10 साल में देश में बढ़ा रिसर्च, उद्यमिता के लिए तैयार है बेहतर इको सिस्टम: प्रदीप मोदी
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10 साल में देश में बढ़ा रिसर्च, उद्यमिता के लिए तैयार है बेहतर इको सिस्टम: प्रदीप मोदी

सीए प्रदीप मोदी कहते हैं कि अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। लेकिन, एक सच ये भी है कि युवाओं का योगदान लिए बिना हम लोग प्रगति नहीं कर सकते हैं। इसलिए अगर हम रिसर्च के साथ अपनी उद्यमशीलता जोड़ें तो हम अच्छी प्रगति कर सकते हैं।

by Kuldeep Singh
Feb 24, 2025, 03:12 pm IST
in गुजरात
CA Pradeep Modi spoke about research and development

साबरमती संवाद में बोलते प्रदीप मोदी

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पाञ्चजन्य के साबरमती संवाद-3 प्रगति की गाथा कार्यक्रम में सीए प्रदीप मोदी ने ‘प्रगति का पहिया: प्रशिक्षण’ विषय पर देश में उद्यमिता यानि की आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर बात की। उन्होंने कहा कि देश को 3 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाना है तो युवाओं के योगदान के बिना ये संभव नहीं है। इसके लिए हमारा इको सिस्टम पूरी तरह से तैयार है।

पिछले कुछ सालों में ये माहौल बना है कि क्या इन 10 सालों में आपने देखा है कि रिसर्च की दिशा में कुछ काम हो रहा है?

ईमानदारी से कहूं तो ‘हां’ थोड़ी तो प्रगति हुई है। लेकिन ये काफी नहीं है। कई देश अपनी जीडीपी का 6-7 फीसदी रिसर्च पर खर्च करते हैं, लेकिन हम एक फीसदी से भी कम खर्च करते हैं। ये हाल अभी के अभिगम के समय है। पहले तो हम अपनी वही मार्क्सवादी, कम्युनिस्ट नीतियों को पढ़ते रहते थे। आज की तारीख में निश्चित तौर पर थोड़ा-बहुत सकारात्मक परिवर्तन हुआ है। देश में जीडीपी का कम से कम 5 फीसदी खर्च करना पड़ेगा। देश का बजट 450000 करोड़ का है, लेकिन तीन दिन पहले जारी किया गया गुजरात का बजट 3 लाख करोड़ का है, जिसमें दुर्भाग्य से रिसर्च को कोई प्राथमिकता नहीं दी गई। हमारा सबकुछ अच्छा है, लेकिन फिर भी हम रिसर्च में मात खा रहे हैं। आज अगर आप अमेरिका में जाएंगे तो आप पाएंगे कि हमारे यहां के ही इंजीनियर रिसर्च एंड डेवलपमेंट करके अच्छी प्रगति कर रहे हैं।

आंत्रप्रन्योशिप को लेकर बात करें तो इस बारे में आपकी क्या सोच है?

आज के वक्त में युवाओं और आम लोगों का जो काम है, देश को 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था कैसे बनाई जाए, इस पर फोकस है। उद्यमी जो है उसकी उद्यमशीलता देश के बारे में सोचकर आगे बढ़े फिर अपने बारे में सोच कर आगे बढ़े उसी पर हमारा फोकस होना चाहिए। आज की तारीख में हमारा मुकाबला अमेरिका, चीन, जर्मनी से नहीं है। अभी हमें दो और पायदान ऊपर जाना है। प्रधानमंत्री जी का विश्वास है कि युवाओं के बल 2026 तक हम 3 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था हम बनेंगे। एक सवाल उठता है कि क्या ये उद्यमिता हमें अपना पैसा लगाकर करना चाहिए? या किस हिसाब से करनी चाहिए? तो आज जिस चीज की सबसे अधिक कमी है वो है रिसर्च की। रिसर्च की कमी होने के कारण ही हमारा युवा अच्छे तरीके से विकास नहीं कर पाता है। रिसर्च के बिना कोई भी बिजनेस आगे नहीं बढ़ सकता है। आज के युवाओं को रिसर्च करके ही कोई काम करना चाहिए।

अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। लेकिन, एक सच ये भी है कि युवाओं का योगदान लिए बिना हम लोग प्रगति नहीं कर सकते हैं। इसलिए अगर हम रिसर्च के साथ अपनी उद्यमशीलता जोड़ें तो हम अच्छी प्रगति कर सकते हैं।

जब आप रिसर्च की बात करते हैं तो क्या ये इको सिस्टम से जुड़ा है? क्या हमारे पास इको सिस्टम है इसका समर्थन करने के लिए?

हमारा इको सिस्टम पूरी तरह से तैयार है। हमें हमारी व्यवस्था पर कोई शक नहीं है। हमें केवल एक धक्के की आवश्यकता है। हमें नौकरशाही से बाहर निकलने की आवश्यकता है। हमें कुछ फैसले लेने की आजादी देनी होगी। कोविड का उदाहरण हमारे सामने है। जो पीपीई किट हम नहीं बनाते थे, एक माह के बाद 180 देशों को हमने पीपीई किट का निर्यात किया। इसलिए इकोसिस्टम में कोई कमी नहीं है। हमारा बैलेंस ऑफ पेमेंट केवल अमेरिका के साथ सरप्लस है, बाकी सभी देशों के साथ ये नेगेटिव है।

Topics: entrepreneurshipरिसर्च3 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था3 trillion dollar economy#panchjanyaपाञ्चजन्यresearchगुजरातGujaratउद्यमिता
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