राघव चैतन्य शिवलिंग के याचिकाकर्ता सिद्दारमैया
हिंदी के हास्य कवि हैं सुदीप भोला। उन्होंने एक बात कही थी, ‘जहां-जहां खुदा है वहीं भगवान हैं और यकीन नहीं आता है तो खोद कर देख लो।’ संदीप भोला की बातें चरितार्थ होती प्रतीत हो रही हैं। इसी क्रम में कर्नाटक के कलबुर्गी जिले में स्थित है लाडले मशक दरगाह। इसी के परिसर में स्थित है राघव चैतन्य शिव लिंग। इसमें हाईकोर्ट ने हिन्दू भक्तों को शिवलिंग की पूजा करने का अधिकार दे दिया है। इसको लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाले सिद्दारमैया हीरमथ ने बताया कि हमने हाई कोर्ट से कम से कम 500 लोगों को पूजा करने के लिए अनुमति मांगी है।
सिद्दारमैया बताते हैं कि दरगाह के कारण ये विवादित स्थल था, जिसे देखते हुए 2 दिन तक जिरह के बाद हाई कोर्ट ने एक आयोग गठित कर दिया है। इस आयोग ने हाई कोर्ट को अपनी विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं महाशिवरात्रि को देखते हुए आज दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक 15 लोगों को राघव चैतन्य शिवलिंग की पूजा करने का अधिकार दे दिया है। याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया है कि हिन्दुओं को वहां पर किसी भी तरह के समारोह करने की इजाजत नहीं है। हम वहां पर केवल सामान्य पूजा ही कर सकते हैं। इस दौरान पूजा करने वालों को अपना आधार कार्ड भी दिखाना होगा।
मामला कुछ यूं है कि कलबुर्गी में राघव चैतन्य शिवलिंग है, जिस स्थान पर ये शिवलिंग है वहीं पर दावा किया जाता है कि 14वीं शताब्दी के सूफी संत लाडले मशक की दरगाह है। इसी को लेकर 2022 में विवाद कि स्थिति उत्पन्न हो गई थी। दरअसल, हिन्दू राघव शिवलिंग की पूजा अर्चना कर रहे थे, उसी दौरान कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने पत्थरबाजी की थी। इसके बाद हिन्दुओं की तरफ से भी प्रतिक्रिया दी गई थी।
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