अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जहां USAID को बंद कर दिया है, तो वहीं अब धीरे-धीरे इसके काले कारनामे सामने आ रहे हैं। अब यह भी सामने आया है कि अमेरिका की इस अंतर्राष्ट्रीय विकास की संस्था ने बांग्लादेश में पिछले वर्ष हुए तख्तापलट में भी इसका हाथ था। यह दावा अमेरिकी सरकार के पूर्व सरकारी अधिकारी ने किया है। माइक बेंज नामक अधिकारी ने एक्स पर एक दक्षिण पंथी यूएस कॉममेंटेटर, टकर कार्लसन के साथ बातचीत करते हुए कहा कि अमेरिका आधारित अंतर्राष्ट्रीय रीपब्लिकन संस्थान को सरकारी विभाग और यूएसएआईडी ने “बांग्लादेश की राजनीति को अस्थिर” करने की अपनी योजना के लिए समर्थन दिया था।
पत्रकार अभिजीत मजूमदार ने माइक बेंज का वीडियो एक्स पर साझा किया। माइक बेंज ने यह भी कहा कि बांग्लादेश को अस्थिर करने के लिए उन्होंने एलजीबीटी की जनसंख्या के विषय में पता किया, दो बांग्लादेशी एथनिक अल्पसंख्यक समूहों और युवा विद्यार्थियों को चुना, जो पहले से ही उस वर्ष वहाँ की स्थानीय राजनीति के चलते विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि यूएसएआईडी के लोगों ने 170 लोकतंत्र कार्यकर्ताओं और 304 सूचनादाताओं के साथ मिलकर काम किया।
How USAID funded regime change in Bangladesh. Note how popular culture was deliberately manipulated to cause upheaval. https://t.co/wx9sMi0Erp
— Sanjeev Sanyal (@sanjeevsanyal) February 10, 2025
उनका कहना है कि अमेरिका द्वारा वित्तपोषित किये जा रहे बांग्लादेशी रैप समूह ऐसे संगीत और गाने बना रहे थे कि जिससे लोगों को सड़क पर आने के लिए प्रेरित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि मान लेते हैं कि यह सच है कि चीन का मुकाबला करने के लिए बांग्लादेश में सैन्य अड्डा बनाना अमेरिकी राष्ट्रीय हित के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने इससे इनकार कर दिया था, तो उसके बाद ही हमारे विदेश नीति नियोजकों ने फैसला किया कि बांग्लादेश में तख्तापलट आवश्यक है। बेंज ने यह विस्तार से बताया कि जब एक फैसला ले लिया जाता है, तो फिर देश को अस्थिर करने के लिए सारे विकल्प खोल दिए जाते हैं। फिर चाहे कोई आंदोलन कराना हो या फिर कुछ भी।
बेंज ने यह भी बताया कि द ग्रेज़ोन द्वारा प्रकाशित लीक दस्तावेजों के अनुसार, नेशनल एंडोमेंट फ़ॉर डेमोक्रेसी (एनईडी) सहित अमेरिकी एजेंसियों ने “बांग्लादेश की राजनीति को अस्थिर करने” के लिए काम किया। बेंज ने यह भी बताया कि कैसे सॉर्ट पावर का प्रयोग अस्थिरता फैलाने के लिए किया जाता है। उन्होंने यह ध्यान दिलाया कि किसी भी प्रकार की अशान्ति पैदा करने के लिए यह धन दिया जाता रहा।
इसे भी पढ़ें: बांग्लादेश: यूनुस सरकार की नाक के नीचे तसलीमा नसरीन की पुस्तक बेचने वाले सब्यसाची प्रकाशन पर कट्टरपंथियों का हमला
thegrayzone.com के अनुसार, एक तरफ जहां ट्रम्प वोक अभियानों के लिए पूरे विश्व में अमेरिकी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे अभियानों पर हमला कर रहे हैं तो वहीं नई-नई जानकारियाँ भी सामने आ रही हैं। इसके अनुसार, अमेरिका ने बांग्लादेश में एलजीबीटीआई लोगों के सबसे बड़े सर्वे और ट्रांसजेंडर डांस प्रदर्शन के लिए अमेरिकी करदाताओं का पैसा खर्च किया था।
रिपब्लिकन पार्टी के साथ संबंध रखने वाले इंटरनेशनल रिपब्लिकन इंस्टीट्यूट ने कलाकारों, संगीतकारों, कलाकारों या संगठनों को 11 सलाह अनुदान जारी किए, जिन्होंने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को को संबोधित करते हुए 225 कला उत्पादों का निर्माण किया। thegrayzone.com के अनुसार, बेंज ने आईआरआई के बांग्लादेश को अस्थिर करने के प्रयासों के विषय में बताते हुए कहा कि “ये डी.ई.आई. जागरूकता कार्यक्रम जातीय विखंडन और मानवाधिकारों के उस प्रावधान का हिस्सा हैं, जो सरकारों को गिराने और उन पर नियंत्रण करने के लिए राज्य द्वारा स्थापित किए गए हैं।”
Former State Dept. official @MikeBenzCyber explains how the National Endowment for Democracy has used "tactical wokeness" to disrupt foreign elections, destabilize other countries, and incite protests abroad: pic.twitter.com/bjkssBimUx
— System Update (@SystemUpdate_) February 4, 2025
डीईआई अर्थात विविधता, समानता और समवेशीकरण जैसे शब्दों को हाल ही में बांग्लादेश में संविधान से धर्मनिरपेक्षता और राष्ट्रवाद जैसे शब्द हटाकर समानता, मानव गरिमा जैसे शब्द सम्मिलित करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें यह लिखा गया है कि हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि करदाताओं का कितना धन ट्रांसजेंडर् और एथनिक अल्पसंख्यक बांग्लादेशियों की क्षमता निर्माण पर व्यय किया गया है, मगर यह सत्य है कि अभी भी उन्हें वित्त पोषण करने वाली मशीनरी काम कर रही है। जहां ट्रम्प प्रशासन ने यूएसएआईडी बंद करने के आदेश दे दिए हैं, तो वहीं आईआरआई का मुख्य संस्थान, नेशनल एंडोमेंट फॉर डेमोक्रेसी को हाथ नहीं लगाया गया है।
बेंज द्वारा किये गए इन खुलासों से यह पता चलता है कि अमेरिका में किस प्रकार अपना प्रभुत्व बनाए रखने के लिए अन्य देशों के आंतरिक मामलों में दखल ही नहीं दिया जाता है, बल्कि देशों को अपने अनुसार, चलाने की जिद्द भी होती है। फिर चाहे इसके लिए अमेरिका को कोई भी कदम क्यों न उठाना पड़े। अन्य देशों में लोकतंत्र या लोकतान्त्रिक मूल्यों को स्थापित करने वाले कथित आंदोलन उस देश की अच्छी खासी चलती सरकार को उखाड़ फेंकने का एक टूल मात्र हैं, जैसा हाल ही में हमने बांग्लादेश में देखा है।
टिप्पणियाँ