बलूच लड़ाकों ने 11 मार्च को पाक अधिक्रांत बलूचिस्तान में एक पूरी ट्रेन को अगवा कर लिया, जिस पर सैकड़ों फौजी सवार थे। बलूचों ने इन फौजियों के बदले अपने राजनीतिक बंदियों सहित जेलों में बंद आम लोगों को रिहा करने के लिए 48 घंटे का समय दिया था। साथ ही चेताया था कि अगर सेना ने आपरेशन चलाया, तो इन बंधकों को धीरे-धीरे मार दिया जाएगा। उधर, पाकिस्तानी फौज का दावा है कि उसने बलूच लड़ाकों को मारकर सभी बंधकों को रिहा करा लिया है। लेकिन बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने इसे झूठ करार दिया और दावा किया है कि कई इलाकों में फौज के साथ झड़प चल रही है। बीएलए ने 100 से अधिक सैनिकों को मारने का दावा किया है। रिपोर्ट लिखे जाने तक दोनों पक्षों के बीच संघर्ष जारी था।
11 मार्च सुबह 9 बजे क्वेटा से पेशावर के लिए निकली जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर बीएलए लड़ाकों ने दोपहर लगभग 1 बजे बोलन में डढारी रेलवे स्टेशन के पास धावा बोला। लड़ाकों ने पहले पटरियों को विस्फोट से उड़ा दिया, जिससे ट्रेन सुरंग के पास रुक गई। फिर आसपास की पहाड़ियों पर मोर्चा थामे लड़ाकों ने ट्रेन पर फायरिंग शुरू कर दी। थोड़ी ही देर में जब ट्रेन की सुरक्षा में साथ चल रहे सुरक्षाकर्मियों की गोलियां खत्म हो गईं तो पहाड़ियों से उतरकर उन्होंने यात्रियों सहित ट्रेन अगवा कर लिया।
सरकारी दावा : लड़ाके मारे, बंधक छुड़ाए
पाकिस्तान ने दावा किया है कि बलूच अपहरणकर्ताओं के खिलाफ 12 मार्च को चलाया गया आॅपरेशन सफल रहा। सभी बंधकों को छुड़ा लिया गया है। पाकिस्तान के सूचना मंत्री अता तरार ने इसकी जानकारी दी। इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक ले. जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने भी 33 बलूच लड़ाकों को मारकर उनके कब्जे से सभी बंधकों को मुक्त कराने की बात कही। यह दावा भी किया कि मशकाफ सुरंग के पास खड़ी ट्रेन को भी सेना ने कब्जे में ले लिया है। आपरेशन में जमीन पर थल सेना और फ्रंटियर कॉर्प्स ने भाग लिया, जबकि आसमान से वायु सेना ने सहयोग किया। उस ट्रेन और उसके बाहर समूहों में बैठे बंधकों की फोटो भी जारी की। आईएसपीआर प्रमुख ने दावा किया कि बंधकों को ट्रेन से उतारकर वहीं पर छोटे-छोटे समूहों में रखा गया था और हर समूह की निगरानी आत्मघाती हमलावर कर रहे थे, जिस कारण वहां आपरेशन बहुत आसान नहीं था। लेकिन पाकिस्तानी सेना के शार्प शूटरों ने उन सभी फिदायीन हमलावरों को मार गिराया। इस आपरेशन के दौरान किसी भी बंधक को नुकसान नहीं पहुंचा। सेना ने 30 घंटे से ज्यादा लंबे चले आपरेशन में 350 से ज्यादा लोगों को छुड़ाने का दावा किया है। सरकार ने 21 आम लोगों के साथ चार सुरक्षाकर्मियों के मारे जाने की बात कही है। हालांकि, सरकार ने यह भी साफ किया कि इन 21 आम लोगों में किसी की भी मौत सेना के आपरेशन के दौरान नहीं हुई।
बीएलए का दावा, चल रही लड़ाई
बीएलए ने सरकार के दावे को झूठ का पुलिंदा बताया है। संगठन के प्रवक्ता जीयंद बलोच ने बयान जारी कर साफ किया कि आईएसपीआर के दावे में कोई सच्चाई नहीं है। जीयंद ने कहा, ‘‘कई मोर्चों पर लड़ाई जारी है। इसमें पाकिस्तानी सेना को भारी नुकसान हो रहा है और बड़ी संख्या में पाकिस्तानी सैनिक मारे जा चुके हैं। कब्जागीर (पाकिस्तानी) फौज को न तो हमारे साथ लड़ाई में जीत मिल रही है और न ही वह अपने बंधक सैनिकों को बचा पाई है।’’ सिबि के रहने वाले जहीब बलोच इस बात की पुष्टि करते हैं कि उनके इलाके में फौज और बलूचों के बीच झड़प चल रही है। जहीब ने कहा कि रह-रहकर बम धमाकों की आवाज आ रही है। बंदूकों से गोलियां चलने की भी आवाजें आ रही हैं। बंधकों को छुड़ाने के दावे को बीएलए प्रवक्ता ने गलत बताते हुए कहा, ‘‘युद्ध से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुसार ही औरतों, बच्चों और आम लोगों को रिहा किया गया है, न कि उन्हें पाकिस्तान की सेना ने छुड़ाया है।’’ जीयंद की इन बातों को रिहा किए गए लोगों के बयानों से भी बल मिलता है।

चश्मदीदों ने की पुष्टि
रिहा किए गए लोगों में से कई के बयान एक्स (ट्विटर) पर देखे जा सकते हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि जब बीलए के लड़ाके ट्रेन में घुसे तो उन्होंने औरतों, बच्चों और बुजुर्गों को चले जाने को कहा। एक चश्मदीद ने बताया, ‘‘हम तो डर के मारे छिपे हुए थे। उन्होंने हमें बाहर निकालकर कहा कि उनकी हमसे कोई दुश्मनी नहीं और वे हमें छोड़ रहे हैं।’’ एक अन्य व्यक्ति ने कहा, ‘‘हमसे कहा गया कि सीधे बढ़ते जाएं और पीछे मुड़कर न देखें।’’ इसके बाद बड़ी संख्या में ये लोग घंटों पैदल चलकर पीरू कुनरी पहुंचे, जहां फ्रंटियर कॉर्प्स ने उन्हें मालगाड़ी के चार डिब्बों में क्वेटा भेजा। पाकिस्तान सरकार और फौज के इस दावे पर कि उसने सभी बंधकों को छुड़ा लिया है और उसके कुछ ही सैनिक मारे गए हैं, को एक चश्मदीद ने गलत बताया हैं। ‘‘मैंने 30-35 लोगों के शव देखे। कई शव ट्रेन से बाहर पड़े हुए थे।’’
ग्वादर के पुतन ग्वादरी पाकिस्तानी दावे को सरासर झूठ बताते हैं। वे कहते हैं, ‘‘वे झूठ बोलने में माहिर हैं। फरवरी 2022 में पंजगुर और नुश्की के मिलिट्री कैम्प पर हुए हमलों में भी लगभग 200 सैनिक मारे गए थे, जबकि सरकार ने कुछ ही सैनिकों के मरने की बात मानी। वहां तीन दिनों तक झड़प चली थी। इसी तरह, 2019 में ग्वादर के पर्ल कंटिनेंटल होटल पर हुए हमलों में भी 40 से अधिक सैनिक मारे गए थे, जबकि सरकार ने एक ही सैनिक के मारे जाने की बात मानी थी।’’ पंजगुर और नुश्की के हमलों में 16 बलूच लड़ाके मारे गए थे, जबकि ग्वादर के पर्ल कंटिनेंटल होटल पर हुए हमले को बीएलए के तीन लड़ाकों ने अंजाम दिया था। ग्वादर हमले के बारे में पुतन कहते हैं, ‘‘उस हमले में तो बड़ी सूझ-बूझ के साथ पाकिस्तानी सैनिकों को मारा गया था। जब सैनिकों ने होटल को घेर रखा था तो अचानक अंदर के बलूच लड़ाकों ने गोलियां चलानी बंद कर दीं। उसके फौरन बाद बीएलए ने बयान जारी करके कहा कि उनका आपरेशन पूरा हो गया है और उनके साथी शहीद हो गए हैं। इस बयान के आने के बाद होटल को घेरे सैनिक जैसे ही बाहर आए, अंदर से बलूच लड़ाकों ने उन पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया था।’’
पहले ही चेताया था
ट्रेन को अगवा करने के बाद बीएलए ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा था, ‘‘बलूच लिबरेशन आर्मी ने बड़ी सावधानी और योजनाबद्ध तरीके से इस आपरेशन को अंजाम दिया। बोलन के मशकाफ के पास हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने रेल पटरी को उड़ाकर जाफर एक्सप्रेस को रुकने के लिए मजबूर कर दिया। यात्रियों को बंधक बना लिया गया है। बीएलए साफ शब्दों में आगाह करता है कि यदि कब्जागीर ताकत (पाकिस्तान) ने सैनिक आपरेशन करने की जुर्रत की तो इसके नतीजे बुरे होंगे। तब इन सैकड़ों बंधकों को मार दिया जाएगा और इस खून-खराबे के लिए वही जिम्मेदार होगी।’’ साथ ही बयान में यह भी कहा गया कि इस अहरण-कांड को बीएलए की खास यूनिटों- मजीद ब्रिगेड, एसटीओएस और फतेह स्क्वॉयड ने अंजाम दिया। बीएलए ने बंधकों की रिहाई के बदले पाकिस्तान सरकार से 48 घंटे के भीतर विभिन्न जेलों में बंद बलूच राजनीतिक कार्यकर्ताओं और जबरन लापता किए गए लोगों को छोड़ने और ऐसा नहीं करने पर बंधकों को मारने की धमकी दी थी। लेकिन पाकिस्तान सरकार ने अगवा ट्रेन को छुड़ाने के लिए आपरेशन शुरू कर दिया। पैदल सैनिकों ने जमीन से हमला किया, जबकि आकाश में सेना के हेलिकॉप्टर मंडराते देखे गए। यही वह आपरेशन है, जिसके बारे में पाकिस्तान सरकार का दावा है कि उसने इसके जरिये सभी हमलावरों को मारकर बंधकों को छुड़ा लिया।
पाकिस्तानी सेना के आपरेशन शुरू करने के बाद भी बीएलए प्रवक्ता जीयंद बलोच ने बयान जारी कर कहा, ‘‘आज (12 मार्च) दुश्मन सैनिकों ने गोला-बारूद और उन्नत हथियारों के साथ हमला बोला। हालांकि, बीएलए के लड़ाकों ने इसे नाकाम कर दिया और उन्हें पीछे हटने को मजबूर कर दिया। इस जीत के बावजूद बीएलए के तीन लोग शहीद हो गए। कैदियों की अदला-बदली नहीं करने और इस तरह के हमले के जवाब में बीएलए ने बंधक बनाए गए 50 और सैनिकों को मार डाला है। इससे पहले कल रात (11 मार्च) हुए ड्रोन हमले के जवाब में बंधक 10 सैनिकों को मार डाला गया था। इसके अलावा आज हुई झड़पों में 10 पाकिस्तानी सैनिकों को मार दिया गया है, जबकि कल हुई झड़प में 30 सैनिक मारे गए थे। इस तरह कुल मिलाकर अब तक 100 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों को मार डाला गया है और अब भी करीब 150 हमारे कब्जे में हैं।’’ जीयंद बलोच ने इसी बयान में चेतावनी भी दी, ‘‘अगर कैदियों की अदला-बदली के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हम हर घंटे बलूच नेशनल कोर्ट में इन बंधकों की सुनवाई करके उन्हें मौत के घाट उतारते रहेंगे।’’
चीन को भी चेताया
इसी बीच, बीएलए लड़ाकों का एक वीडियो संदेश भी वायरल हो रहा है, जिसमें एक पहाड़ी पर कई लड़ाकों के साथ डेरा जमाए एक नकाबपोश लड़ाका खुले शब्दों में पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी धमकी देता दिख रहा है। वह कह रहा है, ‘‘पाकिस्तान और चीन को साफ शब्दों में चेतावनी देते हैं कि वे बलूचिस्तान छोड़कर फौरन चले जाएं। हमारे नेता जनरल असलम बलोच भी यह चेतावनी दे चुके हैं, लेकिन चीन ने इस पर ध्यान नहीं दिया। हम एक बार फिर यह साफ कर देना चाहते हैं कि ग्वादर समेत पूरा बलूचिस्तान बलूचों का है। चीन, तुम हमसे पूछे बिना हमारे इलाके में आए, हमारे दुश्मन पाकिस्तान का साथ दिया। बीएलए गारंटी देता है कि तुम्हारी सीपेक परियोजना पूरी तरह विफल होगी। मजीद ब्रिगेड में बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं और वे अपनी जमीन की हिफाजत करने के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार हैं। चीनी नागरिकों और चीनी परियोजनाओं पर हमले करने के लिए मजीद ब्रिगेड में खास तौर पर एक यूनिट बनाई गई है।’’
बलूच लड़ाकों के बढ़ते प्रभाव का मामला बलूचिस्तान की विधानसभा में भी गूंजा है। ट्रेन को अगवा करने के मामले पर बहस के दौरान विधानसभा में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई) के विधायक मीर जफर जेहरी ने कहा कि प्रदेश पर सरकार से ज्यादा प्रभाव तो बीएलए और बीएलएफ का है। इनके लड़ाके रात में गश्त करते हैं और चौकियां बनाते हैं। इन्हें प्रदेश के आम लोगों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि औरतें अपने गहने बेचकर इन लड़ाकों की मदद कर रही हैं।
इसमें संदेह नहीं कि बलूचिस्तान को आजाद कराने की लड़ाई बहुत ही महत्वपूर्ण दौर में पहुंच गई है। खास तौर पर जिस तरह से खैबर पख्तूनख्वा के पठानों से उन्हें समर्थन मिल रहा है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि आने वाले समय में पाकिस्तान पर चौतरफा दबाव बढ़ने जा रहा है।
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