अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ‘ट्रांसजेंडर’ लोगों को लेकर मुखर रहे थे और अपने वक्तव्यों में इसके विरुद्ध बोले थे। ट्रम्प के रक्षा मंत्री पिट हेगसेथ ने साफ कहा था कि ‘महिलाओं और उभयलिंग वालों’ को सेना में लेने से अमेरिकी सुरक्षा व्यवस्था ढीली पड़ रही है।
अपनी बेबाकी और बिंदास छवि के लिए मशहूर डोनाल्ड ट्रंप ने कल अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के नाते शपथ लेने के फौरन बाद कुछ ऐसे निर्णय लिए हैं जो नि:संदेह आने वाले वक्त में दुनिया में राजनीति की दिशा में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पिछले कार्यकाल की तरह इस बार भी उन्होंने सबसे पहला काम किया है मैक्सिको से आने वाले घुसपैठियों पर रोक लगाना। इसके लिए दक्षिण सीमा पर आपातकाल की घोषणा कर दी गई है।
डोनाल्ड ट्रम्प लगता है एक एक करके अपने चुनावी भाषणों में गिनाए काम करने का प्रण कर चुके हैं। राष्ट्रपति पद की शपथ लेते ही उन्होंने व्हाइट हाउस में अपने दफ्तर में जाकर आदेशों पर हस्ताक्षर करने शुरू कर दिए।
कल यानी 20 जनवरी को ट्रम्प ने अमेरिका की संसद कैपिटॉल हिल में राष्ट्रपति के नाते शपथ ली है। और सत्ता संभालने के फौरन बाद विश्व राजनीति पर गहरे असर डालने की ताकत रखने वाली अमेरिकी नीतियों में कुछ बड़े बदलाव की ओर संकेत किया है।
पद की शपथ लेने के बाद आधे घंटे के अपने भाषण में ट्रम्प ने ‘अमेरिका फर्स्ट’ यानी पहले अमेरिका की नीति पर चलने की बात की और इस दृष्टि से अन्य देशों पर टैरिफ लगाने के अपने फैसले को दोहराया। इसी भाषण में उन्होंने साफ कहा कि अब से किसी तीसरे लिंग को मान्यता नहीं मिलेगी, होंगे तो बस महिला और पुरुष। ट्रंप के कुछ अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों अथवा घोषणाओं पर संक्षिप्त में बात करना समीचीन होगा।
अपने भाषण में ट्रम्प ने आगे कहा कि आज से अमेरिका की सरकार के सामने बस दो ही लिंग मान्य होंगे, एक पुरुष और दूसरा, महिला। उन्होंने सभी सरकारी सेंसरशिप को फौरन बंद करने और अमेरिका में अभिव्यक्ति की आजादी की पुनर्बहाली करने को एक आधिकारिक आदेश पर दस्तखत किए।
अपने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप ‘ट्रांसजेंडर’ लोगों को लेकर मुखर रहे थे और अपने वक्तव्यों में इसके विरुद्ध बोले थे। ट्रम्प के रक्षा मंत्री पिट हेगसेथ ने साफ कहा था कि ‘महिलाओं और उभयलिंग वालों’ को सेना में लेने से अमेरिकी सुरक्षा व्यवस्था ढीली पड़ रही है।
ट्रंप ने दूसरा बड़ा फैसला अवैध प्रवासियों को लेकर किया है। वे उन्हें देश से बाहर निकालने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। घुसपैठियों, विशेषकर मैक्सिको से अवैध रूप से अमेरिका में आने वालों का प्रवेश रोकने के लिए काम करने का वायदा किया है। जो ऐसे लोग आए हुए हैं उनको पकड़कर सीमा पर छोड़ने की नीति को खत्म करने की ओर भी उन्होंने संकेत किया है। उन्होंने खुलकर कहा कि बाइडेन सरकार ने हमारे देश में अवैध रूप से आने वाले खतरनाक अपराधियों को पनाह दी और उनको सुरक्षा दी है।
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए कल ही ट्रंप ने मैक्सिको से सटी अमेरिकी सीमा पर आपातकाल लगाने की घोषणा की। ट्रम्प ने कहा कि इस सीमा से आ रहे घुसपैठियों पर वे रोक लगाएंगे। अपराध करने वाले विदेशियों को उनके देश लौटाया जाएगा।
ट्रंप ने एक और विवादित बिन्दु को झकझोरा है। उन्होंने पनामा नहर वापस लेने की ओर संकेत किया है। उन्होंने कहा कि वे पनामा नहर वापस लेकर रहेंगे। इस नहर के कारण उनके साथ काफी बुरा व्यवहार किया जाता रहा है। इसे तोहफे की तरह पनामा देश को देना ही नहीं चाहिए था। उन्होंने कहा कि चीन ही है जो आज पनामा नहर का संचालन देख रहा है जबकि हमने तो यह चीन को नहीं दी है। इसे तो पनामा देश को दिया गया था अत: हम इसे वापस लेने वाले हैं।
ट्रंप की एक और बड़ी घोषणा मेक्सिको की खाड़ी को लेकर है। वे इसका नाम बदलने जा रहे हैं जिसकी उन्होंने घोषणा कर दी है। ट्रम्प ने अब इसे अमेरिका की खाड़ी नाम देने की घोषणा की है। उन्होंने पहले कहा भी था कि अमेरिका की खाड़ी नाम ज्यादा खूबसूरत है।
नए राष्ट्रपति ने अन्य देशों पर टैरिफ लगाए जाने की भी घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अब तक दूसरे देशों को अमीर बनाने के लिए हमारे देश की सरकार अपने ही देश वालों पर कर लगा रही थी। लेकिन अब यह नहीं चलेगा। हम अपने देश के लोगों को अमीर बनाएंगे और इसके लिए दूसरे देशों पर टैरिफ और कर लगा देंगे।
राष्ट्रपति ट्रंप ने अमेरिका में इलेक्ट्रिक वाहनों की अनिवार्यता खत्म करने की बात भी की। इसके लिए उनकी सरकार ग्रीन न्यू डील को खत्म कर सकती है। इस संधि में साफ एनर्जी को बढ़ावा देने को कहा गया है। ट्रम्प ने इलेक्ट्रिक वाहन की अनिवार्यता भी समाप्त करने की ओर संकेत किया। उनके अनुसार, जिसको जो कार पसंद है वह खरीदे।
उल्लेखनीय है कि ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में गूगल के सीईओ सुंदर पिचई और एलन मस्क सहित विश्व भर के अनेक उद्योगपति उपस्थित थे। इन सबके सामने ट्रंप ने विदेशी शत्रु अधिनियम 1798 को लागू करने का फिर से वायदा किया है। उन्होंने कहा कि विदेशी शत्रु अधिनियम 1798 के तहत ही आखिरी बार दूसरे विश्व युद्ध में जापान, जर्मन और इटली मूल के गैर-अमेरिकी लोगों को कैद में लेने के लिए किया गया था।
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