महाकुंभ 2025 : "इस भूमि में भक्ति और परंपरा बहुत मजबूत" - विदेशी श्रद्धालुओं का अद्भुत अनुभव
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महाकुंभ 2025 : “इस भूमि में भक्ति और परंपरा बहुत मजबूत” – विदेशी श्रद्धालुओं का अद्भुत अनुभव

महाकुंभ 2025 में प्रयागराज पहुंचे विदेशी श्रद्धालुओं ने इसे एक "शानदार अनुभव" बताया। त्रिवेणी संगम स्नान और प्राचीन भारतीय परंपराओं से वे गहराई से प्रभावित हुए। महाकुंभ का यह आयोजन भारत और दुनिया के लिए ऐतिहासिक महत्व रखता है।

by SHIVAM DIXIT
Jan 17, 2025, 05:25 pm IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
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महाकुंभ नगर (ANI) । महाकुंभ मेला 2025 अपने पूरे वैभव के साथ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित हो रहा है। देश-विदेश से आए श्रद्धालु इस अनूठे धार्मिक आयोजन का हिस्सा बनकर आनंदित हो रहे हैं। विदेशी श्रद्धालुओं ने महाकुंभ मेले को “आश्चर्यजनक और शानदार अनुभव” बताते हुए कहा कि “इस भूमि में भक्ति और परंपरा बहुत मजबूत है।”

विदेशी श्रद्धालुओं ने नागा साधुओं के पवित्र अखाड़ों का दौरा किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। मैक्सिको से आईं एस्थर ने महाकुंभ मेले में अपनी भागीदारी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह अनुभव बहुत ही अद्भुत है। यहां लोगों का जोश, गंगा जल का महत्व और यहां की प्राचीन संस्कृति व परंपराएं सचमुच दिल को छू लेने वाली हैं। यह सब बहुत ही भव्य और शानदार है।”

उन्होंने कहा कि वह भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी सीख चुकी हैं। एस्थर ने बताया, “जैसे ही मुझे महाकुंभ मेले की जानकारी मिली, मैंने अपनी यात्रा की योजना बनाई। हमारा पूरा ट्रिप इसी दिन के लिए निर्धारित था, जिसे हम हमेशा याद रखेंगे।”

एस्थर ने “ओम नमः शिवाय” मंत्र का उल्लेख करते हुए कहा, “हम रातभर लोगों को मंत्रों का जाप करते हुए सुनते हैं। यह हमें यहां के लोगों से जोड़े रखता है। लोग हमसे बातें करते हैं, तस्वीरें खिंचवाते हैं, जो बहुत अच्छा लगता है।”

महाकुंभ : विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन

महाकुंभ विश्व का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में भारत के चार स्थानों में से किसी एक पर होता है। महाकुंभ 2025, जो पूर्ण कुंभ है, 26 फरवरी 2025 तक चलेगा।

फ्रांस से आईं मायि ने महाकुंभ मेले को “शानदार अनुभव” बताते हुए कहा, “गंगा में स्नान करना, पवित्र जल को अपने ऊपर छिड़कना और इस परंपरा का हिस्सा बनना बहुत अद्भुत है। मैंने इस मेले के बारे में पढ़ा था, लेकिन यहां आकर इसे अनुभव करना बेहद खास है। यह एक रत्न की तरह है, जो दिल को गहराई तक छू जाता है।”

मायि ने कहा कि यहां का अध्यात्म, जीवन के प्रति प्रेम और इसे साझा करने की भावना वाकई प्रेरणादायक है। मौसम पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “यहां का वातावरण बहुत गर्मजोशी भरा है। हल्की धुंध के बाद जब सूरज निकलता है, तो यह बेहद सुकून भरा होता है।”

उन्होंने कहा, “हम इस अनुभव को दोबारा जीने नहीं आ पाएंगे क्योंकि 144 साल बहुत दूर हैं, लेकिन मुझे उम्मीद है कि यह परंपरा जारी रहेगी। यह न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह विश्व धरोहर है।”

एस्थर और मायि ने अन्य श्रद्धालुओं के साथ “राधे-राधे” का भी जाप किया। महाकुंभ के चौथे दिन त्रिवेणी संगम में 30 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया।

70 मिलियन से अधिक श्रद्धालुओं ने लिया हिस्सा

आंकड़ों के अनुसार, गुरुवार शाम 6 बजे तक 30 लाख से अधिक लोगों ने संगम में स्नान किया, जिसमें 10 लाख कल्पवासी और 20 लाख अन्य श्रद्धालु शामिल थे। अब तक 7 करोड़ से अधिक श्रद्धालु इस विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन का हिस्सा बन चुके हैं, जिनमें से 3.5 करोड़ ने मकर संक्रांति (14 जनवरी) के दिन पवित्र स्नान किया।

 

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