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अडाणी समेत कई संस्थाओं पर झूठे आरोप लगाकर चर्चा में आई अमेरिकी कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ हो रही बंद

हिंडनबर्ग के संस्थापक नैट एंडरसन ने एक बयान में कहा कि जिस उद्देश्य के लिए इसे शुरू किया गया था, वो पूरा हो चुका है।

Published by
Kuldeep singh

अडाणी समूह समेत कई सारी भारतीय संस्थाओं पर झूठे आरोप लगाकर सियासी भूचाल लाने वाली अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडबर्ग रिसर्च को बंद किया जा रहा है। इसका ऐलान इसके संस्थापक नैट एंडरसन ने खुद ही किया है। एंडरसन का कहना है कि जिस उद्देश्य से कंपनी को शुरू किया गया था, उसके पूरा होने के बाद अब इसे बंद करने की योजना है।

हिंडनबर्ग ने अपनी बेवसाइट के जरिए इसकी जानकारी दी है। इसके साथ ही एंडरसन ने अपने बयान में कहा कि ये एक दीर्घकालिक योजना का हिस्सा था। कंपनी बंद करने के लिए किसी प्रकार की धमकी या दबाव नहीं है।

क्यों हिंडनबर्ग की चर्चा

गौरतलब है कि हर दिन कई कंपनियां बंद होती है, लेकिन हिंडनबर्ग की चर्चा इसलिए, क्योंकि ये वही खोजी बेवसाइट है, जिसने भारत की राजनीति और व्यापार जगत को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाया था। हिंडनबर्ग रिसर्च वही खोजी बेवसाइट है, जिसने अडाणी समूह को 2022 में निशाना बनाया था। इसके बाद देश की सियासत में भूचाल सा आ गया था। हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडाणी पर घोटाले का आरोप लगाया था। इसके बाद अडाणी समूह ने इसे झूठ का बंडल करार देते हुए इसे भारत पर हमला करार दिया था।

बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और अडाणी समूह को क्लीन चिट दे दिया गया। लेकिन, इस झूठी रिपोर्ट के कारण समूह को अरबों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। बाद में एक बार फिर से बेशर्मी दिखाते हुए 2024 में अडानी पोर्ट को निशाना बनाया, लेकिन फिर एक बार अडाणी समूह को क्लीन चिट मिला। इस घटना को लेकर अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी ने एक बयान जारी कर कहा था कि पिछले साल जनवरी में वित्तीय बाजार पर हुए हमले के दौरान हमारी लीडरशिप भावना इतनी स्पष्ट नहीं थी।

ये विदेश से किया गया शार्ट सेलिंग हमला था, जो को सामान्य वित्तीय हमला नहीं था। ये हमारी वित्तीय स्थिरता को अस्थिर बनाने के लिए किया गया हमला था, जो कि सोची समझी साजिश थी।

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