सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, जो ग्रामीण, अर्ध शहरी व शहरी क्षेत्र को समग्र विकास प्रदान करने के साथ सामाजिक-आर्थिक विकास, रोजगार, विनिर्माण और निर्यात में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इस बार बजट में एमएसएमई और निवेश को विकास का क्रमश: दूसरा और तीसरा इंजन बताया गया है। इन दोनों क्षेत्रों में रोजगार आधारित समावेशी विकास को गति देने के लिए आधारभूत ढांचे में सुधार, सुशासन बढ़ाने और विभिन्न क्षेत्रों में कराधान, बिजली, शहरी विकास, खनन, वित्तीय क्षेत्र और विनियामक सुधार की भी बात कही गई है।
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सहायक आचार्य, राजनीति विज्ञान विभाग, राम दयालु सिंह महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह बजट विकास को गति देने के लिए समर्पित है, जो विकसित भारत की हमारी आकांक्षाओं से प्रेरित है। बढ़ी हुई ऋण उपलब्धता, विनियामक सुधारों और वंचित समुदायों के लिए लक्षित समर्थन के साथ सरकार का लक्ष्य एमएसएमई के विकास को गति देना, अधिक रोजगार सृजित करना एवं निर्यात को बढ़ावा देना है। ये ऐसे कदम हैं, जो एमएसएमई क्षेत्र की क्षमता बढ़ाने के साथ भारत को आर्थिक महाशक्ति और विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने में सहायक होंगे।
अर्थव्यवस्था में योगदान
एमएसएमई उत्पादन और सेवाओं की एक शृंखला प्रदान करते हैं, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। घरेलू मांग को पूरा करने के साथ यह क्षेत्र निर्यात में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। देश में 5.93 करोड़ पंजीकृत एमएसएमई हैं, जो 25 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं। कृषि के बाद रोजगार देने के मामले में यह दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। इस क्षेत्र ने ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया है, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं। एमएसएमई सामाजिक-आर्थिक व ग्रामीणों के जीवन स्तर को सुधारने में योगदान देते हैं।
खास तौर से छोटे उद्यम महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को रोजगार प्रदान कर समाज में समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उद्यमियों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के अलावा नवाचार के लिए तकनीकी विकास, नए उत्पादों और सेवाओं में भी एमएसएमई का योगदान अहम है। देश में हर वर्ष लगभग 12 लाख स्नातक निकलते हैं और इनमें से बहुतायत को रोजगार की तलाश होती है। एमएसएमई उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं।
इसके अलावा, विनिर्माण क्षेत्र में एमएसएमई क्षेत्र 36 प्रतिशत और निर्यात में 45 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है। हाल के वर्षों में इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। देश के सकल मूल्य वर्धित में इसकी हिस्सेदारी 2020-21 में 27.3 प्रतिशत थी, जो 2021-22 में 29.6 प्रतिशत और 2022-23 में 30.1 प्रतिशत हो गई। यह राष्ट्रीय आर्थिक उत्पादन में एमएसएमई की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। इसी तरह, निर्यात में एमएसएमई की हिस्सेदारी 2020-21 में 3.95 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में 12.39 लाख करोड़ हो गई। 2020-21 में जहां 52,849 निर्यातक इकाइयां थीं, वे 2024-25 में बढ़कर 1,73,350 हो गईं। इसी अनुपात में इस क्षेत्र का निर्यात में योगदान भी बढ़ा है। 2022-23 में एमएसएमई का निर्यात योगदान 43.59 प्रतिशत था, जो 2023-24 में 45.73 और मई 2024 तक 45.79 प्रतिशत हो गया।
लक्ष्य और योजनाएं
एमएसएमई के लिए निवेश सीमा 2.5 गुना और टर्नओवर सीमा 2 गुना बढ़ाई गई है। इससे एमएसएमई को बड़े पैमाने पर काम करने और बेहतर संसाधनों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। सूक्ष्म व लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी सुरक्षा 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये करने से 1.5 लाख करोड़ का अतिरिक्त क्रेडिट संभव हो सकेगा। स्टार्टअप के लिए गारंटी सुरक्षा 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ तथा निर्यातक एमएसएमई को 20 करोड़ रुपये तक सावधि ऋण देने की घोषणा की गई है। इसी तरह, 5 लाख करोड़ रुपये के इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी योजना व एमएसएमई आत्मनिर्भर भारत फंड के माध्यम से 50,000 करोड़ रुपये का इक्विटी इन्फ्यूजन की भी घोषणा की गई है। नई क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ पंजीकृत सूक्ष्म उद्यमों को मिलेगा। इसके तहत पहले वर्ष 10 लाख कार्ड जारी किए जाएंगे।
बजट में सरकार ने रोजगार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योगों के लिए लक्षित नीतिगत उपाय लागू करने की घोषणा की है। इसके तहत दो क्षेत्रों, फुटवियर तथा चमड़ा व खिलौना क्षेत्र का चयन किया गया है। योजना का उद्देश्य चमड़े और गैर-चमडे के फुटवियर की डिजाइन, विनिर्माण और उत्पादन समर्थन प्रदान कर उत्पादकता, गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना है। सरकार को उम्मीद है कि इससे 4 लाख करोड़ रु. का कारोबार, 1.1 लाख करोड़ रु. का निर्यात और 22 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इसी तरह, खिलौना क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने का उद्देश्य क्लस्टर बनाने, कौशल विकास, मेड इन इंडिया ब्रांड के तहत टिकाऊ, नवीन और उच्च गुणवत्ता वाले खिलौना उत्पादन के लिए पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है।
इसके अलावा, बजट में कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर भी जोर दिया गया है, ताकि विनिर्माण क्षेत्र में कौशल अंतर को पाटा जा सके। चूंकि प्रौद्योगिकी उद्योगों को नया आकार दे रही है, इसलिए एमएसएमई को उन पहलों से लाभ होगा, जो कौशल विकास को बढ़ावा देती हैं और कार्यबल को उभरते श्रम बाजार में सफल होने के लिए आवश्यक विशेषज्ञता से युक्त करती हैं।
ढांचागत सुधार में निवेश पर जोर
एमएसएमई की स्थापना और विकास के लिए निवेश आवश्यक है। सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कई घोषणाएं की हैं। इसका उद्देश्य नवाचार को प्रोत्साहन देना, प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना और संसाधनों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करना है, ताकि एमएसएमई की पहुंच बढ़े और ये देश के आर्थिक विकास में अधिक योगदान दे सकें। साथ ही, समावेशी उद्यमिता को प्रोत्साहन देने की भी घोषणा की गई है, जो स्टैंड-अप इंडिया पहल के सफल पहलुओं को एकीकृत करेगी।
विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से वृद्धि कर रही है। विकास और ढांचागत सुधारों के कारण भारत की क्षमता और सामर्थ्य पर दुनिया का भरोसा बढ़ा है। वित्त मंत्री ने कहा कि विकास की इस यात्रा में ‘हमारे सुधार ही ईंधन हैं, जहां ‘समावेशिता’ एक प्रेरक शक्ति है और ‘विकसित भारत’ ही हमारा गंतव्य है। निवेश को विकास का तीसरा इंजन बताते हुए उन्होंने इसमें लोग अर्थात् जनसंख्या, अर्थव्यवस्था एवं नवाचार को शामिल किया है और इनके विकास के लिए कई घोषणाएं की हैं।
स्टार्टअप्स के लिए ‘फंड आफ फंड्स’ नाम से 10,000 करोड़ रु. की एक निधि स्थापित की जाएगी। इसमें पहली बार उद्यम शुरू करने वाली महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों को 2 करोड़ रु. तक का ऋण दिया जाएगा। इसके अलावा क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना की जाएगी। साथ ही, राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन ‘मेक इन इंडिया’ के तहत छोटे, मध्यम और बड़े उद्योगों को नीतिगत सहयोग व रोडमैप के अलावा स्वच्छ तकनीकी विनिर्माण को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
सार्वजनिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य
- अगले 5 वर्ष में सरकारी स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं की स्थापना।
- भारत नेट परियोजना के तहत सरकारी माध्यमिक स्कूलों व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ब्रॉडबैंड से जुड़ेंगे।
- भारतीय भाषा पुस्तक योजना के तहत स्कूल व उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं में डिजिटल किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी।
- अगले 3 वर्ष में सभी जिला अस्पतालों में डे-केयर कैंसर केंद्र खुलेंगे। इस वर्ष 200 केंद्र खोलने की घोषणा की गई है।
महिलाओं एवं बच्चों का पोषण
सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 कार्यक्रम के तहत देशभर में 8 करोड़ से अधिक बच्चों, एक करोड़ गर्भवती महिलाओं तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगभग 20 लाख किशोरियों को पोषण सहायता।
कौशल एवं उच्च शिक्षा
- युवाओं के कौशल प्रशिक्षण हेतु वैश्विक विशेषज्ञता और भागीदारी वाले 5 राष्ट्रीय कौशल उत्कृष्टता केंद्र खुलेंगे।
- 500 करोड़ रुपये से सेंटर आफ एक्सीलेंस इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर एजुकेशन की स्थापना।
- आईआईटी में 6,500 सीटें बढ़ाने के साथ छात्रावास सुविधा और बुनियादी ढांचे को विकसित किया जाएगा।
- एक साल के अंदर देश में मेडिकल की 10,000 सीटें और 5 साल में 75,000 सीटें बढ़ाई जाएंगी। इनमें एमबीबीएस के अलावा पीजी मेडिकल सीटें भी शामिल।
- बिहार में ‘नेशनल इंस्टिट्यूट आफ फूड टेक्नोलॉजी, आन्त्रप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट’ की स्थापना की जाएगी।
नवाचार में निवेश
- निजी क्षेत्र द्वारा संचालित अनुसंधान, विकास और नवाचार के लिए 20,000 करोड़ रु. दिए जाएंगे।
- अगली पीढ़ी के स्टार्टअप को प्रोत्साहन के लिए ‘डीप टेक फंड आफ फंड्स’ की घोषणा।
- पीएम रिसर्च फेलोशिप के तहत 5 वर्ष में आईआईटी और आईआईएससी के छात्रों को तकनीकी क्षेत्र में शोध के लिए 10,000 फेलोशिप दी जाएंगी।
कामगारों का उत्थान
गिग कामगारों को ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत कर पहचान पत्र, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत स्वास्थ्य सुविधाएं। इससे लगभग एक करोड़ कामगार लाभान्वित होंगे। शहरी कामगारों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए योजना शुरू की जाएगी। बैंकों से अधिक ऋण लेने, 30,000 रुपये की सीमा वाले यूपीआई लिंक्ड क्रेडिट कार्ड और क्षमता निर्माण में सहायता देने के लिए पीएम स्वनिधि योजना को बेहतर बनाया जाएगा।
अर्थव्यवस्था में निवेश
बुनियादी ढांचे से संबंधित मंत्रालय पीपीपी मोड वाली तीन वर्ष की पाइपलाइन परियोजनाएं लेकर आएंगे। पूंजीगत व्यय और सुधारों के लिए प्रोत्साहन के रूप में राज्यों को 50 वर्ष के ब्याज मुक्त ऋण के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का परिव्यय प्रस्तावित।
जल जीवन मिशन : गांवों में पाइप से जलापूर्ति की योजना को 2028 तक बढ़ाया गया। अभी तक 15 करोड़ परिवार यानी 80 प्रतिशत ग्रामीण आबादी लाभान्वित।
समुद्री विकास निधि : 25,000 करोड़ का कोष बनाया जाएगा। इसमें सरकार का योगदान 49 प्रतिशत और शेष राशि पत्तनों और निजी क्षेत्र से जुटाई जाएगी। इस निधि से जहाज निर्माण, बंदरगाहों और रसद बुनियादी ढांचे के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण किया जाएगा।
शहरी विकास : ‘शहरों को विकास केंद्र के रूप में विकसित करने’, ‘शहरों के रचनात्मक पुनर्विकास’ और ‘जल एवं स्वच्छता’ को समर्थन देने के लिए 1 लाख करोड रु. आवंटित।
ज्ञान भारतम मिशन : शैक्षणिक संस्थानों, पुस्तकालयों, संग्रहालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के साथ एक करोड़ रु. से अधिक पांडुलिपियों का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और संरक्षण।
परमाणु ऊर्जा मिशन : इसके तहत लघु मॉड्यूलर रिएक्टरों के अनुसंधान और विकास पर 20,000 करोड़ रु. खर्च किए जाएंगे। 2033 तक कम से कम 5 मॉड्यूलर रिएक्टर चालू करने का लक्ष्य।
शिप ब्रेकिंग : जहाज तोड़ने के लिए प्रोत्साहन से सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। भारतीय यार्डों में जहाज तोड़ने के लिए क्रेडिट नोट्स दिए जाएंगे, ताकि लागत संबंधी नुकसान को कम किया जा सके। जहाज निर्माण और अनुसंधान एवं विकास का बजट 99.12 करोड़ से बढ़ाकर 365 करोड़ रु. किया गया।
पर्यटन और चिकित्सा पर्यटन : राज्यों की भागीदारी से देश में 50 शीर्ष पर्यटन स्थलों का विकास किया जाएगा। राज्य ढांचागत विकास के लिए जमीन देंगे। क्षमता निर्माण और आसान वीजा मानदंडों के साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी से चिकित्सा पर्यटन और चिकित्सा पर्यटन और ‘हील इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा। कैंसर जैसी दुर्लभ बीमारियों और लंबी बीमारियों में प्रयुक्त होने वाली 36 जीवन रक्षक दवाएं सीमा शुल्क मुक्त, 6 दवाओं पर मात्र 5 प्रतिशत सीमा शुल्क।
कुल मिलाकर, बजट 2025 एमएसएमई क्षेत्र को मजबूत करने के लिए एक ठोस आधार तैयार करने के साथ उसकी चुनौतियों का समाधान कर सशक्त और लचीला पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में मददगार होगा और भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में आगे बढ़ाएगा।
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