छत्रपति शिवाजी महाराज :  मुगलों के विरुद्ध देश में हिंदुओं का मनोबल बढ़ाया, ढलती हिंदू संस्कृति को दी नई संजीवनी
July 10, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

छत्रपति शिवाजी महाराज :  मुगलों के विरुद्ध देश में हिंदुओं का मनोबल बढ़ाया, ढलती हिंदू संस्कृति को दी नई संजीवनी

छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर विशेष : माता जीजाबाई से हिंदू धर्मग्रंथ रामायण और महाभारत की कहानियां सुनकर शिवाजी महाराज के अंदर मर्यादा, धैर्य और धर्मनिष्ठा जैसे गुणों का अच्छे से विकास हुआ था।

by सुरेश कुमार गोयल
Feb 19, 2025, 06:00 am IST
in भारत
छत्रपति शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

जब भी पराक्रमी राजाओं की बात होती है तो छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम सामने आता है। शिवाजी महाराज ने मुगलों के विरुद्ध देश में हिंदुओं के मनोबल को खड़ा किया और ढलती हिंदू और मराठा संस्कृति को नई संजीवनी दी। शिवाजी अत्यंत बुद्धिमान, निडर, बहादुर और एक बेहद कुशल शासक एवं रणनीतिज्ञ थे। उन्होंने अपने कौशल और योग्यता के बल पर मराठों को संगठित कर कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। 1674 में उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की। रायगढ़ में उनका राज्यभिषेक हुआ और वह छत्रपति बने।

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शाहजी राजे भोंसले के घर पुणे के जुत्रार गांव के पास शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। माता जीजाबाई जाधवराव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली धार्मिक विचारों की महिला थीं। उन्होंने अपने वीर पुत्र शिवाजी के अंदर बचपन से ही राष्ट्रप्रेम और नैतिकता की भावना कूट-कूट कर भरी थी, जिसकी वजह से शिवाजी महाराज अपने जीवन के उद्देश्यों को हासिल करने में सफल होते चले गए और कई दिग्गज मुगल निजामों को पराजित कर मराठा साम्राज्य की नींव रखी। माता जीजाबाई से हिंदू धर्मग्रंथ रामायण और महाभारत की कहानियां सुनकर शिवाजी महाराज के अंदर मर्यादा, धैर्य और धर्मनिष्ठा जैसे गुणों का अच्छे से विकास हुआ था। बचपन से वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को भली प्रकार समझने लगे थे और इनके हृदय में स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी। शिवाजी की देखरेख की जिम्मेदारी दादोजी कोंडदेव के मजबूत कंधो पर थी। कोंडदेव जी से ही इन्होंने राजनीति एवं युद्ध कला की शिक्षा ली थी।

शिवाजी महाराज बचपन में ही अपने आयु के बालकों को इकट्ठा कर उनके नेता बनकर युद्ध करने और किले जीतने का खेल खेला करते थे। इसके बाद वह वास्तविकता में किलों को जीतने लगे जिससे उनका प्रभाव धीरे-धीरे पूरे देश में पड़ने लगा और उनकी ख्याति बढ़ती चली गई। उनका विवाह 14 मई 1640 में सइबाई निंबालकर के साथ हुआ।

1640 और 1641 में महाराष्ट्र के बीजापुर पर विदेशी शासक हमला कर रहे थे। इसी दौरान महान और वीर शासक शिवाजी महाराज ने इनका मुकाबला करने का फैसला लिया और बेहद चतुराई के साथ रणनीति बनाई। अपनी बुद्धिमत्ता और चतुराई से शिवाजी महाराज ने बीजापुर पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। पहले रोहिदेश्वर का दुर्ग फिर तोरणा के दुर्ग और उसके बाद राजगढ़ में अपना अधिकार जमाया था। बीजापुर का सुल्तान आदिलशाह इनकी शक्तियों से बौखला गया था, उसने 1659 में अपने सेनापति अफजल खां को शिवाजी महाराज को जिंदा या मृत लाने का आदेश देकर 10 हजार सैनिकों के साथ आक्रमण करने के लिए भेज दिया। बेहद क्रूर अफजल खां बीजापुर से प्रतापगढ़ किले तक कई मंदिरों को क्षतिग्रस्त किया और कई बेगुनाहों को भी मार डाला। उसने शिवाजी को अपनी कूटनीति से जान से मारने की कोशिश की, लेकिन तेज और कुशाग्र बुद्धि के शिवाजी ने अफजल खां की साजिश को पहले ही भांप लिया और जैसे ही 10 नवंबर 1659 को मुलाकात के समय सन्धि स्थल पर अफजल खां ने शिवाजी के गले पर अपना खंजर घोंपना चाहा, उसी समय शिवाजी ने अपनी चतुराई से अफजल खां का वध कर दिया। इसके बाद आदिलशाह की सेनाएं दुम दबाकर वहां से भाग खड़ी हुईं। इसके बाद शिवाजी की सेना ने बीजापुर के सुल्तान को प्रतापगढ़ में हराया। यहां शिवाजी महाराज की सेना को बहुत से शस्त्र और हथियार भी मिले थे, जिससे शिवाजी की सेना और अधिक मजबूत और ताकतवर हो गई थी।

बीजापुर के सुल्तान आदिलशाह द्वारा मुगल शासक से मदद मांगने पर औरंगजेब ने उस वक्त दक्षिण भारत में नियुक्त अपने मामा शाइस्ता खान को शिवाजी के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए भेजा। शाइस्ता खान करीब डेढ़ लाख सैनिकों के साथ पुणे पहुंच गया और 3 साल तक उसने जमकर लूटपाट की। शाइस्ता खान की सेना ने पुणे पर हमला कर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया और छत्रपति शिवाजी महाराज के लाल महल पर भी कब्जा जमा लिया। जब शिवाजी महाराज को इसकी खबर लगी तो वे अपने करीब 400 सैनिकों के साथ बाराती बन कर पुणे में गए। शाइस्ता खान की सेना शिवाजी के लाल महल में जब आराम कर रही थी, तभी शिवाजी और उनकी सेना ने शाइस्ता खान और उसकी सेना पर हमला कर दिया। इस लड़ाई में शाइस्ता खान किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग निकला।

मुगल शासक औरंगजेब से समझौते के बाद शिवाजी महाराज 9 मई, 1666 को अपने ज्येष्ठ पुत्र संभाजी और कुछ सैनिकों के साथ मुगल दरबार में गए। औरंगजेब ने शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज को बंदी बना लिया लेकिन अपनी कुशाग्र बुद्धि का इस्तेमाल कर शिवाजी महाराज चतुराई के साथ 13 अगस्त 1666 में अपने बेटे के साथ फलों की टोकरी में छिपकर आगरा के किले से भाग निकले और 22 सितंबर, 1666 को रायगढ़ पहुंच गए। 6 जून, साल 1674 को रायगढ़ में वीर छत्रपति शिवाजी महाराज का हिन्दू परंपरा और रीति-रिवाज के साथ राज्याभिषेक हुआ। राज्याभिषेक के 12 दिन के बाद उनकी माता जीजाबाई का स्वर्गवास हो गया। जीवन के आखिरी दिनों में वह चिंतित रहने लगे थे, जिसकी वजह से लगातार वे 3 सप्ताह तक तेज बुखार में रहे। इसके बाद 3 अप्रैल 1680 में उनका निधन हो गया। छत्रपति शिवाजी महाराज की याद में अरब सागर के एक द्वीप पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में विश्व के सबसे बड़े स्मारक की आधारशिला रखी थी।

Topics: मुगलMughalशिवाजी की जयंतीShivaji's birth anniversary#hinduहिंदूछत्रपति शिवाजी महाराजChhatrapati Shivaji Maharaj
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुस्लिम युवक ने हनुमान चालीसा पढ़कर हिंदू लड़की को फंसाया, फिर बनाने लगा इस्लाम कबूलने का दबाव

बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार और भारत-विरोधी सियासत: भारत के लिए नई चुनौती

झांगुर बाबा जाति के आधार पर लड़कियों को बनाता था निशाना, इस्लामिक कन्वर्जन के लिए देता था मोटी रकम

Language dispute

भाषायी विवादों के पीछे विभाजनकारी षड्यंत्र

आरोपी लड़का इस पूरे मामले को अपने मोबाइल से रिकार्ड करता रहा

‘The Kerala Story’ : हिन्दू लड़की को अगवा किया, छुड़ाने गए पुलिस अफसरों को ही धमकाता रहा SDPI का मजहबी उन्मादी

हिंदू छात्रों से पढ़वाया गया कलमा

कोटा: स्कूल में हिंदू छात्रों से कलमा पढ़वाने का वीडियो वायरल, जांच शुरू

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

फोटो साभार: लाइव हिन्दुस्तान

क्या है IMO? जिससे दिल्ली में पकड़े गए बांग्लादेशी अपने लोगों से करते थे सम्पर्क

Donald Trump

ब्राजील पर ट्रंप का 50% टैरिफ का एक्शन: क्या है बोल्सोनारो मामला?

‘अचानक मौतों पर केंद्र सरकार का अध्ययन’ : The Print ने कोविड के नाम पर परोसा झूठ, PIB ने किया खंडन

UP ने रचा इतिहास : एक दिन में लगाए गए 37 करोड़ पौधे

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies