सरकार अगर खुद बयान जारी करके कहे कि ‘जुलाई-अगस्त 2024 में सियासी उठापटक के बीच जेल से 700 कैदी भाग खड़े हुए थे, जो अभी भी पकड़ में नहीं आए हैं, तो इसके मायने समझे जा सकते हैं। बांग्लादेश में गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) जहांगीर आलम चौधरी का यह बयान है। चौधरी की इस बात पर यकीन करने वाले उंगलियों पर गिने जा सकते हैं कि ‘सरकार कोशिश कर रही है लेकिन लगभग 700 कैदियों को वापस पकड़ नहीं पा रही है।’
भारत के पूरब में इस्लामी कट्टरपंथ की जकड़ में जा चुका बांग्लादेश 5 अगस्त 2024 से जो उथलपुथल में उलझा, उसका ओर—छोर अब भी नजर नहीं आ रहा है। तख्तापलट के बाद पूरे देश में जिस प्रकार की अराजकता मची थी, उसका फायदा उठाकर तब देश की कई जेलों में बंद इस्लामी जिहादी और अपराधी तत्व फरार हो गए थे। चौंकाने वाली बात है कि उनमें से लगभग 700 कैदी ‘लापता’ हैं। यह आंकड़ा खुद उस देश के गृह मामलों के सलाहकार ने जारी किया है। हालांकि वह कहते हैं कि ‘लापताओं’ का पता लगाने की कोशिश जारी है, लेकिन जानकारों का कहना है कि वे कट्टर इस्लामी आतंकी जानबूझकर भगाए गए थे।
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार का ‘लापताओं’ से जुड़ा बयान विकास के रास्ते पर तेजी से बढ़ते भारत के लिए चिंता की बात है। कारण यह कि इन फरार कैदियों या आतंकियों के भारत में घुसपैठ करके बड़े पैमाने पर अफरातफरी मचाने की संभावना है। रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि पिछली शेख हसीना सरकार द्वारा चुन—चुनकर पकड़े गए खूंखार कैदियों और इस्लामी जिहादी तत्वों में से अधिकांश कट्टर मजहबी जमाते इस्लामी या बीएनपी पार्टी से जुड़े थे इसलिए आगजनी और आंदोलन की आड़ में उन्हें जेलों से भगा दिया गया था।
अब भी फरार कैदियों की 700 से ज्यादा संख्या होना और ‘फिर से पकड़ में न आने’ की बात हास्यास्पद तो है ही, यह यूनुस सरकार की अकर्मण्यता या लापरवाही की तरफ भी गंभीर संकेत करती है। सरकार अगर खुद बयान जारी करके कहे कि ‘जुलाई-अगस्त 2024 में सियासी उठापटक के बीच जेल से 700 कैदी भाग खड़े हुए थे, जो अभी भी पकड़ में नहीं आए हैं, तो इसके मायने समझे जा सकते हैं। बांग्लादेश में गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) जहांगीर आलम चौधरी का यह बयान है। चौधरी की इस बात पर यकीन करने वाले उंगलियों पर गिने जा सकते हैं कि ‘सरकार कोशिश कर रही है लेकिन लगभग 700 कैदियों को वापस पकड़ नहीं पा रही है।’
यूनुस सरकार इस मामले में गंभीर है, यह जताने के लिए चौधरी ने कहा कि वैसे ज्यादातर फरारों को दोबारा पकड़ा जा चुका है और बाकियों को भी पकड़ने की कोशिश चल रही है। दिलचस्प किंतु चिंताजनक तथ्य यह भी है कि चौधरी को अभी यह नहीं पता कि भागने वालों की पहचान क्या है। अगर किसी की पहचान ही नहीं हो पा रही है तो फिर उसे वे पकड़ेंगे कैसे!
जहांगीर आलम इस संबंध में जिस ‘व्यापक जांच’ की बात कर रहे हैं, वह भी महज दिखावा ही साबित होने वाला है, क्योंकि वे जानते हैं कि भगोड़े अपराधी ऐसे कट्टर आतंकी तत्व हैं जिनके तार मजहबी उन्मादी जमाते इस्लामी से जुड़े हैं। जेल अधिकारियों ने अब से करीब दो—ढाई महीने पहले ही चौधरी को बताया था कि लगभग 700 खूंखार कैदी फरार चल रहे हैं। लेकिन चौधरी को इस ‘गंभीर’ विषय की सुध अब जाकर हुई।
जहांगीर आलम के अनुसार, 5 अगस्त 2024 के बाद किसी भी अपराधी को आम माफी देकर जेल से छोड़ा नहीं गया। जेल से बाहर बस वही लोग आए थे, जिन्हें जमानत मिली थी। बांग्लादेश की वर्तमान में जर्जर कानून व्यवस्था के बारे में गृह मामलों के सलाहकार का कहना है कि देश में डाकों तथा जबरन वसूली की वारदातों में बढ़ोतरी के समाचार तो दिखते हैं, लेकिन साथ ही अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई भी हो रही है। वे मानते हैं कि उनके पुलिस के लोग काम के प्रति ईमानदार नहीं हैं। साल 2024 के जुलाई के आखिर में और अगस्त के शुरू में बांग्लादेश की राजधानी ढाका के निकट मध्य नरसिंगडी जिले की जेल से ही 826 कैदी भाग गए थे।
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