दिल्ली

अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का खतरनाक खेल : दिल्ली में नौकरी से लेकर हवाला तक, देश की सुरक्षा दांव पर!

दिल्ली पुलिस ने पकड़ा बांग्लादेशी घुसपैठियों का रैकेट। फर्जी दस्तावेजों से नौकरी और हवाला से पैसे ट्रांसफर, सुरक्षा पर सवाल। पूरी खबर पढ़ें

Published by
SHIVAM DIXIT

नई दिल्ली । दिल्ली की गलियों में कूड़ा बीनने, झाड़ू लगाने, खाना पहुंचाने और छोटे-मोटे काम करने वाले कई चेहरे अब सिर्फ मेहनतकश मजदूर नहीं, बल्कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए निकले हैं। ये लोग न केवल फर्जी कागजातों के सहारे भारत में बस गए हैं, बल्कि यूपीआई ऐप्स के जरिए हवाला नेटवर्क चलाकर अपने कमाए हुए रुपये बांग्लादेश में परिजनों तक पहुंचा रहे हैं।

दिल्ली पुलिस ने इस सनसनीखेज रैकेट का पर्दाफाश कर देश के सामने एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है।

घुसपैठिए और उनका जाल

दक्षिण जिले के डीसीपी अंकित चौहान ने शनिवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि पकड़े गए आरोपियों में भोगल और निजामुद्दीन के मोहम्मद जेवेल इस्लाम और उसका भाई मोहम्मद आलमगीर शामिल हैं। ये दोनों बांग्लादेश से आए और दिल्ली में कबाड़ का काम शुरू किया। आलमगीर ने तो एक भारतीय महिला से शादी कर ली, जिससे उसके दो बच्चे हैं जो दिल्ली के स्कूलों में पढ़ रहे हैं। कोटला मुबारकपुर के लतीफ खान कूड़ा बीनते हैं, मोहम्मद मिजानुर रहमान कबाड़ का व्यापार करते हैं, और रबिउल अस्पताल में छोटा-मोटा काम करते हैं। इनका परिवार बांग्लादेश में है, जबकि लतीफ का भाई नदीम शेख साफ-सफाई का काम करता था।

साल 2000 में भलस्वा डेयरी की जेजे कॉलोनी में आए मोहम्मद रिजाउल ने भी भारतीय महिला से शादी की और कैब ड्राइवर बन गया। उसने फर्जी भारतीय पासपोर्ट बनवाया और पिछले दो साल में 22 बार भारत-नेपाल की यात्रा कर हवाला के जरिए पैसे बांग्लादेश पहुंचाए। वहीं, 2014 में आए कमरुज्जमान ने जोमैटो डिलीवरी ब्वॉय की नौकरी पकड़ी। इस रैकेट का मास्टरमाइंड मोहम्मद मोईनुद्दीन था, जो निजामुद्दीन में कंप्यूटर दुकान चलाकर फर्जी आधार, पैन और जन्म प्रमाण पत्र बनाता था। उसके साथी जुल्फिकार अंसारी, जावेद और फरमान खान इस नेटवर्क को संचालित करते थे।

खतरे की घंटी : घुसपैठ से देश पर संकट

ये अवैध घुसपैठिए सिर्फ रोजगार के लिए नहीं आए हैं, बल्कि इनकी मौजूदगी देश की सुरक्षा और सामाजिक ढांचे के लिए खतरा बन चुकी है। फर्जी दस्तावेजों के जरिए ये लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं, स्कूलों में दाखिला ले रहे हैं और हवाला के जरिए पैसा ट्रांसफर कर रहे हैं। यह पैसा आतंकी गतिविधियों को फंडिंग के लिए भी इस्तेमाल हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि घुसपैठिए जनसांख्यिकीय बदलाव, अतिक्रमण और संगठित अपराधों में शामिल हो सकते हैं। उनकी मौजूदगी से सामाजिक तनाव बढ़ रहा है और देश की एकता पर सवाल उठ रहे हैं। अगर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए और गंभीर रूप ले सकती है।

हालिया आंकड़े : देशभर में घुसपैठियों पर कार्रवाई

पिछले कुछ महीनों में देशभर में अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ अभियान तेज हुआ है। यहाँ कुछ ताजा आंकड़े हैं:

दिल्ली : मार्च 2025 में दिल्ली पुलिस ने 28 घुसपैठियों को पकड़ा, जिनमें कई फर्जी दस्तावेजों के साथ सरकारी नौकरियों में थे। दिसंबर 2024 में 30 से अधिक को डिपोर्ट किया गया।

महाराष्ट्र : दिसंबर 2024 में ATS ने मुंबई, ठाणे और नासिक में 17 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया, जो फर्जी आधार और पैन कार्ड के साथ रह रहे थे।

त्रिपुरा : जनवरी-फरवरी 2025 में 64 घुसपैठियों को पकड़ा गया, जो धार्मिक उत्पीड़न का दावा कर भारत में घुसे थे।

उत्तराखंड : मार्च 2025 तक 132 अवैध मदरसों को सील किया गया, जिनमें कई घुसपैठियों के ठिकाने थे।

राष्ट्रीय आंकड़े : गृह मंत्रालय के अनुसार, 2017-2022 के बीच 2,399 बांग्लादेशी फर्जी दस्तावेजों के साथ पकड़े गए। अनुमान है कि देश में 20 लाख से अधिक अवैध बांग्लादेशी हो सकते हैं।

सख्ती की जरूरत

यह खबर सिर्फ एक रैकेट की कहानी नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा व्यवस्था पर चोट है। हवाला, फर्जी दस्तावेज और घुसपैठ का यह खेल न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि आतंकी खतरों को भी बढ़ा सकता है। सरकार को सीमा सुरक्षा मजबूत करनी होगी और नागरिकता सत्यापन को सख्त करना होगा। यह वक्त है कि देश इन खतरों को गंभीरता से ले, वरना आने वाला समय और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

Share
Leave a Comment