नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने गुरुवार को देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को बड़ा तोहफा दिया। मोदी सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के बाद से सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और पेंशन में बड़े संशोधन का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में इस महत्वपूर्ण घोषणा की जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री ने बताया, “1947 से अब तक सात वेतन आयोग लागू हो चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नियमित वेतन आयोग बनाने का संकल्प लिया था। 2016 में सातवां वेतन आयोग शुरू हुआ, जो 2026 तक लागू रहने वाला था, लेकिन सरकार ने इसे एक साल पहले ही मंजूरी दे दी है।”
वेतन आयोग की परंपरा
सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में संशोधन करने के लिए हर 10 साल में एक बार वेतन आयोग का गठन किया जाता है। इसका उद्देश्य महंगाई और अन्य आर्थिक कारकों को ध्यान में रखते हुए सरकारी सेवकों की सैलरी और पेंशन में सुधार करना है।
आखिरी बार 2014 में मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान सातवें वेतन आयोग का गठन किया गया था। बाद में 2016 में मोदी सरकार ने इसकी सिफारिशों को लागू किया। इससे पहले चौथे, पांचवें और छठे वेतन आयोग का कार्यकाल भी 10-10 सालों का रहा।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बड़ा कदम
विशेषज्ञों का मानना है कि आठवें वेतन आयोग को मंजूरी देने का फैसला दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सरकार की एक बड़ी रणनीतिक पहल है। इससे देशभर के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में सकारात्मक संदेश जाएगा।
सरकारी कर्मचारियों के लिए यह फैसला बड़ी राहत लेकर आया है। अब सभी की नजरें इस बात पर हैं कि आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें कब तक लागू होंगी और इससे वेतन व पेंशन में कितना सुधार होगा।
सरकारी कर्मचारियों में उत्साह
आठवें वेतन आयोग की घोषणा के बाद सरकारी कर्मचारियों के बीच उत्साह का माहौल है। कर्मचारियों ने इस फैसले का स्वागत करते हुए उम्मीद जताई कि यह उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने में मदद करेगा। वहीं सरकार के इस कदम से न केवल कर्मचारियों के वित्तीय हितों को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यह देश की अर्थव्यवस्था में भी सकारात्मक प्रभाव डालने की संभावना है।
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