समूह का अपना प्रभाव रहता है, समूह में रहते हैं तो आपसी संवाद होता है, वह कई स्तरों पर प्रगाढ़ होता है। एक-दूसरे के व्यवहार से हम बहुत कुछ नया जानते और सीखते हैं, इसलिए वर्ग का अपना महत्व है। विद्या भारती के पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं की भूमिका केवल व्यक्तिगत या सांगठनिक स्तर तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि समाज जीवन के हर क्षेत्र में हमारी प्रभावी भूमिका आवश्यक है। विकास के नए-नए अविष्कार, तकनीकि विकास के परिणाम में यंत्र की सामर्थ्य बढ़ती जा रही है, किंतु मनुष्य की इंद्रियों की क्षमता घटती जा रही है। वर्चुअल वर्ल्ड में मनुष्य का दिमाग अधिक लगता दिखता है, जबकि रियल वर्ल्ड से वह कट रहा है। वास्तव में आज की यह जरूरत है कि वर्चुअल वर्ल्ड और रियल वर्ल्ड के बीच एक विभाजन रेखा हो। उक्त बातें विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के अखिल भारतीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता वर्ग के समापन अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री सुरेश सोनी ने कार्यकर्ताओं को प्रेरणादायी मार्गदर्शन प्रदान करते हुए कहीं।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित आवासीय विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर, शारदा विहार, केरवा बाँध मार्ग पर संपन्न हुए वर्ग समापन पर शनिवार को श्री सोनी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते प्रभाव और उससे उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि तकनीक की प्रगति से मशीनों की क्षमता बढ़ रही है, लेकिन इसके दुष्प्रभावों के चलते मानव की शारीरिक एवं मानसिक क्षमताएँ प्रभावित हो रही हैं। आज व्यक्ति यात्रा भले ही विमान, बस या कार में कर रहा हो, लेकिन उसका मन वर्चुअल दुनिया में विचरण कर रहा होता है। यह प्रवृत्ति धीरे-धीरे व्यक्ति को वास्तविकता से दूर ले जा रही है, जिससे समाज और पारिवारिक जीवन पर भी प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने कार्यकर्ताओं को सचेत करते हुए कहा कि “तकनीक हमें जोड़ सकती है, लेकिन संबंध स्थापित नहीं कर सकती।” उन्होंने आह्वाहित करते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग अवश्य करें, लेकिन यह ध्यान रखें कि यह हमारी मौलिक बुद्धिमत्ता को कमजोर न करे। तकनीक को साधन बनाएं, साध्य नहीं। इस अवसर पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
सफल होने के लिए बार-बार के अभ्यास का महत्व है
श्री सोनी ने कहा कि जो हम जानते हैं उसे फिर से बार-बार जानना आवश्यक है। यह बार-बार जानने की प्रक्रिया हमें सिद्धहस्त बनाती है। उन्होंने आयुर्वेद का उदाहरण देते हुए कहा कि इस चिकित्सा के अंतर्गत औषधि की योजना होती है, इसमें रस योजना भी है, जिसमें भस्म भी है। आयुर्वेद में औषधि पकाने के लिए पुट शब्द चलता है। पुट के कई प्रकार होते हैं, जैसे 10 पुट, शत पुटी, सहस्त्र पुटी, जितना अधिक पुट दवा उतनी ही परिणाम कारक । अधिक क्षमता और योग्यता के लिए यही महत्व बार-बार के अभ्यास का हम सभी के जीवन में है।
पूर्णकालिक में कोई समस्या नहीं, वहां हर किसी को समाधान मिले
श्री सोनी ने कहा कि पूर्णकालिक शब्द से स्वाभाविक रूप से किसी विचार से पूरी तरह से जुड़े होने का आभास होता है। हमें हमेशा अपनी क्षमता वृद्धि करते रहने का प्रयास करना चाहिए। हर परिस्थिति के लिए अपने को ढालना आना चाहिए। समय के साथ अपनी कार्यशैली में आवश्यक परिवर्तन करते रहना है। एक व्यक्ति के रूप में, अपना विकास आवश्यक है, पर व्यक्ति के साथ हम समूह में हैं इसलिए कार्यकर्ता के रूप में अपना विकास करना हमें आना चाहिए। फिर उसमें भी यदि हम पूर्णकालिक हैं तो उसके एक काम नहीं सभी कुछ उसे पूर्ण करना है, उसका यही दायित्व है और यह अकेले को भी नहीं करना, इसलिए हमें एक संगठक का रोल अच्छे तरीके से निभाना आना चाहिए। हमारे लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि पूर्णकालिक जीवन में हम किसी समस्या के रूप में नहीं एक समाधान के रूप में अपने को स्थापित करें।
श्री सुरेश सोनी का कहना रहा कि विद्या भारती जब शुरू हुई, तब दृष्टि यही थी कि भारत के अधिष्ठान के आधार पर इसका विकास होना है। संगठन की परिधि के अंदर सारी चेष्टाएं थीं, लेकिन आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं, अब केवल अपने संगठन तक सीमित नहीं रहना है, जो शिक्षा का तंत्र, नीतियां, विभाग का स्वरूप है, उस तंत्र में विकसित मॉडल (वैज्ञानिक तकनीकी आधार) पर भी अपनी बात रखने का अभ्यास हमारा होना चाहिए। जहां यह प्रयोग चल रहे हैं उन्हें बहुत शुभकामनाएं किंतु जहां तकनीक का उपयोग का अभ्यास नहीं बना है उन्हें ध्यान देने की आवश्यकता है।
श्री सोनी जी ने बताया कि दिल्ली में विद्या भारती ने एक प्रयोग किया था, जिसमें चिन्मय मिशन, गायत्री परिवार जैसी 29 संस्थाएं उसमें सम्मित होने के लिए आगे आई थीं। ऐसे अन्य प्रयोग भी शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के स्तर पर एक-दूसरे को जानने-समझने के लिए होते रहना चाहिए। व्यक्ति के नाते, कार्यकर्ता के नाते, संगठन के नाते अपना विकास करते रहना आवश्यक है।
प्रोडक्ट प्रभावशाली है तो अवसर ही अवसर हैं
आपने कहा कि यदि हमारे प्रोजेक्ट और प्रोडक्ट में दम है तो हमको हमेशा मान, सम्मान और अवसर मिलते रहेंगे। इसके साथ ही हमारी उपयोगिता हमेशा बनी रहेगी। प्रारंभिक शिक्षा के स्तर पर आने वाले समय में बेहतर ट्रेनिंग सेंटर विकसित हों, कार्यक्रम प्रभावी हों, यह बहुत आवश्यक है। वर्ष 2047 आते-आते विश्वस्तर पर भारत अपनी भूमिका फिर शक्तिशाली रूप में निभाता हुआ दिखाई दे, इसकी सिद्धता हो, इसके लिए जो भी हमें आधारभूत परिवर्तन करने आवश्यक हैं उसके लिए हम आज से कार्य आरंभ करें, यही समय की मांग है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की दो महत्वपूर्ण घोषणाएं
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपने उद्बोधन में भगवान राम और लक्ष्मण पर महर्षि विश्वामित्र के विश्वास का उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि महर्षि ने असुरों के संहार के लिए राजा दशरथ से विशाल सेना नहीं मांगी, बल्कि उन्होंने भगवान राम की गुरुकुल में प्राप्त शिक्षा और संस्कारों पर भरोसा जताया। इस संदर्भ में विद्या भारती के गुरुकुलों और सरस्वती शिशु मंदिरों की भूमिका को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यहाँ से अध्ययनरत विद्यार्थी आज विभिन्न क्षेत्रों में श्रेष्ठता स्थापित कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने भारतीय सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि भोपाल नगर में दो प्रमुख द्वारों का निर्माण किया जाएगा- एक राजा भोज के नाम पर, दूसरा राजा विक्रमादित्य के नाम पर। यह निर्णय देश के गौरवशाली इतिहास और परंपरा को नई पीढ़ी तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम बनेगा।
समारोह के दौरान विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष दूसी रामकृष्ण राव ने पांच दिवसीय अभ्यास वर्ग (03 से 08 मार्च) की संक्षिप्त रूपरेखा प्रस्तुत की। प्रारंभ में डॉ. राम कुमार भावसार ने अतिथियों का परिचय कराया, जबकि प्रांत अध्यक्ष मोहन लाल गुप्ता एवं सचिव डॉ. शिरोमणि दुबे ने स्वागत किया। कार्यक्रम के समापन पर विद्या भारती के अखिल भारतीय महामंत्री अवनीश भटनागर ने आभार प्रदर्शन किया और अंत में वंदे मातरम् का गान हुआ। देशभर से आए 700 से अधिक पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं ने इस अभ्यास वर्ग में भाग लिया, जिनमें विद्या भारती के शीर्ष पदाधिकारी भी सम्मिलित रहे।
राष्ट्र निर्माण के संकल्प के साथ कार्यकर्ता वर्ग का समापन
विद्या भारती के इस अखिल भारतीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता वर्ग में विचार, व्यवहार एवं संगठनात्मक कार्यशैली पर गहन मंथन हुआ। विभिन्न सत्रों में शिक्षा, समाज एवं राष्ट्रहित से जुड़े विषयों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस अभ्यास वर्ग ने कार्यकर्ताओं को नवीन दृष्टिकोण, प्रभावी रणनीति और समर्पण भाव के साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान की गई है।
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