कथित अमेरिकी डीप स्टेट के पैसे पर बांग्लादेश में गत वर्ष 5 अगस्त को तख्तापलट किया गया था और ‘छात्र आंदोलन’ की आड़ में कट्टर मजहबी तत्वों ने कुर्सी हथियाकर बांग्लादेश को रसातल में पहुंचाने की शुरुआत की थी। कहने की जरूरत नहीं कि वे मजहबी उन्मादी तत्व अपने एक एक कदम से अपने उस शातिर मकसद को साकार करते जा रहे हैं।
क्या बांग्लादेश में यूनुस की अंतरिम सरकार के दिन पूरे होने को हैं? क्या पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने देश को गर्त में देखते जाने से आक्रोश में हैं, आहत हैं? क्या बांग्लादेश में जंगलराज या हसीना के शब्दों में आतंकवादियों की सरकार के पाप का घड़ा भरने को है? ये कुछ सवाल हैं जो इन दिनों बांग्लादेश सहित हर सभ्य समाज में लोगों के मन में उथलपुथल रहे हैं। शेख हसीना के ताजा ‘अल्टीमेटम’ से एक संकेत मिलता है कि शायद अब उस इस्लामी देश में सब ऐसा ही नहीं चलता रहने वाला।
कथित अमेरिकी डीप स्टेट के पैसे पर बांग्लादेश में गत वर्ष 5 अगस्त को तख्तापलट किया गया था और ‘छात्र आंदोलन’ की आड़ में कट्टर मजहबी तत्वों ने कुर्सी हथियाकर बांग्लादेश को रसातल में पहुंचाने की शुरुआत की थी। कहने की जरूरत नहीं कि वे मजहबी उन्मादी तत्व अपने एक एक कदम से अपने उस शातिर मकसद को साकार करते जा रहे हैं।

ऐसे हालात में शेख हसीना प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़कर भारत में शरण लेने को मजबूर हुई थीं। उसे बाद से ही बताते हैं, वह पड़ोसी भारत में ही किसी गुमनाम जगह में रहते हुए अपने देश की दुर्दशा होते देखती आ रही हैं। लेकिन अब उन्होंने ऐसा बयान दिया है जिससे स्थितियों में जल्दी ही परिवर्तन देखने को मिल सकता है। उन्होंने बांग्लादेश में गद्दी पर बैठे यूनुस की अंतरिम सरकार को सीधे साफ शब्दों में ‘आतंकवादियों की सरकार’ कहते हुए उसे जल्दी विदा करने के संकेत दिए हैं।
अपने नए संदेश में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे बांग्लादेश लौटेंगी और पक्का करेंगी कि इस सरकार के आने बाद से जिन लोगों पर जुल्म हुए हैं, उन्हें न्याय दिलाएंगी। हसीना ने यह बात अपनी पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ताओं को अपने ऑनलाइन दिए संदेश में कहा है कि ”मोहम्मद यूनुस नहीं जानते, सरकार कैसे चलाई जाती है। यूनुस ने देश की तमाम जांच समितियां भंग करके आतंकवादियों को बेलगाम छोड़ दिया है जिससे वे मासूमों को मार सकें। यह सरकार बांग्लादेश को बर्बाद करने पर तुली है। लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे, आतंकवादियों की सरकार को हटाकर मानेंगे।”

हसीना आगे कहती हैं, ‘हर उस परिवार की मदद की जाएगी जिससे पीड़ा पहुंचाई गई है। यह पक्का किया जाएगा कि हत्यारों को बांग्लादेश का कानून सजा दे।’ हसीना ने जोर देकर कहा कि वे वापस लौटेंगी, शायद इसीलिए उन्हें अल्लाह ने जिंदा रखा हुआ है। उन्होंने एक बार फिर से यह बात दोहराई है कि छात्र आंदोलन में लोग की मौत पुलिस की गोली से नहीं हुई थी। उनके इस दावे की जांच कराई जा सकती और ये सही निकलेंगे।
साफ है कि हसीना अपने शासन के दौरान पुलिस की कार्रवाई को बेदाग बता रही हैं। उनके हिसाब से पुलिस ने तो बहुत संयम से काम लिया था। हालांकि पुलिस ने अपने पर हमला होने के बाद हरकत की थी। पूर्व प्रधानमंत्री का कहना है कि अबू सईद के मामले में भी पुलिस तब हरकत में आई थी जब उसे हमले का निशाना बनाया गया था। हसीना का तो यहां कहना है कि एक सोचीसमझी साजिश के तहत पुलिस वालों की हत्या करने की कोशिश की गई थी।
शेख हसीना का सीधा आरोप है कि आज यूनुस हिंसा करने वाले अपराधियों को ही बचा रहे हैं। छात्रों ने हिंसा शुरू की थी जिसके निशाने पर पुलिसकर्मियों के अलावा, उनकी पार्टी अवामी लीग के कार्यकर्ता थे, बुद्धिजीवी थे और कलाकार थे। उनकी हत्याएं की गईं। हत्या की घटनाओं के शिकार हुए लोगों के परिजनों को यूनुस के राज में न्याय मिल ही नहीं सकता।
शेख हसीना के अनुसार, मोहम्मद यूनुस को राज चलाना नहीं आता, उन्हें इसका कोई अनुभव नहीं है। यूनुस खुद मान चुके हैं कि उन्हें देश को चलाना नहीं आता। अवामी लीग पार्टी के कार्यकताओं को भी भरोसा है कि अब आतंकवादियों की यह सरकार ज्यादा दिन नहीं टिकेगी, हसीना लौटकर सबको न्याय दिलाएंगी।
टिप्पणियाँ