मध्य पूर्व के देश सीरिया में सत्ता बदलने के साथ इस बात की उम्मीद थी कि 14 साल से गृहयुद्ध की आग में झुलस रहे देश में शायद शांति आएगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। वहां एक बार फिर से हिंसा भड़क उठी है। अब तक 200 से भी अधिक लोग इस हिंसा की भेंट चढ़कर अपनी जान गंवा चुके हैं। हिंसा की ये घटना बशर अल असद के सहयोगियों और नई सरकार के बलों के बीच हुई है।
सबसे अधिक मारे जा रहे आम नागरिक
रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए लोगों में 140 तो आम नागरिक हैं, जबकि 50 मौजूदा सरकार के लड़ाके और करीब 45 लड़ाके पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद के समर्थक हैं, जिन्हें इस संघर्ष में अपनी जान गंवानी पड़ी। बताया जाता है कि ये हमले बदले की भावना से किए गए थे। जिन गांवों पर ये हमले किए गए, ये सभी सीमा से लगे गांव। नई सरकार को लगता है कि सीमा से लगे गावों में रहने वाले लोग अभी भी बशर अल असद के समर्थक हैं।
2011 में शुरू हुआ था गृहयुद्ध
ब्रिटेन स्थित सीरियन ऑब्जरवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने अपनी रिपोर्ट्स में दावा किया है कि सीरिया में 2011 में बशर अल असद की सत्ता से असंतुष्ट होकर लोगों ने विद्रोह कर दिया था। तब से देश में गृहयुद्ध चल रहा है। गृहयुद्ध की इस विभीषिका में अब तक 5 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। लाखों की संख्या में लोगों ने पलायन किया है।
महिलाओं और बच्चों को भी नहीं बख्शा
गुरुवार को सरकारी बलों द्वारा किए गए ताजा हमले में मुख्तारियाह, पास पीर और हफ्फाह गांवों पर हमला कर दिया। हमलावरों ने महिलाओं और बच्चों तक को नहीं छोड़ा। इस हमले में कुल 69 पुरुषों की बेरहमी से हत्याएं कर दी गई। केवल मुख्तारियाह गांव में 30 से अधिक लोगों की हत्या कर दी। इसके अलावा बनियास शहर में भी 60 से अधिक हत्याएं की गई हैं। मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
कब गिरी थी बशर अल असद की सरकार
सीरिया में रूस और ईरान के समर्थन में बशर अल असद सरकार चला रहे थे। लेकिन, पिछले साल दिसंबर में आखिरकार विद्रोहियों ने 14 साल के अंतराल के संघर्ष के पश्चात सत्ता पर कब्जा कर लिया। असद को जान बचाकर भागना पड़ा। दरअसल, सीरिया में बशर अल असद को ईरान और रूस का समर्थन था, जबकि, सत्ता के विद्रोहियों को अमेरिका और पश्चिमी देशों का समर्थन हासिल था। इजरायल और हमास के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद से ईरान सीरिया के जरिए इजरायल पर हमले कर रहा था।
इसी बीच पिछले दिसंबर में स्थानीय मदद के बल पर विद्रोहियों ने असद की सत्ता को उखाड़ फेंका। वहां नई सरकार का गठन हुआ, लेकिन सत्ता का संघर्ष अभी भी थमा नहीं है। कल तक विद्रोही रहे आज सरकार बन गए हैं और सरकार चलाने वाले असद अब विद्रोही बन गए हैं।
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