किसी समय भ्रष्टाचार के खिलाफ हुए आंदोलन की बुनियाद पर अपनी पार्टी खड़ी करने वाले अरविंद केजरीवाल खुद इस मुद्दे पर अपने दोहरे मापदंड के कारण आरोपों से घिरे हुए हैं। दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान आआपा के मुखिया एक बार फिर सत्ता पर काबिज होने के लिए जनता से झूठे वादे करते और उन्हें बरगलाने का हरसंभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं। लेकिन सत्ता मिलते ही वादों को भूल जाना आआपा की पुरानी आदत है। दिल्ली सरकार में ऐसा कोई विभाग नहीं है, जहां उनका और उनके नेताओं का नाम भ्रष्टाचार के मामलों में न आया हो। चाहे 28,000 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हो, मोहल्ला क्लीनिक में 65,000 करोड़ रुपये फर्जी टेस्ट की बात हो या 300 करोड़ रुपये की नकली दवाइयों का घोटाला और शीशमहल घोटाला।
केजरीवाल ने न केवल आम लोगों को भ्रमित किया, बल्कि उनका भरोसा भी तोड़ा है। भ्रष्टाचार के मामलों में केजरीवाल और उनके मंत्री जेल जा चुके हैं। 2024 में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अदालत में 208 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल कर तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। इसके अलावा, मुख्यमंत्री आवास में पार्टी की सांसद स्वाती मालीवाल से केजरीवाल के निजी सचिव द्वारा की गई मारपीट के कारण भी पार्टी सुर्खियों में रही। भले ही चुनाव से पहले सभी नेताओं को जमानत मिल गई, लेकिन दिल्ली की जनता का विश्वास उन पर पहले से कम हुआ है।
इसी तरह, आआपा पर दिल्ली में बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को बसाने का भी आरोप है। यही नहीं, भाजपा ने आआपा पर स्कूलों और कक्षाओं के आधुनिकीकरण के नाम पर 1300 करोड़ रुपये का घोटाला, व्यावसायिक टैक्सियों, बस में पैनिक बटन लगाने के नाम पर और राशन कार्ड के नाम पर भी घोटाला करने का आरोप लगाया है। भाजपा का कहना है कि केजरीवाल ने कहा था कि गली-गली में 10-15 लाख सीसीटीवी लगाए जाएंगे, लेकिन इतने तो लगे नहीं और जो लगे, उनमें भी आधे से अधिक सीसीटीवी बंद पड़े हैं। इसी तरह, उन्होंने सार्वजनिक स्थानों पर मुफ्त वाई-फाई देने का वादा किया था, लेकिन यह भी दूर की कौड़ी दिखती है। एमसीडी की सत्ता में आने से पहले केजरीवाल ने दावा किया था कि एक साल में ही तीनों कूड़े के पहाड़ को खत्म कर देंगे, लेकिन दो साल बाद भी कूड़े के पहाड़ जस के तस हैं।
इसी तरह, दिल्ली को झीलों का शहर तो नहीं बना सके, लेकिन बरसात में दिल्ली की सड़कें झील जरूर बन जाती हैं। सभी को स्वच्छ जल उपलब्ध कराना तो नल से गंदे पानी की आपूर्ति, खस्ताहाल सड़कें, बसों की किल्लत और महिलाओं की सुरक्षा में चूक तो आम बात है। यहां तक कि केजरीवाल ने पानी और बिजली के बिलों की विसंगतियों से भी दिल्लीवासियों को छुटकारा नहीं दिला सके।
बहरहाल, दिल्ली में 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे। इस दिन यह देखना अहम होगा कि दिल्ली की जनता केजरीवाल के झूठे दावे, राजनीतिक द्वेष, लोगों को गुमराह करने की रणनीति को अपनाती है या फिर उनके हित में काम करने वालों को।
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