नई दिल्ली । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के मुद्दे पर पूर्ववर्ती केंद्र सरकारों को आड़े हाथों लिया। अपने जोरदार भाषण में उन्होंने न केवल आतंकवाद के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार की मजबूत नीतियों का बखान किया, बल्कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के “तुष्टीकरण” और “लचर रवैये” पर भी तीखा हमला बोला। शाह ने साफ कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति अपनाई है, जिसने जम्मू-कश्मीर को शांति और समृद्धि की नई राह पर ला खड़ा किया है।
पहले आतंकियों का महिमामंडन, अब कब्र में दफन
अमित शाह ने अपने संबोधन में पिछले दशक की स्थिति को याद करते हुए कहा, “10 साल पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का महिमामंडन होता था। उनके जनाजों के जुलूस निकलते थे, लोग सड़कों पर इकट्ठा होते थे। लेकिन आज हमारी सरकार में ऐसा कुछ नहीं होता। हमारे समय में भी आतंकी मारे गए, और पहले से कहीं ज्यादा मारे गए, लेकिन अब कोई जुलूस नहीं निकलता। आतंकवादी जहां मारा जाता है, वहीं दफना दिया जाता है।” उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बदलाव केवल नीति का परिणाम नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और एकता के प्रति अटल संकल्प का प्रतीक है।
पहले बम धमाके, अब शांति और विकास
गृह मंत्री ने यूपीए सरकार के कार्यकाल को “आतंकवाद के सामने कमजोर” बताते हुए कहा, “पहले कश्मीर में हर त्योहार पर चिंता का माहौल रहता था। पड़ोसी देश से आतंकी घुस आते थे, बम धमाके होते थे। लेकिन तब की सरकार बोलने से डरती थी, वोट बैंक की चिंता थी।” इसके उलट, उन्होंने मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाया। “2014 में पीएम मोदी के आने के बाद आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति शुरू हुई। आज जम्मू-कश्मीर में त्योहार शांति से मनते हैं। 33 साल तक बंद रहे सिनेमाघर फिर से खुल गए। ताजिया जुलूसों को अनुमति मिली। जी-20 सम्मेलन में दुनिया भर के राजदूतों ने कश्मीर की खूबसूरती, खानपान और संस्कृति का लुत्फ उठाया।”
एक देश, एक संविधान, एक ध्वज
अनुच्छेद 370 के खात्मे को लेकर शाह ने कहा, “कांग्रेस ने वर्षों तक एक देश में दो निशान, दो प्रधान और दो विधान चलाने की गलती की। लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? देश में एक ही प्रधानमंत्री, एक ही विधान और एक ही झंडा होना चाहिए। मोदी सरकार ने 370 हटाकर संविधान निर्माताओं के सपने को साकार किया।” उन्होंने इस फैसले को जम्मू-कश्मीर के इतिहास में मील का पत्थर करार दिया।
आतंकवाद पर करारा प्रहार
शाह ने आतंकवाद के खिलाफ केंद्र की सख्त नीति का जिक्र करते हुए कहा, “दुनिया में सिर्फ इजरायल और अमेरिका ही अपनी सीमा और सेना के लिए हमेशा तैयार रहते थे। पीएम मोदी ने भारत को इस सूची में शामिल कर दिखाया। उरी और पुलवामा हमलों का जवाब हमने 10 दिनों के भीतर सर्जिकल स्ट्राइक और हवाई हमलों से दिया।” उन्होंने आंकड़े पेश करते हुए बताया कि मोदी सरकार के दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं से होने वाली मौतों में 70% की कमी आई है। आतंकी घटनाएं भी तेजी से घट रही हैं।
विकास की नई राह
आतंकवाद के खात्मे के साथ-साथ विकास पर जोर देते हुए शाह ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में आकर्षक औद्योगिक नीति के कारण 12,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। 1.1 लाख करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए। यह क्षेत्र अब हिंसा से नहीं, बल्कि समृद्धि से पहचाना जा रहा है।” उन्होंने पूर्वोत्तर में उग्रवाद और वामपंथी उग्रवाद पर भी बात की। “ये तीनों नासूर देश के लिए अभिशाप थे। इनके कारण 92,000 लोगों की जान गई। लेकिन अब स्थिति बदल रही है। वामपंथी उग्रवाद को 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।”
कांग्रेस पर हमला
शाह ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “आपके शासन में जम्मू-कश्मीर की जनता दहशत में जीती थी। आतंकवाद को रोकने की इच्छाशक्ति नहीं थी। लेकिन हमने न केवल आतंकवाद को कुचला, बल्कि कश्मीर को विकास की मुख्यधारा में लाने का काम किया।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मोदी सरकार का लक्ष्य केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सम्मानजनक और समृद्ध जीवन सुनिश्चित करना है।
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