तमिलनाडु

सनातन धर्म को खत्म करने की बात करने वाली DMK की ओछी हरकत, रेलवे स्टेशन के नेम प्लेट पर लिखी हिंदी पर पोती कालिख

तमिलनाडु की डीएमके सरकार लगातार राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रही है। इसी के बहाने हिंदी का विरोध करके सियासी रोटी सेंक रही है।

Published by
Kuldeep singh

सनातन धर्म से नफरत करने वाली तमिलनाडु की DMK सरकार का हिन्दी विरोधी चेहरा एक बार फिर से सामने आ गया है। इस बार डीएमके के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपनी सीमा को पार करते हुए रेलवे स्टेशनों के नाम वाले बोर्ड पर हिंदी में लिखे शब्दों पर कालिख पोत दी। वहीं इस मामले में रेलवे ने भी तुरंत ही एक्शन लेते हुए इसे ठीक किया और फिर आरोपियों की पहचान करके उनके खिलाफ केस दर्ज कर दिया।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि तमिलनाडु की डीएमके सरकार लगातार राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रही है। राज्य सरकार एनईपी के बहाने हिंदी का विरोध करके सियासी रोटी सेंक रही है। एमके स्टालिन की अगुवाई वाली डीएमके सरकार आरोप लगाती है कि केंद्र क्षेत्रीय भाषाओं को दरकिनार करके हिंदी को तमिलनाडु पर थोप रही है। अपनी इसी विरोध को जताने के लिए रविवार को डीएमके के कार्यकर्ताओं ने ‘पोलाच्चि जंक्शन’ और पलयनकोट्टई रेलवे स्टेशन के नाम लिखे बोर्डों में हिंदी शब्दों पर कालिख पोत दी।

बस फिर क्या था जैसे ही इसकी भनक रेलवे के उच्चाधिकारियों को लगी उन्होंने तुरंत इसे सही कराया और पोलाच्ची के आरोपियों के पहचान करके उनके खिलाफ केस दर्ज कर लिया। हालांकि, दूसरे रेलवे स्टेशन पर कालिख पोतने वाले आरोपियों की तलाश की जा रही है। रेलवे के पालघाट मंडल ने इसको लेकर कहा है कि मामले की छानबीन की जा रही है और इस मामले में रेलवे अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया गया है।

केवल राजनीति चमकाने की कोशिश कर रही डीएमके

हिंदी विरोध के बहाने डीएमके सियासत की रोटी सेंक रही है। उसके हिंदी थोपने वाले झूठ का पर्दाफाश वैसे तो केंद्र सरकार कई बार कर चुकी है। इसी क्रम में एक बार फिर से केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एक बार फिर से डीएमके के आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि NEP किसी भी भाषा को थोपने की सिफारिश नहीं करती है।

डरी हुई है डीएमके सरकार

जानकारों का कहना है कि तमिलनाडु में बीते कुछ सालों में भाजपा की जमीन काफी मजबूत हुई है। लोकसभा चुनाव में ये देखने को भी मिला है। राज्य में भले ही भाजपा सीट जीतने में कामयाब न हुई हो, लेकिन उसका वोट प्रतिशत बढ़ा है। इस कारण से डीएमके को अपनी सियासी जमीन दरकती प्रतीत हो रही है।

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