अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा राष्ट्रीय खुफिया निदेशक पद के लिए नामित की गईं तुलसी गबार्ड ने हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ कट्टरता फैलाने के लिए डेमोक्रेटिक सांसदों को जिम्मेदार ठहराया है। पूर्व कांग्रेस सदस्य तुलसी का कहना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी हिंदुओं के खिलाफ कट्टरता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है। यह बयान उन्होंने गुरुवार (30 जनवरी) को सीनेट चयन समिति के सामने दिया। दरअसल, अमेरिका में बड़े अधिकारियों की नियुक्ति को सीनेट से परमिशन लेना पड़ता है। राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी सीनेट के सामने पेश होते हैं। इस दौरान सीनेट के सदस्य नियुक्त सदस्यों से कड़े और तीखे सवाल करते हैं और नियुक्त अधिकारी को अपने जवाब से उन्हें संतुष्ट करना पड़ता है। इसके बाद ही सीनेट इन नियुक्तियों पर मुहर लगाती है।
खालिस्तानी आतंकी निज्जर केस में भारत की भूमिका पर दिया जवाब
गबार्ड से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कनाडा सरकार की ओर से भारत पर लगाए गए आरोपों से जुड़े सवाल भी पूछे गए। कनाडा के अधिकारियों ने भारत सरकार पर जून 2023 में कनाडा में एक कनाडाई नागरिक और सिख कार्यकर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया है। इन आरोपों पर आपके क्या विचार हैं कि भारत सरकार कनाडा और अमेरिका में सिख कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है? इन आरोपों को देखते हुए, अमेरिका और भारत के बीच सुरक्षा सहयोग सहित अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों पर आपके क्या विचार हैं?
इस पर गबार्ड कहती हैं, ”भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आर्थिक और सुरक्षा साझेदार है। किसी विदेशी राष्ट्र द्वारा अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ, विशेष रूप से अमेरिकी धरती पर, हत्याओं का निर्देश देने का विश्वसनीय आरोप गंभीर चिंता का विषय है। इसकी जांच होनी चाहिए। जांच के परिणाम और खुफिया जानकारी की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी जानी चाहिए।”
हिंदू धर्म और हिंदुओं के खिलाफ साजिश
इस दौरान गबार्ड ने हिंदू धर्म और हिंदुओं के खिलाफ साजिश की जाने की बात भी कही। उन्होंने कहा, ”अतीत में डेमोक्रेटिक सांसदों ने राष्ट्रपति ट्रंप के कुछ न्यायिक उम्मीदवारों जैसे एमी कोनी बैरेट और ब्रायन ब्यूशर के खिलाफ ईसाई विरोधी कट्टरता का सहारा लिया था। मैंने उस समय कांग्रेस में एक डेमोक्रेटिक के रूप में उन कार्रवाइयों की निंदा की थी, क्योंकि धार्मिक कट्टरता की हम सभी को पूरी तरह से निंदा करनी चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।”
गबार्ड ने आगे कहा कि दुर्भाग्य से कुछ डेमोक्रेटिक सीनेटर अभी भी धर्म की स्वतंत्रता के सिद्धांत और संविधान के अनुच्छेद 6 को नहीं समझते हैं, जिसमें कहा गया है कि अमेरिका के किसी भी सरकारी पद के लिए धार्मिक परीक्षण की आवश्यकता नहीं होगी।
‘धार्मिक कट्टरता को भड़काने का प्रयास’
तुलसी गबार्ड के शब्दों में, ”डेमोक्रेटिक एक बार फिर धार्मिक कट्टरता का कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इस बार हिंदुओं और हिंदू धर्म के खिलाफ धार्मिक कट्टरता को भड़काने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि यदि किसी को हिंदू धर्म के बारे में अधिक जानने में रुचि है, तो वे मेरे सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर जा सकता है, जहां मैं इस विषय पर अधिक जानकारी साझा करूंगी।”
उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर उनकी सराहना भी हो रही है। एक्स पर चंदन सिंह लिखते हैं कि यह बयान एक स्पष्ट संदेश है कि तुलसी गबार्ड ने अपनी स्वतंत्र सोच और हिंदू धर्म के प्रति अपनी निष्ठा को दृढ़ता से प्रस्तुत किया है। उन्होंने कट्टरवाद और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाते हुए स्पष्ट रूप से इस्लामी चरमपंथियों और विदेशी हस्तक्षेप का विरोध किया है।
बता दें कि तुलसी चार बार सांसद रह चुकी हैं। उन्होंने मध्य पूर्व और अफ्रीका के युद्ध क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं दी हैं। वह कुछ समय पहले डेमोक्रेटिक पार्टी से अलग हो गई थीं और चुनाव के समय रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुई थीं।
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