दिल्ली शराब नीति: सीएजी रिपोर्ट में 2000 करोड़ रुपये के नुकसान और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

दिल्ली सरकार की शराब नीति, जो नवंबर 2021 में पेश की गई थी को लेकर अब एक नया विवाद सामने आया है।

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Mahak Singh

दिल्ली सरकार की शराब नीति, जो नवंबर 2021 में पेश की गई थी को लेकर अब एक नया विवाद सामने आया है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की लीक हुई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस नीति के कारण दिल्ली सरकार के खजाने को 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। यह रिपोर्ट दिल्ली सरकार के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है।

शराब नीति

दिल्ली सरकार की शराब नीति का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी में शराब की खुदरा बिक्री को पुनर्जीवित करना और इससे सरकारी राजस्व को बढ़ाना था। लेकिन सीएजी की रिपोर्ट ने इस नीति की सफलता को लेकर कई सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब नीति अपने निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में पूरी तरह से विफल रही। इसके साथ ही, नीति में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी उठाए गए हैं, जिससे मामले की जांच ईडी और सीबीआई द्वारा की गई।

सीएजी रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने कथित तौर पर शराब नीति से लाभ उठाने के लिए रिश्वतखोरी का सहारा लिया। रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के नेतृत्व में बने मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने विशेषज्ञ पैनल की सिफारिशों को अनदेखा किया, जो कि नीति के गठन में महत्वपूर्ण थे।

इसके अलावा, रिपोर्ट में लाइसेंस जारी करने, नीतिगत कमियों और नियमों के उल्लंघन को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। यह भी कहा गया है कि सभी संस्थाओं को बोली लगाने की अनुमति दी गई, जबकि इन संस्थाओं की वित्तीय स्थिति की जांच तक नहीं की गई। रिपोर्ट में यह पाया गया कि घाटे की रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं को भी लाइसेंस जारी कर दिए गए या उनके लाइसेंस को रिन्यू कर दिया गया।

सीएजी ने यह भी स्पष्ट किया है कि शराब नीति में उल्लंघन करने वालों को जानबूझकर दंडित नहीं किया गया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शराब नीति से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय कैबिनेट की मंजूरी या उपराज्यपाल की अनुमति के बिना लिए गए थे, जो कि सरकारी प्रक्रिया का उल्लंघन है।

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