नि:संदेह महाकुंभ आध्यात्मिकता और तकनीक का अनोखा संगम ही था। इस आयोजन में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। प्रोफेसर तियोना जुजुल का कहना है कि महाकुंभ में व्यापार और अर्थव्यवस्था का आध्यात्मिकता से जुड़ाव साफ दिखा। रसद आपूर्ति की चुनौती से जिस कुशलता से निपटा गया उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है।
महाशिवरात्रि के पर्व पर अमृतस्नान के साथ महाकुंभ 2025 का समापन हुआ है। इस आयोजन ने न केवल भारतीयों को बल्कि दुनिया भर के लोगों को बड़ी संख्या में आकर्षित किया है। 60 करोड़ से अधिक लोगों ने संगम में आस्था की डुबकी लगाकर अनूठी एकता और समरसता को प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयोजन की सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए इसे एकता का आयोजन कहा है। लेकिन सात समंदर पार, हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों में भी महाकुंभ की चर्चाएं चल रही हैं। उन्होंने भी इस अद्भुत आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, वाणिज्य, परंपरा और तकनीक के संगम का बेहतरीन उदाहरण रहा है।
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वास्तव में कुंभ भारत का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है। यह आयोजन चार प्रमुख स्थानों पर होता है: प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। लाखों श्रद्धालु पवित्र स्नान करने के लिए आते हैं इन स्थानों पर, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस आयोजन का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक भी है।
महाकुंभ के दिव्य संदेश से अभिभूत हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने महाकुंभ 2025 को परंपरा और प्रौद्योगिकी का अनूठा संगम बताया है। एक प्रोफेसर का कहना है कि “महाकुंभ परंपरा और प्रौद्योगिकी के संगम का अनोखा उदाहरण है जो समाज के विकसित होने की दृष्टि से महत्वपूर्ण आयाम हैं, जहां धर्म और तकनीक एक-दूसरे से मिलते हैं”। प्रोफेसर डायना ने महाकुंभ मेला क्षेत्र में उपलब्ध कराई गईं अत्याधुनिक सुविधाओं की सराहना करते हुए इसे अद्भुत बताया।
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नि:संदेह महाकुंभ आध्यात्मिकता और तकनीक का अनोखा संगम ही था। इस आयोजन में अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें। प्रोफेसर तियोना जुजुल का कहना है कि महाकुंभ में व्यापार और अर्थव्यवस्था का आध्यात्मिकता से जुड़ाव साफ दिखा। रसद आपूर्ति की चुनौती से जिस कुशलता से निपटा गया उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है।
जैसा पहले बताया, महाकुंभ 2025 का समापन कल महाशिवरात्रि के पावन स्नान के साथ हुआ। इस भव्य आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, प्रशासनिक क्षमता और आधुनिक तकनीक का संगम है।
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