अमेरिका में लगातार ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जिनका कहीं न कहीं आतंक और आतंकी संगठनों के साथ संबंध है। इसी क्रम में इमिग्रेशन के अधिकारियों ने बदर खान सूरी नाम के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। बदर खान भारतीय है और उस पर आतंकी संगठन हमास के लिए काम करने का आरोप है।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि भारतीय नागरिक सूरी अमेरिका में पढ़ने के लिए गया था। वहां वो स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी का छात्र है। वह सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिश्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टोरल फैलो के तौर पर स्टडी कर रहा है। वह लगातार इजरायल का विरोध कर रहा था और आतंकी संगठन हमास के लिए कार्य कर रहा था। वह सोशल मीडिया के जरिए हमास के प्रति अपने प्रेम को जाहिर कर रहा था।
उसे लगा था कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर वो अपने प्रोपेगेंडा को जारी रख सकता है, लेकिन सरकार बदलते ही ट्रंप प्रशासन ने ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।
हमास के आतंकी से है घनिष्ठ संबंध
अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि अध्ययन के साथ ही विश्वविद्यालय में अध्यापन कर रहे बदर खान के एक ज्ञात या फिर संदिग्ध आतंकी से घनिष्ठ संबंध हैं, जो कि हमास का सीनियर एडवाइजर है। इसके अलावा सूरी की बीवी मफेज सालेह, जो कि एक अमेरिकी नागरिक है, उस पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। सरकार को संदेह है कि वह और उनकी पत्नी इजराइल के प्रति अमेरिकी विदेश नीति का विरोध करते हैं। साथ ही कुछ वेबसाइटों पर मफेज सालेह के हमास के साथ संबंध होने का आरोप लगाया गया है। वह अल जजीरा के लिए काम कर चुकी हैं।
ससुर रह चुका है हमास का सलाहकार
पोलिटिको में 2018 में एक लेख छपा था, जिसमें मफेज के अब्बू के बारे में दावा किया गया था अहमद यूसुफ आतंकी संगठन हमास का वरिष्ठ राजनीतिक सलाहकार हुआ करता था। ऐसे में सरकार को इस बात का संदेह है कि बीवी और शौहर दोनों ही हमास के लिए काम कर रहे थे।
ईराक-अफगानिस्तान पर रिसर्च कर रहा सूरी
बदर खान सूरी को लेकर बताया जा रहा है कि वो अमेरिका के जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में ‘ईराक और अफगानिस्तान में शांति की स्थापना’ विषय पर डॉक्टरेट कर रहा है। इसी के लिए उसे अमेरिका का वीजा दिया गया था। वहां पहुंचते ही उसने अमेरिकी मूल की मफेज से निकाह कर लिया। जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध विवरण के अनुसार, सूरी अलवलीद बिन तलाल सेंटर फॉर मुस्लिम-क्रिस्चियन अंडरस्टैंडिंग में पोस्टडॉक्टरल फेलो है। यह विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फॉरेन सर्विस का हिस्सा है। वह दक्षिण एशिया में बहुसंख्यकवाद और अल्पसंख्यक अधिकार पर पढ़ाता है।
वहीं अगर भारत में उसकी शैक्षिक उपलब्धि पर नजर डालें तो सूरी ने भारत के एक विश्वविद्यालय से ‘शांति और संघर्ष’ विषय पर पीएचडी की है। इस बारे में एक अन्य भारतीय न्यूज चैनल की खबर में साफ किया गया कि उन्होंने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के नेल्सन मंडेला सेंटर फॉर पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट रिजोल्यूशन से पीस एंड कान्फलिक्ट स्टडीज में 2020 में पीएचडी पूरी की थी।
एक और छात्रा पर लगा था हमास के लिए काम करने का आरोप
इसी तरह से रंजनी श्रीनिवासन नाम की एक भारतीय छात्रा, जो कि कोलंबिया विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रही थी। उस पर भी हमास का समर्थन करने का आरोप लगा था। उस पर आरोप है कि वह देश में हिंसा को भड़काने की गतिविधियों में शामिल थी। उसका वीजा भी कैंसिल कर दिया गया था, जिसके बाद उसने अमेरिका छोड़ दिया था।
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