कोई भी देश एवं समाज तब तक विकसित नहीं हो सकता, जब तक वहां की महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में स्वतंत्र एवं सशक्त नहीं हो जाएं। महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने, लैंगिक समानता की दिशा में काम करने, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने, महिलाओं की सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देने तथा महिला शिक्षा, स्वास्थ्य और कार्यस्थल पर उनके हक को मजबूत करने के उद्देश्य से हर साल 8 मार्च को दुनिया के सभी देश अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं।
इस बार का विषय
यह दिवस हर साल एक खास विषय के साथ मनाया जाता है और 2025 के अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का विषय है ‘कार्रवाई में तेजी लाना’, जो सभी महिलाओं और लड़कियों के लिए अधिकार, समानता और सशक्तिकरण पर आधारित है। वास्तव में महिला दिवस अब केवल एक दिन का उत्सव भर ही नहीं रह गया है बल्कि महिला सशक्तिकरण और समानता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
बढ़ रही महिलाओं की भूमिका
आज का युग विज्ञान और प्रौद्योगिकी का युग है और यह संतोष का विषय है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी महिलाओं की भूमिका निरंतर बढ़ रही है। महिलाओं ने विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों जैसे खगोल विज्ञान, भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा, इंजीनियरिंग, गणित तथा अन्य वैज्ञानिक क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण खोजें और अनुसंधान किए हैं। मैरी क्यूरी दो बार नोबेल पुरस्कार जीतने वाली पहली महिला वैज्ञानिक थी, जिन्होंने रेडियोधर्मिता पर महत्वपूर्ण कार्य किया। रोजालिंड फ्रैंकलिन ने डीएनए की संरचना को उजागर करने में प्रमुख भूमिका निभाई। एडा लवलेस पहले कंप्यूटर प्रोग्राम की अवधारणा देने वाली महिला गणितज्ञ थी।
भारतीय महिलाएं बना रहीं पहचान
कलामंडलम हेमलता भारतीय विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली महिला वैज्ञानिक हैं। आज भी भारतीय महिला वैज्ञानिक जैसे कि टेसी थॉमस, गगनदीप कंग और किरण मजूमदार शॉ, विज्ञान में अपनी पहचान बना रही हैं। हाल के वर्षों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है लेकिन अभी भी लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए कई चुनौतियां बनी हुई हैं।
इस ओर ध्यान देने की जरूरत
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हालांकि महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन लैंगिक समानता को हासिल करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 12 प्रतिशत है। वैश्विक स्तर पर, शोधकर्ताओं में महिलाओं की हिस्सेदारी मात्र 30 प्रतिशत ही है। एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यूके में एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं की हिस्सेदारी केवल 14.4 प्रतिशत है। वहीं, भारत में, विज्ञान और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी 16 से 18 प्रतिशत के बीच है।
सरकार कर रही प्रयास
इस असमानता को दूर करने और वैज्ञानिक अनुसंधान तथा नवाचार में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं। भारत सरकार और विभिन्न वैज्ञानिक संगठनों द्वारा महिलाओं को विज्ञान में प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। ‘विज्ञान ज्योति’ योजना के तहत प्रतिभाशाली लड़कियों को विज्ञान के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है। ‘इंस्पायर’ प्रोग्राम का उद्देश्य युवा लड़कियों को विज्ञान में अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करना है। ‘गगनशक्ति’ योजना महिला वैज्ञानिकों के लिए विशेष रूप से बनाई गई योजना है। महिला वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित करने के लिए मेंटरिंग और नेटवर्किंग कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं, जिससे वे एक-दूसरे से सीख सकती हैं और अपने कैरियर में आगे बढ़ सकती हैं।
मिलकर काम करने की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, महिलाओं को वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार में समान अवसर प्रदान किए बिना सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करना कठिन होगा। वैज्ञानिक शोध और नवाचार में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए, शिक्षण संस्थानों, सरकारी योजनाओं और समाज को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। विभिन्न कंपनियों और संगठनों ने कार्यस्थलों में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए नीतियां लागू की हैं, जैसे कि लचीले कार्य घंटे, मातृत्व अवकाश और मेंटरशिप कार्यक्रम। विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों की भूमिका न केवल वैज्ञानिक प्रगति के लिए बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।
विचारों को विज्ञान में करें शामिल
हालांकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, फिर भी उन्हें समान अवसर और पहचान दिलाने के लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी केवल संख्या तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए बल्कि उनके दृष्टिकोण, अनुभवों और विचारों को विज्ञान में शामिल करना भी आवश्यक है। इस दिशा में किए गए प्रयासों से महिलाओं को विज्ञान के क्षेत्र में अधिक अवसर मिलेंगे, जिससे वे अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग कर सकेंगी और वैज्ञानिक नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगी। लैंगिक समानता को बढ़ावा देना न केवल महिलाओं के लिए बल्कि पूरी दुनिया के विकास के लिए आवश्यक है।
प्रतिभा और मेहनत को उचित सम्मान मिले
यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिलाओं को विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में उचित स्थान मिले, सरकार, शिक्षा संस्थानों और समाज को मिलकर काम करना होगा, हम केवल तभी एक समान और उन्नत वैज्ञानिक समुदाय का निर्माण कर सकते हैं, जहां प्रतिभा और मेहनत का उचित सम्मान मिले और वैज्ञानिक क्षेत्र में महिलाओं और लड़कियों की महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित की जा सके।
(लेखक साढ़े तीन दशक से पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार हैं)
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