यूट्यूबर रणवीर इलाहाबादिया की विवादित टिप्पणी पर देशभर में जबरदस्त विरोध के बाद सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 19 फरवरी को ओटीटी और ओटीटी प्लेटफॉर्म के स्वनियामक निकायों के लिए दिशानिर्देश जारी कर उनसे आचार संहिता का पालन करने को कहा है। उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर सामग्री प्रकाशित करते समय लागू कानूनों के विभिन्न प्रावधानों और आईटी नियम-2021 का पालन करने के निर्देश दिए हैं। यह भी कहा है कि अश्लीलता या अश्लील सामग्री का प्रकाशन दंडनीय अपराध है। इससे पूर्व पिछले वर्ष मार्च में सरकार ने अश्लीलता परोसने वाले 18 ओटीटी प्लेटफार्म पर प्रतिबंध लगाया था। इसके अलावा, सरकार की योजना वर्तमान आईटी एक्ट की जगह डिजिटल इंडिया विधेयक लाने की भी है, ताकि सोशल मीडिया पर परोसी जाने वाली अश्लीलता पर रोक लगाने के साथ यूट्यूबरों व डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स की भी नकेल कसी जा सके। उधर, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने राष्ट्रीय महिला आयोग से जवाब मांगा है। इससे पहले 18 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय ने रणवीर इलाहाबादिया की याचिका पर सुनवाई के दौरान नाराजगी जताते हुए तल्ख टिप्पणी की थी। साथ ही, ऐसी सामग्रियों पर नकेल कसने की वकालत की थी।
सोशल मीडिया और ओटीटी पर परोसी जा रही अश्लीता और आपत्तिजनक सामग्री किशोर और युवा वर्ग को बर्बाद कर रही है। ऐसी सामग्रियों पर रोक लगाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। स्टैंडअप शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में रणवीर की विवादित टिप्पणी के बाद देशभर में अश्लीलता परोसने वाली सोशल मीडिया, यूट्यूब और ओटीटी प्लेटफार्मों पर रोक लगाने और स्पष्ट नीति बनाने की मांग ने जोर पकड़ी है। अनेक पत्रकारों, शिक्षाविदों, कलाकारों और अन्य राजनेताओं सहित समाज के सभी वर्गों ने भी इसकी निंदा की है। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र लिखकर ओटीटी प्लेटफार्म और सोशल मीडिया पर बढ़ती अश्लील सामग्री को लेकर तत्काल सख्त कदम उठाने की मांग की थी। आयोग का कहना है कि इस तरह की सामग्री समाज, खासकर महिलाओं और बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। अपने पत्र में आयोग ने लिखा है कि इस तरह की सामग्री न केवल महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को खतरे में डालती है, बल्कि महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, भारतीय न्याय संहिता, पॉक्सो अधिनियम और आईटी अधिनियम सहित कई कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन भी करती है। इसलिए इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए। उधर, आल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने भी सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो पर प्रतिबंध लगाने को कहा है।
रणवीर की टिप्पणी पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी आपत्ति जताते हुए कड़ी कार्रवाई की बात कही है। महाराष्ट्र के साइबर विभाग ने रणबीर इलाहाबादिया, समय रैना और शो से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। साइबर सेल ने रणवीर को पूछताछ के लिए कई बार समन भेजा, लेकिन उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बयान दर्ज कराने का आग्रह किया था, जिसे पुलिस खारिज दिया। महाराष्ट्र पुलिस उन लोगों की भी जांच कर रही है, जिन्होंने शो में भाग लिया था। एक रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र पुलिस ने ऐसे 40 से अधिक लोगों को तलब किया है। दिल्ली, जयपुर, चंडीगढ़, असम सहित देश के अन्य हिस्सों में भी रणवीर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इस बीच, रणवीर इलाहाबादिया ने माफी मांगी है। सोशल ‘इन्फ्लुएंसर’ कहे जाने वाले रणवीर के 1.6 करोड़ फॉलोअर हैं।
सर्वोच्च न्यायालय सख्त
गिरफ्तारी से बचने के लिए रणवीर ने सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया। उसकी याचिका पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 18 फरवरी को सुनवाई की। पीठ ने नाराजगी जताते हुए रणवीर की टिप्पणी को ‘घृणित, फूहड़ और अपमानजनक’ करार दिया। रणवीर की ओर से पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के बेटे और अधिवक्ता अभिनव चंद्रचूड़ ने कहा कि उनका (रणवीर इलाहाबादिया) उद्देश्य हास्य था, न कि किसी की भावना या गरिमा को ठेस पहुंचाना। इस पर फटकार लगाते पीठ ने पूछा कि कला के नाम पर आपको क्या लाइसेंस मिल गया है? आपकी भाषा अपमानजनक और आपत्तिजनक थी। इनके दिमाग में गंदगी भरी है। ऐसे व्यक्ति की दलील हम क्या सुनें। जिस विकृत मानसिकता का प्रदर्शन किया गया है, उससे पूरा समाज शर्मिंदा होगा। क्या आप आपत्तिजनक बयानों का बचाव कर रहे हैं? यह भी पूछा कि अश्लीलता के मापदंड क्या हैं? हालांकि, न्यायालय ने रणवीर को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा दे दी है, लेकिन उससे जांच में सहयोग करने को कहा है। साथ ही, रणवीर का पासपोर्ट जब्त करने और बिना अनुमति देश छोड़कर नहीं जाने का भी आदेश दिया है। इसके अलावा, देशभर में उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर को एक साथ जोड़ने के लिए भी कहा है।
इससे पहले, 18 अक्तूबर, 2024 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की थी। इसमें ओटीटी और अन्य प्लेटफार्म पर परोसी जाने वाली सामग्री की निगरानी, उसे फिल्टर करने व यूट्यूब वीडियो को विनियमित करने के लिए केंद्र सरकार को एक स्वायत्त निकाय गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में नेटफ्लिक्स का हवाला देते हुए कहा गया था कि भारत में फिल्मों का प्रमाणपत्र केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड प्रदान करता है, लेकिन ओटीटी और अन्य प्लेटफार्मों पर प्रकाशित होने वाली सामग्री के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। लेकिन शीर्ष न्यायालय ने यह कहते हुए निकाय निगरानी के लिए बोर्ड गठित करने की मांग ठृुकरा दी थी कि यह काम सरकार का है।
मर्यादा में तो रहना होगा
भले ही रणवीर इलाहाबादिया कहे कि उसने हास्य के उद्देश्य से टिप्पणी की या ‘हास्य उसका क्षेत्र नहीं है’, लेकिन हास्य और अश्लीलता में अंतर होता है। समाज ने श्लील और अश्लील के बीच जो सीमा रेखा खींची है, उसे तो सभी को मानना ही होगा। संविधान ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी है, लेकिन इसके नाम पर अश्लीलता या फूहड़ता परोसने की छूट तो नहीं दी जा सकती। यह पहला अवसर नहीं है, जबकि किसी ने ऐसी अभद्रता की है। इससे पहले भी कई कथित कॉमेडियन भद्दे ‘जोक्स’ के कारण विवादों में फंस चुके हैं। इनमें रोहन जोशी (मोजोरोजो), अबीश मैथ्यू व तन्मय भट्ट (एआईबी रोस्ट), मुनव्वर फारूकी और विदुषी स्वरूप जैसे प्रमुख नाम हैं। मुनव्वर फारूकी ने तो कुछ वर्ष पहले हिंदू देवी-देवताओं और गृह मंत्री अमित शाह का मजाक उड़ाया था। आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर उसे गिरफ्तार भी किया गया था। वहीं, ऐसे कई कथित कॉमेडियन हैं, जो अपना कॅरियर ही गंवा बैठे, जबकि एक का तो यूट्यूब चैनल ही बंद हो गया।
कई पुरस्कारों से सम्मानित हास्य कवि अरुण जैमिनी कहते हैं, ‘‘हास्य के लिए स्टैंडअप कॉमेडी शब्द का प्रयोग ही गलत है। आज भी कवि सम्मेलन में लोग पूरे परिवार के साथ आते हैं। साहित्य अकादमी, विभिन्न संस्थाएं देशभर से कवियों को आमंत्रित करती हैं। हास्य रस, वीर रस, शृंगार रस जैसी काव्य विधाओं में विशेषज्ञता रखने वाले कवि उनके कार्यक्रमों में कविता के माध्यम से लोगों के सामने अपनी बातें रखते हैं। उसमें हास्य और व्यंग्य भी होता है, लेकिन अश्लीलता नहीं होती। द्विअर्थी संवादों का तो कोई मतलब ही नहीं है। यदि कोई अश्लील भाषा का प्रयोग करता है तो वह कैसा कलाकार? हास्य भाव से आता है, सहजता से आता है, गाली और अश्लील जुमलों से नहीं। कुंठित मानसिकता के लोग यदि प्रसिद्धि के लिए इस तरह के ‘शो’ को हास्य का नाम देते हैं तो वे घृणित मानसिकता के शिकार हैं। हमारे यहां शादी—विवाह में चुहल होती है, मजाक होता है, लेकिन गालियां दी नहीं जातीं, बल्कि गाई जाती हैं। उनकी भी मर्यादा होती है। लेकिन आजकल जो फूहड़ता हो रही है, वह तो मर्यादा की सारी सीमाएं ही लांघ चुकी है। इसके लिए समाज को आगे आने की जरूरत है। साथ ही कानून के माध्यम से सख्ती बरते जाने की जरूरत है।’’
यह है मामला
8 फरवरी को कथित स्टैंडअप कॉमेडियन समय रैना के यूट्यूब शो ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में रणवीर इलाहाबादिया ने माता-पिता को लेकर अभद्र शब्द कहे। 10 फरवरी को मुंबई पुलिस ने समय रैना, रणवी इलाहाबादिया और अपूर्वा मखीजा सहित शो के आयोजकों पर मुकदमा दर्ज किया। गुवाहाटी में कुछ यूट्यूबरों और सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर्स’ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसमें जसप्रीत सिंह, अपूर्वा, रणवीर, रैना, आशीष चंचलानी सहित अन्य लोगों के नाम हैं। आशीष चंचलानी पर महाराष्ट्र में भी मुकदमा दर्ज है। रणवीर के बाद उसने भी सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई है। गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने आशीष को अग्रिम जमानत देते हुए उसे 10 दिन के भीतर जांच अधिकारियों के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। 15 फरवरी को रणवीर ने इंस्टाग्राम पर अपने पोस्ट में दावा किया कि उसे जान से मारने की धमकी मिल रही है और वह डरा हुआ है। 18 फरवरी को उसे सर्वोच्च न्यायालय से 4 शर्तों पर गिरफ्तारी से राहत मिल गई।
युवा हास्य कवि शंभू शिखर कहते हैं, ‘‘हास्य के नाम पर ‘स्टैंडअप कॉमेडी’ जैसा जो ओछापन होना शुरू हुआ है, वह स्वीकार्य नहीं है। हास्य तो निश्छल होता है, उससे किसी को पीड़ा नहीं पहुंचती। यदि हास्य के नाम पर गाली—गलौज और अश्लीलता परोसी जाएगी तो विरोध होना स्वभाविक है। विरोध होना भी चाहिए। आजकल विभिन्न प्लेटफार्मों पर हास्य के नाम पर जिस तरह का ‘कंटेट’ कथित स्टैंडअप कॉमेडियन परोसते हैं, उसे आप क्या परिवार के साथ बैठकर देख और सुन सकते हैं? जो चीज परिवार के साथ देखी-सुनी नहीं जा सकती, उसे हास्य कैसे कहा जा सकता है? यह तो निर्लज्जता है, बेशर्मी है। जिन कार्यक्रमों की शुरुआत ही गाली से होती है, वहां कैसा हास्य। गालियां देना, फब्तियां कसना, अश्लील बातें बोलना, यह तो फूहड़ता है। हास्य के नाम पर जिस तरह की अमर्यादित भाषा का प्रयोग कथित कॉमेडियन कर रहे हैं, वह उनके घटियापन की पराकाष्ठा है। इससे समाज का नुकसान हो रहा है। इस तरह के ‘शो’ पर रोक लगाने के साथ सरकार को अश्लील सामग्री परोसने वाले सभी सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफार्म पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
आईटी पेशेवर सौरभ परमज्योती कहते हैं, ‘‘ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई जा रही हिंसा, अश्लीलता और फूहड़ता हमारे समाज के लिए ठीक नहीं है। यह न केवल हमारी संस्कृति को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि बच्चों और युवाओं पर भी गंभीर दुष्प्रभाव डालती है। जब बच्चे असामान्य और अनुचित सामग्री देखते हैं, तो उनकी सोच और व्यवहार पर गलत असर पड़ सकता है। ऐसी सामग्री न तो युवाओं और न ही समाज के लिए हितकर है। व्यापक तौर पर स्थापित हो चुके ओटीटी प्लेटफार्म पर गाली-गलौज वाली भाषा और अश्लीलता विध्वंसकारी है। हास्य के नाम पर भद्दे ‘जोक्स’ या किसी का मजाक उड़ाना भी व्यक्ति की भावना के खिलाफ है। रणवीर इलाहाबादिया जैसे लोग परिवार व्यवस्था और माता-पिता पर बेतुके और आपत्तिजनक टिप्पणी करके नई पीढ़ी के साथ समाज को गर्त में धकेल रहे हैं।’’
दरअसल, कुछ लोग सोचते हैं कि गालियों और बेहूदा चुटकुलों से ही लोग हंसते हैं। संस्कृति, देवी-देवताओं या किसी व्यक्ति या समुदाय का उपहास, अश्लीलता, गाली-गलौज, क्या यही हास्य है? अगर किसी ने विरोध किया तो यह कहकर बच निकल जाना कि ‘यह तो सिर्फ मजाक था’ या यह कह देना कि ‘आप समझ नहीं पाए’ या आपमें ‘सेंस आफ ह्यूमर’ यानी हास्य की समझ ही नहीं है। यह हास्य नहीं फूहड़ता है। इसलिए मनोरंजन के नाम पर अश्लीलता और फूहड़ता का विरोध और नियमन भी जरूरी है। हास्य का मतलब सिर्फ हंसी-ठट्ठा नहीं, बल्कि यह एक जिम्मेदारी है, जिसके लिए हास्य कलाकार जवाबदेह होता है।
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