म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या 'शरणार्थियों' के दर्जनों शिविर हैं (File Photo)
अमेरिका विश्व खाद्य कार्यक्रम आगामी 1 अप्रैल से बांग्लादेश के रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए भेजे जा रहे राशन में जबरदस्त कटौती करने जा रहा है। राशन में इस कटौती की खबर बांग्लादेश में कॉक्स बाजार स्थित वहां के सबसे बड़े रोहिंग्या कैंप में रह रहे लाखों रोहिंग्याओं में खलबली मची हुई है। उन्हें लग रहा है कि अब उनके खाने के लाले पड़ने वाले हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि इस आदेश के पीछे ट्रंप प्रशासन का हाथ है कि नहीं, लेकिन यह तय है कि इसके परिणामस्वरूप कैंप में खाद्यान्न का संकट खड़ा हो जाएगा। फिलहाल यह आदेश कॉक्स बाजार के कैंप के संदर्भ में जारी किया गया है। यहां पर म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या ‘शरणार्थियों’ के दर्जनों शिविर हैं जिनमें लगभग 10 लाख से ज्यादा ‘शरणार्थी’ रह रहे हैं।
म्यांमार में बहुसंख्यक शांतिप्रिय—अहिंसक बौद्धों पर रोहिग्याओं की हिंसा के बाद, साल 2017 में म्यांमार सेना और पुलिस ने रोहिंग्याओं पर संख्ती करनी शुरू की थी। इसके बाद वे वहां से भाग खड़े हुए थे। लगभग 7 लाख से अधिक मुस्लिम रोहिंग्या म्यांमार से भागकर बांग्लादेश पहुंचे थे। हालांकि तब सेकुलर मीडिया ने दुष्प्रचार करते हुए यह छापा था कि ‘बौद्ध बहुल देश म्यांमार में रोहिंग्या जातीय समूह को भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उन्हें नागरिकता और अन्य अधिकारों से भी वंचित किया जाता है’।
जैसा पहले बताया खाद्यान्न में इस कटौती का निर्णय सीधे ट्रंप प्रशासन का है या नहीं, यह स्पष्ट नहीं है। यह जरूर है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पद पर आते ही अधिकांश विदेशी सहायता कार्यक्रमों पर लगाम लगा दी थी। उदाहरण के लिए उन्होंने अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी को भी भंग कर दिया। इसकी वजह से दुनिया भर में ‘मानवीय मदद’ के नाम पर ‘गरीब’ देशों में जो कार्यक्रम चल रहे थे, वे अब ठप हैं और वे ‘गरीब’ देश कुनमुना रहे हैं।
बांग्लादेश में शरणार्थी राहत और प्रत्यावर्तन के आयुक्त शमसूद दौजा का कहना है कि पहले राशन के लिए मदद के तौर पर 12.50 डॉलर प्रति माह मिला करते थे, जो अब घटकर 6 डॉलर कर दिए गए हैं। ऐसे और भी क्षेत्र हैं, जहां खाद्य राशन के अलावा बजट में कटौती की गई है। यूनुस की अंतरिम सरकार का कहना है कि ‘मदद’ में कटौती से उस देश में कई परियोजनाएं प्रभावित होंगी।
रोहिंग्या ‘शरणार्थियों’ का कहना है कि वे अगले महीने से खाद्यान्न राशन में होने वाली कटौती के बारे में सोच सोचकर चिंता में घुले जा रहे हैं। अब उनको मिल रहा अमेरिका का खाद्यान्न आधा हो जाएगा। इस बारे में शरणार्थी कैंप के एक अधिकारी का कहना है कि यह कटौती सीधे सीधे 10 लाख से ज्यादा के खान—पान पर असर डालेगी। इससे ‘सामाजिक’ और ‘मानसिक’ पीड़ा पहुंच सकती है।
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