोध किया कि संविधान की प्रस्तावना में भी परिवर्तन किया जा रहा है। उन्होंने लिखा कि संविधान की प्रस्तावना में 2024 के विद्रोह को 1971 के मुक्ति संग्राम के समकक्ष रखने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि पूरी तरह से अनुचित है। बीएनपी ने कहा कि 2024 के विद्रोह को मान्यता प्रदान की जानी चाहिए, मगर इसे किसी और स्थान पर सम्मिलित किया जाना चाहिए, न कि संविधान की प्रस्तावना में।
दरअसल बांग्लादेश में कथित रूप से सुधार किये जा रहे हैं और यह कहा जा रहा है कि जब तक संस्थागत सुधार नहीं किये जाएंगे, तब तक चुनाव नहीं कराए जाएंगे। वहीं बांग्लादेश नेशनल पार्टी का कहना है कि सबसे पहले चुनाव कराए जाने चाहिए और उसके बाद ही और कोई परिवर्तन हों। इसी क्रम में पार्टी ने उस प्रस्ताव का भी विरोध किया, जिसमें चुनाव आयोग को एक संसदीय समिति के प्रति जबावदेह बनाया जा रहा है।
हालांकि, पार्टी ने न्यायपालिका में तमाम प्रस्तावित सुधारों का समर्थन किया है। पार्टी ने इस बात पर भी आपत्ति व्यक्त की कि संविधान में सुधारों के लिए एक संविधान समिति की आवश्यकता है। पार्टी ने कहा कि संविधान समिति का गठन तब किया जाता है जब किसी नए राष्ट्र का निर्माण होता है और जब उस नए राष्ट्र को एक संविधान की आवश्यकता होती है, तब कई पेशेवर लोग एक साथ आकर संविधान का निर्माण करते हैं। मगर बांग्लादेश तो पहले से ही एक देश है, और हमारा एक संविधान है, हालांकि उसके लोकतान्त्रिक स्वरूप को नष्ट कर दिया गया है।
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यह भी कहा गया कि संविधान में सुधारों के बाद आप इसे नया संविधान कह सकते हैं, मगर संविधान समिति की आवश्यकता नहीं है। सलाहउद्दीन अहमद ने अनिर्वाचित व्यक्तियों को सम्मिलित करने वालाई राष्ट्रीय संविधान समिति के गठन का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि संविधान का मुख्य सिद्धांत है कि उन लोगों द्वारा देश का शासन किया जाए, जिन्हें लोगों ने चुना है।
वहीं पार्टी के एक नेता अमीर खुसरो महमूद चौधरी ने एक इफ्तार पार्टी में चिटगोंग क्लब में शुक्रवार को कहा कि बांग्लादेश के लोग चुनावों पर षड्यंत्रों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। prothomalo.com पोर्टल के अनुसार, उन्होंने कहा कि वे लोग जो शेख हसीना की भाषा बोल रहे हैं, कि हमने यह किया, हमने वह किया, तो हम लोग यही तो शेख हसीना से सुनते थे कि विकास तो हो ही रहा है। और यह कहते-कहते उन्होंने लोगों से उनके अधिकार छीन लिए।
अमीर खुसरो ने कहा कि अब जो लोग सत्ता में हैं वे कह रहे हैं कि अगर हम चले गए तो राजनेता हमारे किये गए सुधारों को आगे नहीं बढ़ाएंगे। इसलिए हमें उन्हें पूरा करके ही जाना है। और फिर उन्होंने कहा कि “माफ करें, यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है,”
बांग्लादेश में जहां संवैधानिक सुधारों की प्रक्रिया चल रही है, वहीं बांग्लादेश नेशनल पार्टी इस बात पर जोर दे रही है कि सबसे पहले चुनाव कराए जाएं। बांग्लादेश में बांग्लादेश नेशनल पार्टी जहां यूनुस सरकार द्वारा प्रस्तावित कुछ प्रस्तावों के विरोध में है तो वहीं वह जमात-ए-इस्लामी द्वारा यह कहे जाने का भी विरोध कर रही है कि देश को असली आजादी 2024 में मिली।
बांग्लादेश जमात-ए-इस्लामी के नेता मियां गुलाम परवर ने 26 मार्च को यह कहा कि वे लोग जो यह दावा करते हैं कि साल 1971 में मुक्ति संग्राम की भावना को लागू किया गया था, तो मैं यही कहूँगा कि उस साल तो देश की आजादी को दिल्ली के हाथों बेच दिया गया था। असली आजादी नहीं मिली थी। और बांग्लादेश के लाखों लोगों ने 2024 को हमारी दूसरी आजादी के रूप में घोषित किया है। उन्होंने ये बातें देश के मुक्ति दिवस के अवसर पर कही।
बांग्लादेश नेशनल पार्टी की स्थाई समिति के सदस्य मिर्जा अब्बास ने कहा कि वे लोग जो जुलाई 2024 के विद्रोह को दूसरी आजादी कह रहे हैं, वे आज के मुक्ति दिवस को अपमानित करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं नई पार्टी नेशनल सिटिज़न पार्टी के संयोजक नाहिद इस्लाम ने कहा कि 1971 की आजादी और 2024 आपस में विरोधाभासी नहीं है, बल्कि 2024 का विद्रोह, वर्ष 1971 के मुक्ति संग्राम का ही विस्तार है। जमात ने बीएनपी की आलोचना इस बात को लेकर की कि वह उनका विरोध कर रही है। जमात के नेता परवर ने कहा कि एक बार भी बीएनपी उनके सहयोग के बिना न ही सरकार बना पाई है या फिर कोई आंदोलन चला पाई है।
the business standard के अनुसार, जमात के नेता परवर का कहना है कि जब आवश्यक सुधार हो जाएंगे, सरकार चुनाव कराएगी और जमात चुनावों के लिए तैयार है।
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