बांग्लादेश एक बार फिर आक्रोश में उबल रहा है। इस बार आंदोलन की कमान संभाली है महिलाओं ने, मुद्दा है महिला सुरक्षा। इस विषय पर देश में जबरदस्त गुस्सा देखने में आ रहा है। उस इस्लामी देश में अब यह बात आम बन चुकी है कि यहां महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। रमजान के दिनों में इस्लामी मजहबियों के हाथों की कठपुतली बना सत्ता तंत्र लाचार दिखाई दे रहा है। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार और खुद मोहम्मद यूनुस हालात हाथ से बाहर होते देखने को मजबूर बना दिए गए हैं। ताजा आक्रोश एक 8 वर्षीय बच्ची के साथ हुए बलात्कार के बाद उभरा है। उस घटना के विरोध में हज़ारों लोग,विशेष रूप से महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं।
प्रदर्शनकारी महिलाएं अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। बच्चियों के खिलाफ बढ़ते यौन अपराध गुस्से को और बढ़ा रहे हैं। हाल की उक्त घटना ढाका के एक उपनगर में हुई है। स्थानीय मीडिया के समाचारों के अनुसार, इस घटना के बाद कई अन्य पीड़ितों ने भी सामने आकर अपने साथ हुए यौन अत्याचारों के बारे में खुलकर बोला है।

महिलाओं का विरोध प्रदर्शन राजधानी ढाका से शुरू होकर अब देश के अन्य प्रमुख शहरों तक फैल गया है। छात्र संगठनों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने मिलकर इस आंदोलन को गति दी है। प्रदर्शनकारियों ने कई प्रमुख मार्गों और चौराहों पर धरना प्रदर्शन किया है, जिससे शहरों में यातायात की आवाजाही प्रभावित हुई है।
प्रदर्शनकारियों की मांग है कि पीड़ितों को जल्दी न्याय मिलना चाहिए। धरना प्रदर्शनों में “महिला सुरक्षा सुनिश्चित करो” और “बलात्कारियों को कठोर सज़ा दो” जैसे नारे लगा रहे हैं। हैरानी की बात नहीं कि इन विरोध प्रदर्शन में हज़ारों की संख्या में आम लोग शामिल हो रहे हैं। महिलाओं की संख्या हर स्थान पर अधिक देखने में आ रही है।
सरकार के मुख्य सलाहकार नोबुल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने इस मुद्दे पर कहा है कि महिला सुरक्षा किसी भी विकसित समाज का आधार है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी बहनें और बेटियां बिना किसी भय के अपना जीवन जी सकें। यह केवल कानून व्यवस्था का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के मूल्यों और संस्कृति से जुड़ा हुआ विषय है। यूनुस का बयान कोरा सिद्धांतवादी प्रतीत होता है क्योंकि धरातल पर ऐसा वातावरण बनाने के कोई खास प्रयास होते नहीं दिखे हैं। दिलचस्प बात है कि यूनुस के इस बयान के बाद तो प्रदर्शनकारी और उत्तेजित दिखाई दिए हैं। यूनुस के उस बयान की वजह से अब यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

इस विषय में बांग्लादेश सरकार ने गंभीरता दिखाने की गरज से एक कार्यबल गठित करने की बात की है। यह बल महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों की जांच करेगा और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने का काम करेगा। लेकिन ऐसा कब होगा, इस बारे में संशय बना हुआ है। गृह सलाहकार का कहना है, “हम इस तरह की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेंगे। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। हमने पुलिस को निर्देश दिए हैं कि वे इस मामले की त्वरित जांच करें और अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करें।” दूसरी तरफ, विपक्षी दलों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह महिला सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर नहीं है और केवल बयानबाजी करके गंभीर होने का दिखावा कर रही है।
बांग्लादेश में यौन अपराधों के खिलाफ कड़े कानून होने के बावजूद, उनका क्रियान्वयन अक्सर कमज़ोर रहा है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि न्याय प्रणाली में देरी और अपराधियों को राजनीतिक संरक्षण महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि के प्रमुख कारण हैं। बांग्लादेश में वकील और महिला अधिकार कार्यकर्ता फरीदा अख्तर का कहना है, “हमें कानूनों को और कड़ा बनाने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि मौजूदा कानूनों को प्रभावी ढंग से लागू करने की ज़रूरत है। यौन अपराधों की रिपोर्टिंग और न्याय प्रक्रिया को सरल बनाया जाना चाहिए।”
विशेषज्ञों का भी मानना है कि बांग्लादेश में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केवल कानूनी सुधार ही पर्याप्त नहीं है। समाज में महिलाओं के प्रति दृष्टिकोण में भी बदलाव लाने की आवश्यकता है। शैक्षिक संस्थानों में लैंगिक समानता के बारे में जागरूकता फैलाना, मीडिया में महिलाओं के चित्रण में बदलाव और परिवारों में लड़कों को सम्मानजनक व्यवहार सिखाना आदि समाधान के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।

उधर संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने बांग्लादेश में बढ़ते यौन अपराधों पर चिंता व्यक्त की है। संस्था ‘यूएन वीमैन’ ने बांग्लादेश सरकार से आग्रह किया है कि वह महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए। बांग्लादेश में महिला सुरक्षा की मांग पर हो रहे विरोध प्रदर्शन अब एक महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलन बन चुके हैं। यह न केवल न्याय की मांग है, बल्कि समाज में महिलाओं के स्थान और सम्मान के बारे में एक व्यापक बहस की शुरुआत भी है। यह आंदोलन देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोकने और अपराधियों को कड़ी सजा दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
इस आंदोलन को रोकने और महिलाओं के अंदर सुरक्षा की भावना पैदा करने के लिए यूनुस सरकार क्या कदम उठाती है, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा। 5 अगस्त 2024 के बाद से इस्लामी बांग्लादेश लगातार पतन की ओर जा रहा है। राजनीति, सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाएं चरमराई हुई हैं, इससे असंतोष को हवा मिल रही है। सत्ता पर अपना हक जमाए बैठे मजहबी उन्मादी तत्व और खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी के कार्यकर्ता बेलगाम अराजकता में रत हैं और यूनुस सरकार को कोई राह नहीं सूझ रही है।
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